देश में पांच राज्यों में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बड़ा एलान किया. देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानून को वापस लेने का एलान किया. लंबे समय तक तीनों कृषि कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शन को देखते हुए मोदी सरकार ने यह कानून वापस लेने का निर्णय लिया है.
कुछ किसानों को अपनी बात नहीं समझा पाए
देश को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि हमारी सरकार किसानों के कल्याण और देश हित में तीनों कृषि कानून लेकर आई थी. किसानों के प्रति समर्पण और अच्छी नीयत से सरकार यह कानून लेकर आई थी लेकिन हम अपने प्रयासों को बावजूद कुछ किसानों को अपनी बात नहीं समझा पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया.
शीतकालीन सत्र में कानूनों को वापस लेने की प्रक्रिया
पीएम ने कहा कि हमारी सरकार का मकसद था कि देश के किसानों, खासकर छोटे किसानों को ताकत मिले और उन्हें अपनी उपज की सही कीमत के साथ-साथ उपज बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले. कृषि विशेषज्ञ लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे. पहली भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था. संसद में चर्चा और मंथन के बाद ये कानून लाए गए. देश के कई किसानों ने इसका समर्थन और स्वागत किया. मोदी ने कहा कि इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे.
Addressing the nation. https://t.co/daWYidw609
— Narendra Modi (@narendramodi) November 19, 2021
जीरो बजट खेती को बढ़ावा देगी सरकार
मोदी ने कहा कि एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए भविष्य को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा. इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री होंगे. पीएम ने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम निर्णय लिया है. सरकार जीरो बजट खेती को बढ़ावा देगी. देश की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदला जाएगा.
विपक्ष बोला-ये किसानों की बड़ी जीत
केंद्र सरकार की तरफ से कृषि कानून वापस लिए जाने का विपक्ष के कई नेताओं ने स्वागत किया है. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत कई नेताओं ने कृषि कानून की वापसी को सही कदम बताया. विपक्ष का कहना है कि ये देश के किसानों की बड़ी जीत है.