26 मई, साल 2014. ये तारीख हिंदुस्तान की सियासत में सबसे बड़े बदलाव की गवाह बनी. केंद्र की सत्ता में बीजेपी की दमदार एंट्री के बाद ये तारीख गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने की तारीख थी. इस शपथ ग्रहण के बाद देश में बदलाव की एक बयार चली. केंद्र की सत्ता में आने के साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार ने ताबड़तोड़ कड़े और बड़े फैसले लिए और ये सिलसिला आज भी जारी है. तो चलिए आपको बताते हैं वो कौन से फैसले है, जिन्होंने सभी को चौंका दिया है.
1. जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर के लिए बेहद ऐतिहासिक और चौंका देने वाला फैसला लिया है. जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ-साथ राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया. जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया. भारतीय जनसंघ के जमाने से अनुच्छेद 370 को हटाना बीजेपी का मुख्य एजेंडा और मांग रही थी. मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले के बाद से जम्मू कश्मीर में एक देश, एक विधान और एक मिशन लागू हो गया है. इस फैसले को मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जाता है.
2. 500 और 1000 की नोटबंदी
8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री ने ये ऐतिहासिक फैसला लिया था, जिसके बाद उसी दिन आधी रात से 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर कर दिए गए थे. मोदी सरकार का ये फैसला ऐतिहासिक इसलिए भी साबित हुआ क्योंकि इसके बाद से ही देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने लगा. आंकड़ों पर गौर करेंगे तो 2020 में चीन के 25.4 अरब की तुलना में भारत ने 25.5 अरब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर पीछे छोड़ा है. इसमें भारत ने अमेरिका को भी पीछे किया है. नोटबंदी के बाद से देश में करेंसी नोट का चलन बढ़ता ही जा रहा है. हालांकि इसके साथ ही डिजिटल पेमेंट भी तेजी से लगातार बढ़ता जा रहा है.
3. एक देश एक टैक्स की नीति
भारत में नया गुड्स एंड सर्विस टैक्स कई दिनों से अटका हुआ था. मोदी सरकार ने सत्ता में आने के तीन साल बाद संसद में जीएसटी को पास कराया और देश में एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हो गया. कर सुधार की दिशा में देश का ये सबसे बड़ा कदम है. अब आंकड़ों पर गौर करें तो जुलाई 2021 से हर महीने जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है, जो कि रिकॉर्ड है. वहीं मार्च 2022 में से 1,42,095 करोड़ रहा. जीएसटी लागू करने के बाद हर राज्य में उत्पाद की कीमत एक ही हो गई है.
4. सर्जिकल स्ट्राइक से दुश्मन को जवाब
28 और 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में घुसकर हमला करने का फैसला मोदी सरकार के कुछ अहम फैसलों में से एक है. उरी में सुरक्षाबलों के कैंप पर आतंकी हमला होने के बाद 28 सितंबर 2016 में भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स ने सर्जिकल स्ट्राइक करके पाक के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दिया. इसके बाद 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब देने के लिए वायुसेना ने 26 फरवरी को बालाकोट एयर स्ट्राइक से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था. भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के ठिकानों को तबाह कर दिया था.
5. मुसलमानों को लेकर कई बड़े फैसले
बीते आठ सालों में मोदी सरकार ने मुसलमानों को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं, जिसमें सबसे अहम और ऐतिहासिक फैसला रहा तीन तलाक का. तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाना मोदी सरकार का सबसे बड़ा और अहम कदम माना गया. इससे एक साथ दी जाने वाली तीन तलाक पर पाबंदी लगाई गई. इसके अलावा जुलाई 2019 में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 को संसद को दोनों सदनों से पारित कराया गया. फिस 1 अगस्त 2019 को तीन तलाक देना कानूनी तौर पर जुर्म बन गया.
6. CAA-NRC पर बड़ा फैसला
देश के नागरिकता कानून में बदलाव मोदी सरकार का एक बड़ा और कड़ा फैसला माना गया. इस फैसले को बड़ा इसलिए भी कहा जा सकता है क्योंकि आजादी के बाद से ही ये फैसला लंबित पड़ा था, लेकिन मोदी सरकार ने कई साल बाद इस मामले की कानूनी पेचीदगी को सुलझाते हुए आखिरकार निपटा दिया. वहीं इस फैसले को कड़ा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके विरोध में मुस्लिम समाज और शाहीन बाग में मुस्लिम महिलाओं के कई महीने तक प्रदर्शन करने के बावजूद भी इसे वापस नहीं लिया गया.
7. सरकारी बैंकों का विलय
आठ साल के कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार ने कई बड़े आर्थिक फैसले भी लिए हैं. जिसमें नोटबंदी के अलावा सरकारी बैंकों का विलय भी एक अहम फैसला है. दस सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों से विलय मोदी साहसिक आर्थिक फैसलों में से एक माना जाता है. इससे वर्क फोर्स का सही इस्तेमाल हुआ और खर्चों में भी कटौती हुई. इसका सबसे बड़े फायदा ये हुआ ग्राहकों को कई सारी बेहतर सुविधाएं मिलीं.
8. EWS को लेकर बड़ा फैसला
भारत में गरीब सवर्णों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का मामला लंबे समय से अटका पड़ा था. काफी समय से देश में इसकी मांग चल रही थी. पिछली कई सरकारों ने इसको लेकर सहमति भी जताई थी, लेकिन किसी भी सरकार ने इसको लागू करने की हिम्मत नहीं जुटाई थी. लेकिन इसको लागू करके मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया था. मोदी सरकार ने 2019 के आखिरी सत्र में अचानक सवर्ण समुदाय को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक पारित किया था.