तमिलनाडु की एक स्कूली छात्रा ने मंगलवार को ग्लासगो में हुए COP26 समिट में विश्व नेताओं को संबोधित किया. 14 साल की विनीशा उमाशंकर प्रिंस विलियम के अर्थशॉट पुरस्कार की फाइनलिस्ट हैं, जिसे इको ऑस्कर कहा जाता है. आप इन्हें भारत की ग्रेटा थनबर्ग भी कह सकते हैं.
वैश्विक नेताओं से की ‘काम’ करने की अपील
अपने शक्तिशाली भाषण में, विनिशा ने विश्व के बड़े-बड़े नेताओं से "बात बंद करने और करना शुरू करने" का आग्रह किया है. मंच से उन्होंने नेताओं से कहा कि वे अपनी पीढ़ी के साथ खड़े हों और धरती की मरम्मत के लिए काम कर रहे इनोवेशन, समाधानों और प्रोजेक्ट का समर्थन करें.
“मैं एक आशावादी हूं”....
दुनिया के दिग्गज नेताओं के सामने गर्व से खड़े होकर विनिशा ने कहा, "मैं सिर्फ भारत की लड़की नहीं हूं. मैं धरती की एक लड़की हूं और मुझे ऐसा होने पर गर्व है. मैं एक छात्र, इनोवेटर, पर्यावरणविद् और आंत्रप्रेन्योर भी हूं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं एक आशावादी (Optimist) हूं."
विनिशा ने आगे कहा कि हम, अर्थशॉट पुरस्कार के विजेता और फाइनल में पहुंचे प्रतिभागी इस बात का प्रमाण हैं कि हमारी पृथ्वी के इतिहास में सबसे बड़ी चुनौती ही सबसे बड़ा अवसर भी है. हम आपके कार्रवाई करने का इंतजार नहीं करेंगे. आप करें या न करें, हम आगे बढ़ेंगे. आप चाहे अतीत से जुड़े रहें, लेकिन हम अपना भविष्य बनाएंगे। क्योंकि हम भविष्य हैं.
इस पांच मिनट से भी कम के भाषण ने सभी दर्शकों का दिल जीत लिया, इतना कि दर्शकों के साथ-साथ प्रिंस विलियम ने भी उनके लिए तालियां बजाने से खुद को नहीं रोक पाए. यहां तक कि प्रिंस विलियम ने विनिशा के लिए एक ट्विटर पर पोस्ट करते हुए कहा कि उन्हें वैश्विक मंच पर बोलते हुए देखकर उन्हें बहुत गर्व हुआ.
प्रिंच विलियम भी हुए प्रभावित
प्रिंस विलियम के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल में लिखा गया, “COP26 से घर आने के बाद आशावादी महसूस कर रहा हूं अर्थशॉट प्राइज विजेता और फाइनलिस्ट ने पृथ्वी को बचाने और उनके समाधानों पर चर्चा की. विनीशा को दुनिया के सामने बोलते हुए, उनकी पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए बदलाव की मांग करते हुए देखकर विशेष रूप से गर्व महसूस होता है.”
बना चुकी हैं सोलर पैनल से चलने वाली मोबाइल आयरन कार्ट
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई शहर की रहने वाली, विनीशा एक पर्यावरणप्रेमी हैं. इतनी छोटी उम्र में पर्यावरण को बचाने की पहल के लिए विनिशा को सम्मानित भी किया जा चुका है. 14 साल की इस लड़की को सोलर पैनल से चलने वाली मोबाइल आयरन कार्ट बनाने के लिए प्रतिष्ठित सम्मान चिल्ड्रंस क्लाइमेट प्राइज से सम्मानित किया जा चुका है.
दरअसल, विनीशा ने कुछ साल पहले एक प्रेस वाले को जलते अंगारे को बुझाते हुए देखा था. इस दौरान उन्हें पता चला कि लकड़ी का कोयला फेंक दिया जाता है क्योंकि इसे फिर से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. इसके बाद घर पर जाकर, विनीशा ने लकड़ी का कोयला के उपयोग, लकड़ी का कोयला बनाने के लिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या और इस्त्री करने वाले कपड़ों के व्यापार करने वालों के फेफड़ों पर इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में शोध किया.
2018 में, विनिशा ने अपनी सोलर आयरन कार्ट का डिजाइन पूरा किया. अहमदाबाद में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन के इंजीनियरों के एक समूह ने एक साल बाद उनके विचार को ड्राइंग टेबल से वास्तविकता में लाने में मदद की.