देश के कई हिस्सों में प्री मानसून की वजह से जोरदार बारिश हो रही है. गुरुवार को दिल्लीवासियों को गर्मी से थोड़ी राहत मिली. शहर में मानसून अभी पूरे तरीके से नहीं आया है लेकिन फिर भी झुलसाने वाली गर्मी और लू से थोड़ी राहत जरूर मिली है. स्काईमेट वेदर के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के कुछ शहरों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है.
कैसे होती है बारिश
गर्मी के मौसम में जब हिंद महासागर में सूर्य जब Equator के ठीक ऊपर होता है तो मानसून बनता है. इस प्रक्रिया में गर्म होकर समुद्र का तापमान 30 डिग्री तक पहुंच जाता है. इस दौरान धरती का तापमान 45-46 डिग्री होता है. ऐसी स्थिति में हिंद महासागर के दक्षिणी हिस्से में मानसूनी हवाएं सक्रिय हो जाती हैं. ये हवाएं आपस में क्रॉस करते हुए Equator पार कर एशिया की तरफ बढ़ने लगती हैं. इसी दौरान समुद्र के ऊपर बादलों के बनने की प्रक्रिया शुरू होती है. विषुवत रेखा (equator)पार करके हवाएं और बादल बारिश करते हुए बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का रुख करते हैं. इस दौरान देश के तमाम हिस्सों का तापमान समुद्र तल के तापमान से अधिक होता है. ऐसी स्थिति में हवाएं समुद्र से जमीनी हिस्सों की ओर बहने लगती हैं. ये हवाएं समुद्र के जल के वाष्पन से पैदा होने वाली वाष्प को सोख लेती हैं और धरती पर आते ही ऊपर उठती हैं और बारिश करती हैं.
कहां पहले आता है मानसून
मानसून से सबसे पहले केरल के समुद्री तट प्रभावित होते हैं उसके बाद यह मानसूनी हवाएं भारत के दक्षिणी और उत्तरी इलाकों की तरफ बढ़ती है. इस मौसम के दौरान पश्चिमी घाट से लगे राज्यों में मानसून दस्तक देता है.
क्या होता है प्री-मानसून
प्री-मानसून बारिश को मैंगो शावर भी कहते हैं. वर्नल इक्विनॉक्स के बाद जैसे ही सूर्य कर्क रेखा (Tropic of Cancer) की ओर बढ़ता है पूरे भारत में तापमान बढ़ने लगता है. इसी समय प्री-मानसून सीजन की शुरुआत होती है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार प्री-मानसून मार्च से मई तक रहता है. इस अवधि में होने वाली बारिश को प्री-मानसून बारिश कहते हैं.
कहां से आया मानसून शब्द
मानसून शब्द अरबी शब्द मौसिम से बना है जिसका अर्थ मौसमी हवाएं होता है. मानसून शब्द देने वाले अल-मसूदी एक प्रख्यात लेखक और विद्वान थे. उन्होंने अपनी किताब में यह भी लिखा था कि इन हवाओं का इस्तेमाल उर्जा के स्रोत के तौर पर भी किया जाता है.
भारत में कितने प्रकार के मानसून
भारत में मानसून दो प्रकार के होते हैं, जिन्हें समर मानसून और विंटर मानसून कहा जाता है. समर मानसून की शुरुआत जून और सितंबर महीने के बीच होती है और यह भारत के दक्षिण-पश्चिम इलाकों को प्रभावित करता है. जुलाई के अंत में मानसून उत्तर भारत तक पहुंचता है. समर मानसून को आप दूसरे शब्दों में साउथवेस्ट मॉनसून भी कह सकते हैं. वहीं अक्टूबर और दिसंबर के महीने में आने वाले मानसून को विंटर मानसून कहा जाता है. विंटर मानसून तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में बारिश करता है जो नॉर्थईस्ट ट्रेड विंड्स की वजह से होता है.
भारत में मानसून की प्रक्रिया
अरब सागर से आने वाली हवाएं उत्तर की ओर बढ़ते हुए 10 जून तक मुंबई पहुंचती हैं. मानसून जून के पहले सप्ताह तक असम आ जाता है. इसके बाद हिमालय से टकराने के बाद हवाएं पश्चिम की ओर मुड़ जाती हैं. मानसून कोलकाता शहर में मुंबई से कुछ दिन पहले 7 जून के आसपास पहुंच जाता है. मध्य जून तक अरब सागर से बहने वाली हवाएं सौराष्ट्र, कच्छ और मध्य भारत के प्रदेशों में फैल जाती हैं. इसके बाद बंगाल की खाड़ी और अरब सागर हवाएं फिर एकसाथ होकर बहने लगती हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पूर्वी राजस्थान में 1 जुलाई से बारिश शुरू करा देती हैं.
दिल्ली में मानसून कई बार पूर्वी दिशा से आता है और बंगाल की खाड़ी के ऊपर से बहने वाली धारा का हिस्सा होता है. कई बार दिल्ली में यह पहली बौछार अरब सागर के ऊपर से बहने वाली धारा का हिस्सा बनकर दक्षिण दिशा से आती है. आधी जुलाई गुजरते-गुजरते मानसून कश्मीर और देश के बाकी बचे हुए हिस्सों में भी फैल जाता है. हालांकि, तब तक इसकी नमी काफी कम हो चुकी होती है.