दुनियाभर में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (covid-19 omicron variant) तेजी ने फैल रहा है. तमाम एक्सपर्ट बीमारी की गंभीरता और म्यूटेशन का पता लगाने के लिए इस पर रिसर्च कर रहे हैं. कई पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट चाहते हैं कि लैब विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय यात्रियों पर सभी तीन जीनों के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण करें ताकि 'S'जीन की अनुपस्थिति का पता लगाया जा सके.
महाराष्ट्र राज्य टास्क फोर्स के सदस्य डॉ शशांक जोशी ने बताया कि कोविड के लिए किए गए आरटी-पीसीआर टेस्ट की कंप्लीट रिपोर्ट में 'N', 'S','E'और 'ORF'जीन शामिल होते हैं.
क्या बताती है एस जीन की कमी?
उन्होंने कहा, "अगर किसी व्यक्ति में 'एस' जीन अनुपस्थित है और अन्य जीन पॉजीटिव हैं, तो यह इंडायरेक्ट तरीका है ये जानने का कि उस व्यक्ति में ओमिक्रॉन वायरस मौजूद हो सकता है. इसके लिए जीनोम सीक्वेंसिंग करने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. दुर्भाग्य यह है कि आरटी-पीसीआर परीक्षण करने वाली हर प्रयोगशाला 'एस' जीन की जांच नहीं करती हैं."
“सभी लैब के लिए जल्द ही एक नमूने में 'एस' जीन की अतिरिक्त जांच करने का निर्देश आ सकता है. टास्क फोर्स के सदस्य ने कहा, 'एस' जीन का आरटीपीसीआर रिपोर्ट में मौजूद न होना ओमिक्रॉन वैरिएंट की तरफ इशारा करता है. इसका पता जिनोम सिक्वेंसिंग के पहले लगाया जा सकता है."
प्रॉक्सी मार्कर के तौर पर कर सकते हैं इस्तेमाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि 'एस' जीन वाले पीसीआर परीक्षणों का उपयोग करने वाले देश भी 'एस' जीन की अनुपस्थिति को कोविड के ओमिक्रॉन वैरिएंट के संक्रमण के लिए प्रॉक्सी मार्कर के रूप में कर सकते हैं. डब्ल्यूएचओ के एक बयान में कहा गया,"इसी तरह फुल सीक्वेसिंग की आवश्यकता के बिना इस वैरिएंट के परीक्षण के लिए पीसीआर परीक्षण विकास के अधीन हैं."
सावधानी बरतना जरूरी
राज्य टास्क फोर्स और राष्ट्रीय कोविड टास्क फोर्स के सदस्य डॉ राहुल पंडित ने कहा कि ओमिक्रॉन को दुनिया भर में चिंता का कारण बताया जा रहा है, सावधानी बनाए रखना महत्वपूर्ण है. डॉ पंडित कहते हैं, “SARS-CoV-2 वायरस इवोल्यूशन (TAG-VE) पर तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) लगातार वायरस के विकास की निगरानी कर रहा है. इसके आधार पर TAG-VE ने WHO को Omicron को virus of concern के रूप में नामित करने की सलाह दी है. टास्क फोर्स का कहना है कि वो सदस्य राज्यों और जनता के साथ वायरस पर पाए गए नए निष्कर्षों का संचार करेगा. ” डॉ राहुल पंडित फोर्टिस अस्पताल मुंबई में निदेशक (क्रिटिकल केयर) हैं.
अभी दो अलग-अलग जीनों का लगाया जाता है पता
जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए राज्य समन्वयक और बी जे मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ राजेश कार्याकार्टे ने कहा कि वर्तमान परीक्षण किट में दो अलग-अलग जीनों का पता लगाना शामिल है, जो या तो 'ओआरएफ' (ORF),'आरडीआरपी' (RdRp),'एन' (N) या 'एस' (S)हो सकते हैं.