
केंद्र सरकार ने सांसदों की सैलरी और पेंशन में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है. सांसदों की सैलरी में 24 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. इसके अलावा तमाम सुविधाएं भी मिलती हैं. सांसदों को भी टैक्स देना पड़ता है. हालांकि उनकी पूरी कमाई पर टैक्स नहीं लगता है. इसी तरह से देश के सभी राज्यों में विधायकों को भी अलग-अलग सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं. देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां विधायकों को टैक्स भी नहीं भरना पड़ता है. इन राज्यों विधायकों की सैलरी पर लगने वाला टैक्स सरकार ही भरती है. मौजूदा वक्त में देश में 7 ऐसे राज्य हैं, जहां के विधायकों को मिलने वाली सैलरी पर लगने वाला टैक्स भी सरकारी खजाने से ही भरा जाता है.
इन 7 राज्यों में विधायकों का टैक्स भरती है सरकार-
देश में इस समय 7 ऐसे राज्य हैं, जहां मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, आंध प्रदेश और झारखंड शामिल है. हालांकि पहले देश के 9 राज्यों में ये व्यवस्था थी. लेकिन उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने इस सिस्टम को बंद कर दिया.
किस राज्य में क्या है सिस्टम-
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकारी खजाने से भरा जाता है. विधायकों की सैलरी इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आती है. इस सूबे में विधायकों का मूल वेतन सिर्फ 30 हजार रुपए है. मध्य प्रदेश की तरह ही हरियाणा में भी सीएम, मिनिस्टर, स्पीकर, डिप्टी स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष का इनकम टैक्स सरकार भरती है. जबकि झारखंड, पंजाब और छत्तीसगढ़ में सभी विधायकों का इनकम टैक्स सरकार भरती है. उधर, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री, मिनिस्टर, विधानसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर का इनकम टैक्स सरकार देती है.
किस इनकम पर सरकार भरती है टैक्स-
सांसदों और विधायकों को इनकम टैक्स देना होता है. लेकिन इनको सिर्फ सैलरी पर ही टैक्स देना होता है. लेकिन भत्तों पर टैक्स नहीं लगता है. कई सूबों में विधायकों की सैलरी पर लगने वाला इनकम टैक्स सरकार भरती है. हालांकि विधायकों की पूरी कमाई पर सरकार टैक्स नहीं भरती है, बल्कि सैलरी से होने वाली इनकम पर ही टैक्स भरती है. जबकि पर्सनल इनकम पर टैक्स विधानसभा सदस्यों को ही भरना पड़ता है.
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