केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के नियमों को अधिसूचित कर दिया. सीएए अधिनियम, बीजेपी के 2019 के चुनावी घोषणापत्र का एक अभिन्न हिस्सा था जिसे 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था. यह कदम सताए गए लोगों के लिए भारत में नागरिकता पाने का मार्ग प्रशस्त करेगा. गृह मंत्रालय ने कहा, "नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 कहे जाने वाले ये नियम CAA-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएंगे."
किन लोगों को मिलेगी नागरिकता?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई मौकों पर कहा था कि अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले CAA नियमों को अधिसूचित किया जाएगा. सीएए कानून बांग्लादेश,पाकिस्तान और अफगानिस्तान से छह समुदायों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म से संबंधित उत्पीड़ित प्रवासियों को भारतीय नागरिकता की अनुमति देता है.
लोगों ने किया था विरोध
हालांकि, इस अधिनियम ने काफी विवाद पैदा किया और पूरे भारत में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन हुए. आलोचकों ने तर्क दिया कि यह मुसलमानों को बाहर करके और देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को कमजोर करके भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करता है. विशेष रूप से यह भारतीय कानून में पहला उदाहरण है जहां धर्म को नागरिकता के लिए एक मानदंड के रूप में उपयोग किया जाता है.
अधिनियम के विरोधियों ने जनसांख्यिकीय संरचना पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में चिंता जताई है. खासकर असम जैसे राज्यों में, जहां माइग्रेशन के मसलों पर तनाव का इतिहास है. उन्हें डर है कि धार्मिक पहचान के आधार पर नागरिकता देने से मौजूदा सामाजिक और राजनीतिक तनाव बिगड़ सकता है.
चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार - ममता बनर्जी
बता दें कि कांग्रेस और टीएमसी सहित तमाम विपक्षी दल CAA कानून का विरोध कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह राज्य में इस अधिनियम को लागू नहीं होने देंगी. कानून के पारित होने पर 2019 में देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर लोगों को नियमों के तहत उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. पहले मुझे नियम देखने दीजिए. अगर नियमों के तहत लोगों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाएगा, तो हम इसके खिलाफ लड़ेंगे. यह चुनाव के लिए बीजेपी का प्रचार है और कुछ नहीं."
ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र को छह महीने पहले नियमों को अधिसूचित करना चाहिए था. उन्होंने आगे कहा, "अगर कोई अच्छी चीजें हैं, तो हम हमेशा समर्थन और सराहना करते हैं लेकिन अगर कुछ ऐसा किया जाता है जो देश के लिए अच्छा नहीं है, तो टीएमसी हमेशा अपनी आवाज उठाएगी और इसका विरोध करेगी. मुझे पता है कि आज की तारीख रमज़ान से पहले क्यों चुनी गई. मैं लोगों से अपील करती हूं. लोग शांत रहें और किसी भी अफवाह से बचें."
हर चीज राजनीतिक चश्मे से देखते हैं - अर्जुन मुंडा
सीएए के कार्यान्वयन पर ममता बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, "जो लोग चीजों को केवल राजनीतिक चश्मे से देखते हैं,उनकी राय अलग हो सकती है. मैं उस पर नहीं जाऊंगा. लेकिन सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो भी देशहित में हो उसे किया जाना चाहिए.”
क्या कहता है प्रावधान?
देश में नागिरकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. सीएए के तहत जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आकर बसे हैं उन्हें ही नागरिकता दी जाएगी. इसके तहत उन लोगों को अवैध प्रवासी करार दिया जाएगा जो बगैर किसी वैध दस्तावेज के (पासपोर्ट या वीजा) भारत में आकर रह रहे हैं या फिर ऐसे लोग जो वैध दस्तावेज लेकर आए लेकिन तय अवधि से ज्यादा रुके रहे.
बता दें कि 10 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद इस अधिनियम को लेकर काफी शोर-शराबा हुआ. यह अब तक लागू इसलिए नहीं हो सका क्योंकि इसके कार्यान्वयन के लिए नियमों को अब तक अधिसूचित नहीं किया गया था.