मोदी सरकार एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता (DA) सहमत फार्मूले के तहत तीन फीसदी बढ़ाकर 45 प्रतिशत कर सकती है. इस समय डीए 42 फीसदी है. सरकार की ओर से साल में दो बार बढ़ोतरी की जाती है. डीए में इजाफा करने का कारण कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई के प्रति राहत देना है. डीए सरकारी कर्मचारियों की सैलरी स्ट्रक्चर का हिस्सा होता है.
व्यय विभाग डीए में बढ़ोतरी का करेगा प्रस्ताव तैयार
कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ता हर महीने श्रम ब्यूरो की ओर से जारी किए जाने वाले औद्योगिक श्रमिकों के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) के आधार पर तय किया जाता है. ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि जून 2023 के लिए सीपीआई-आईडब्ल्यू 31 जुलाई, 2023 को जारी किया गया था. हम महंगाई भत्ते में चार प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं. लेकिन सरकार महंगाई भत्ते में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकती है. इसके 45 प्रतिशत होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि वित्त मंत्रालय का व्यय विभाग डीए में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार करेगा और प्रस्ताव को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखेगा. डीए बढ़ोतरी एक जुलाई 2023 से प्रभावी होगी.
मार्च में हुई थी वृद्धि
इससे पहले मार्च 2023 में महंगाई भत्ते में वृद्धि की गई थी. तब 1 जनवरी से डीए का एरियर दिया गया था. उस समय डीए में 4 फीसदी की वृद्धि कर इसे 38 से 42 फीसदी कर दिया गया था. अब एक बार फिर महंगाई भत्ते में वृद्धि की संभावना है. 1 जुलाई से लागू माना जाने के कारण 2 महीने का एरियर भी कर्मचारियों को मिलेगा. गौरतलब है कि डीए की यह दर 7वें वेतन आयोग के तहत है. पुराने वेतन आयोग के तहत सैलरी ले रहे कर्मचारियों की डीए दर अलग होगी.
कितनी बढ़ जाएगी सैलरी
मान लीजिए कि किसी केंद्रीय कर्मचारी की बेसिक सैलरी 20,000 रुपए है और उसके डीए में 4 फीसदी का इजाफा कर दिया गया है. अब 20,000 को 4 फीसदी से गुणा कर दीजिए. कैलकुलेशन के बाद जवाब आएगा 800 रुपए. यानी उसकी सैलरी में 800 रुपए का इजाफा हुआ है. डीए बढ़ोतरी का लाभ केवल मौजूदा कर्मचारियों को ही नहीं बल्कि पेंशनभोगियों को भी मिलता है.
क्या होता है महंगाई भत्ता
महंगाई भत्ता ऐसा पैसा है जो महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकारी कर्मचारियों के जीवन स्तर को बनाए रखने के लिए दिया जाता है. यह पैसा सरकारी कर्मचारियों, पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों और पेंशनधारकों को दिया जाता है. इसका कैलकुलेशन देश की मौजूदा महंगाई के अनुसार हर 6 महीने पर किया जाता है. इसकी गणना संबंधित वेतनमान के आधार पर कर्मचारियों के मूल वेतन के अनुसार की जाती है. महंगाई भत्ता शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण क्षेत्र के कर्मचारियों का अलग-अलग हो सकता है. भारत में दो तरह की महंगाई होती है. एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरा थोक महंगाई है. रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है. इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) भी कहते हैं.