देश में नाबालिगों द्वारा किये जाने वाले अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. बड़े मेट्रो शहरों की बात करें तो दिल्ली में सबसे ज्यादा नाबालिग क्राइम के मामलों में बीते वर्ष पकड़े गये हैं. यह नाबालिग हत्या, हत्या प्रयास, लूट, झपटमारी, दुष्कर्म, दंगे और छेड़छाड़ की घटनाओं में पुलिस द्वारा पकड़े गये हैं.
बता दें कि एनसीआरबी ने अपराध को लेकर हाल ही में आंकड़े जारी किए थे. इन आंकड़ों से पता चला कि दिल्ली में वर्ष 2021 में आपराधिक वारदातों में 2,643 नाबालिग दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़े गये. वर्ष 2020 में यह आंकड़ा 2,455 था. इसमें लगभग 8 फीसदी की बढ़ोत्तरी साल 2021 में दर्ज की गई.
इन आंकड़ों से यह साफ हो गया है कि रोजाना 7 नाबालिग आपराधिक वारदात में दिल्ली पुलिस द्वारा पकड़े गए हैं. NCRB के आंकड़ों से यह भी खुलासा हुआ है कि अपराध में शामिल ज्यादातर नाबालिग अनपढ़ थे या केवल दसवीं कक्षा तक पढ़े थे. ये हाल है देश की राजधानी दिल्ली की, जहां पीएम हाउस से लेकर राष्ट्रपति भवन और तमाम बड़े कार्यालय हैं. यह आंकड़ा दिल्ली पुलिस के लिए चिंता का विषय है.
कहां कितने नाबालिग पकड़े गए
दिल्ली 2643
चेन्नई 647
मुंबई 611
सूरत 516
नागपुर 369
इंदौर 355
हैदराबाद 350
जयपुर 332
पुणे 299
अहमदाबाद 298
2021 में अलग-अलग मामलों में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई
अपराध पकड़े
हत्या 78
हत्या का प्रयास 154
दुष्कर्म 69
छेड़छाड़ 103
चोरी 1075
लूट 339
पॉक्सो 109
आर्म्स एक्ट 45
दंगे 05
नाबालिग में आपराधिक प्रवृत्ति बढ़ने के क्या हैं कारण?
बता दें कि देश में नाबालिग बच्चों के द्वारा आए दिन किसी न किसी गंभीर बड़े आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. जोकि मां-बाप और समाज के लिए बड़ी चिंता की बात है. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि इन घटनाओं को अंजाम देने के समय नाबालिग के दिमाग क्या चल रहा होता है. वो किन कारणों से बड़ी जघन्य घटनाओं को अंजाम देते समय बच्चों में डर नहीं होता है.
कहा जाता फिल्म समाज को आईना दिखाता है, लेकिन कई बार फिल्म, और सिरियल्स देखकर बच्चे बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं. कई पकड़े गए नाबालिगों ने खुद माना है कि फिल्म के पात्रों से प्रेरित होकर भी घटनाएं करते हैं.
आजकल बच्चों में बराबरी करने की भावना बहुत ज्यादा होती है. उनमें दूसरे बच्चो के ब्रांडेड कपड़े, जूते, महंगे मोबाइल देखकर उनके अंदर भी वैसी ही चाहत हो जाती है. इसे पाने के लिए वे अपराध तक कर डालते हैं.
ऐसा आजकल बहुत ज्यादा होता है. देखा जाता है कि बच्चे इलाके के बदमाशों को देखकर उनकी तरह बनने की कोशिश करते हैं. उनके संपर्क में आकर/उनकी तरह बनने की कोशिश करके बड़े अपराधों को अंजाम दे बैठते हैं.
आजकल नाबालिग बच्चों से अपराध करवाने की कई घटनाएं सामने आती हैं. कई बड़े गैंग इस तरह से काम करते हैं. क्योंकि उन्हें ये पता होता है कि नाबालिगों के पकड़े जाने पर उन्हें कम सजा मिलती है. जिसका वो भी फायदा उठाते हैं.
बच्चों को इस दलदल में जाने से कैसे बचाएं?
आज के समय में ऐसे कई बार देखा गया है कि बच्चे क्या कर रहे हैं, किसके साथ जा रहे, कहां घूम रहे हैं. उनकी संगति क्या है. माता-पिता को मालूम नहीं है. ऐसे तमाम तरह के सवाल हैं. इन सब के बीच बच्चों को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए परिवार को जागरुक करना होगा और खुद को भी बच्चों के प्रति जवाबदेही तय करनी होगी.
इन मामलों को लेकर पुलिस से उम्मीद की जाती है उन इलाकों में जागरूकता कार्यक्रम करे, जहां के ज्यादा नाबालिग अपराध में शामिल हों. साथ ही उन क्षेत्रों में ज्यादा सतर्कता बरतने के साथ बड़े अपराधियों को पकड़े.
किसी नाबालिग के पकड़े जाने पर उसकी काउंसलिंग कर सुधारने का प्रयास हो.साथ ही उस पर नजर परिवार के साथ पुलिस को भी नजर बनाए रखनी चाहिए. ऐसा कई बार देखा जाता है कि बाल गृह से छूटते ही नाबालिग फिर से आपराधिक वारदातों में लग जाते हैं.
परिवार को बच्चों को पढ़ाई के साथ खेलकूद में भी व्यस्त रखना चाहिए, ताकि उनका ध्यान न भटके. पूर्व में दिल्ली पुलिस ऐसे अभियान चलाती भी थी.