अगर आप किसी भी UPSC प्रतिभागी से पूछें कि वे सिविल अफसर क्यों बनना चाहते हैं तो ज्यादातर को जवाब होता है कि वे अपने देश और समाज को बेहतर बनाने में योगदान देना चाहते हैं. और आज कई ऐसे IAS, IPS हैं जिन्होंने अपने कामों से साबित किया है कि प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होकर आप समाज में बड़े बदलाव ला सकते हैं. आज उत्तर प्रदेश के एक ऐसे ही IPS अधिकारी के बारे में हम आपको बता रहे हैं जिनकी पहलों ने लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाया है.
साल 2012 बैच के अधिकारी आशीष तिवारी राज्य के विभिन्न जिलों के पुलिस प्रमुख के रूप में अपने काम को बेहतर बनाने के लिए अपने ग्लोबल अनुभव से प्रेरणा ले रहे हैं. आशीष ने फिरोजाबाद में जनता को सभी प्रकार की शिकायतें दर्ज करने में मदद करने के लिए 'ब्लॉक चेन पर पुलिस शिकायत' वेब पोर्टल लॉन्च किया है. इससे पहले उन्होंने मिर्ज़ापुर में पुलिस चीफ रहते हुए नक्सल प्रभावित जिले में महिलाओं की एक अनूठी 'ग्रीन' ब्रिगेड तैयार करने में भी मदद की थी.
गावों की तस्वीर बदल रहे हैं आशीष
IPS आशीष तिवारी ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर विकासित कराया है जो पुलिस को सौंपे गए कर्तव्यों पर नज़र रखता है और फोर्स के रोस्टर मैनेजमेंट को सुव्यवस्थित करने के अलावा उनकी गतिविधियों पर नज़र रखता है. वह जिन भी जिलों में पोस्टिंग पर होते हैं, वहां के गांवों को 'गोद' भी लेते हैं और बच्चों के लिए मनोरंजक गतिविधियों के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों के मानकों में सुधार पर काम करते हैं. उन्होंने एक स्कूल गोद लेकर उसका कायाकल्प बदल दिया और अब यह एक चमकीले पीले रंग की स्कूल बस जैसा दिखता है.
उन्होंने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह पहल इसलिए की गई ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे स्कूल आने के लिए आकर्षित हों. स्मार्ट पुलिसिंग ने उन्हें विभाग में पहचान दिलाई है, और अपनी अनूठी पहल के लिए उन्होंने पुरस्कार भी अर्जित किए हैं.
लंदन में काम कर चुके हैं आशीष
मध्य प्रदेश के इटारसी में जन्मे और पले-बढ़े तिवारी एक रेलवे सेक्शन इंजीनियर के बेटे हैं. वह आईआईटी-खड़गपुर से पढ़ें हैं, जिसके बाद उनकी प्लेसमेंट ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विस फर्म, लेहमैन ब्रदर्स में हुई थी. उन्होंने एक साल तक लंदन में निवेश बैंकर के रूप में काम किया, फिर 2008 में जापान के नोमुरा बैंक में चले गए. दो साल के बाद, आशीष ने अपनी नौकरी छोड़ने का फैसला किया, और भारत लौट आए. उन्होंने UPSC की परीक्षा की तैयारी शुरू की. साल 2011 में, उन्हें 330 की अखिल भारतीय रैंक के साथ भारतीय राजस्व सेवाओं के लिए चुना गया था. हालांकि, वह इससे संतुष्ट नहीं थे.
साल 2012 में वह भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुने गए. उन्होंने अपने इनोवेटिव तरीकों से अपने आसपास के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपने पद और पावर का इस्तेमाल किया. साल 2017 में, मिर्ज़ापुर के जिला पुलिस प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालते हुए, उन्होंने वाराणसी से सटे नक्सल प्रभावित जिलों में महिलाओं की अपनी 'ग्रीन' ब्रिगेड की शुरुआत की.
शराबियों के लिए आफत है ग्रीन ब्रिगेड
हरे रंग की साड़ी पहनकर और सीटी बजाकर, दस गांवों में फैली ग्रीन ब्रिगेड की सदस्य महिलाएं, नक्सली गतिविधियों पर सतर्क नजर रखते हुए घरेलू दुर्व्यवहार और जुआ और शराब की लत जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ रही हैं. उनके उत्साह को देखते हुए, कई नागरिक समाज संगठनों ने महिलाओं को कराटे और मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित किया. उन्होंने महिलाओं की मदद के लिए सिलाई और कुकिंग में स्किल ट्रेनिंग के लिए वर्कशॉप आयोजित कीं. आशीष का कहना है कि अगर गांवों को प्रगति के पथ पर चलना है, तो सबसे पहले हमें महिलाओं को सशक्त बनाना होगा. इसी विचारधारा को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ग्रीन ग्रुप की शुरुआत की.
मिर्ज़ापुर में ही, तिवारी ने एक सॉफ्टवेयर विकसित किया जो पुलिस को सौंपे गए कर्तव्यों पर नज़र रखता था और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखता था. सॉफ्टवेयर ने यह सुनिश्चित किया कि सभी पुलिस कांस्टेबलों को निष्पक्षता से और बिना किसी भेदभाव के ड्यूटी सौंपी गई और गश्त के दौरान उनकी गतिविधियों और स्थान को ट्रैक करने में भी मदद मिली.
फ़िरोज़ाबाद में, एसएसपी के रूप में, तिवारी ने जनता को पुलिस में सभी प्रकार की शिकायतें दर्ज करने में मदद करने के लिए 'ब्लॉकचेन पर पुलिस शिकायत' वेब पोर्टल लॉन्च किया. यह राज्य में अपने जैसी पहली पहल थी. नवंबर 2019 में जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाया तो वह अयोध्या के एसएसपी थे. कम्यूनिटी पुलिसिंग के क्षेत्रों में उनकी इनोवेटिव रणनीतियों ने शहर में शांति बनाए रखने में मदद की.