मध्य प्रदेश के टीमकगढ़ की एक लड़की, जो कृष्ण भजन गाती थी, भागवत कथा सुनाती थी. अचानक सियासत में आती है और 10 सालों से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज दिग्गज लीडर दिग्विजय सिंह को सत्ता से बेदखल कर देती है. बीजेपी को सबसे बड़ी जीत दिलाती है. इसका इनाम मुख्यमंत्री की कुर्सी के तौर पर मिलता है. लेकिन एक गैर जमानती वारंट की वजह से सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद बागी तेवरों की वजह से उमा भारती को बीजेपी से बाहर जाना पड़ा. हालांकि फिर पार्टी में उनकी वापसी हुई. लेकिन पार्टी में ताकत नहीं मिली. चलिए आपको मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं उमा भारती की पूरी कहानी बताते हैं.
पहली बार कैसे बनीं सांसद-
उमा भारती का जन्म 3 मई 1959 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के डुंडा गांव में हुआ था. उन्होंने 6वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद वो कथावाचक बन गईं. वो छोटी उम्र में ही भागवत का पाठ करने लगी थीं. धीरे-धीरे उनकी ख्याति बढ़ती गई. राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने भी उमा भारत के बारे में सुना. इसके बाद उमा राजमाता के करीब हो गईं. साल 1984 का साल आया. राजमाता ने उनको खजुराहो से बीजेपी का टिकट दिलाया. लेकिन उमा भारती को हार का सामना करना पड़ा. इस दौरान संघ में उनका संपर्क बढ़ा. साल 1989 के चुनाव में खजुराहो से फिर उनको टिकट मिला. इस बार वो सांसद बन गईं. वो साल 1991 में एक फिर से इसी सीट से सांसद बनीं.
वाजपेयी सरकार में बनीं मंत्री-
उमा भारती ने जोरशोर से राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा लिया. उनके भाषणों का कैसेट बांटा गया. साल 1992 में बाबरी मस्जिद तोड़ दी गई. इसके बाद उमा भारती का कद बीजेपी में तेजी से बढ़ता गया. खजुराहो सीट से उमा भारती 3 बार सांसद रहीं. इसके बाद साल 1999 में भोपाल से सांसद चुनी गईं. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उनको मंत्री बनाया गया.
साल 2002 में उमा भारती को मध्य प्रदेश का अध्यक्ष बनने को कहा गया. लेकिन इन्होंने इनकार कर दिया. कैलाश जोशी को अध्यक्ष और बाबूलाल गौर को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.
उमा भारती की CM पद पर ताजपोशी-
उमा भारत लगातार मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय रहीं. मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ खूब आंदोलन किए. उमा भारती का कद बढ़ता गया. फिर आया वो दिन, जब उमा भारती को सीएम चेहरा घोषित किया गया. चुनाव से 6 महीने पहले एक रैली में अटल बिहारी वाजपेयी ने सीएम चेहरे के तौर पर उमा भारती के नाम का ऐलान किया. इसके बाद उमा भारती दिग्विजय सिंह पर और भी हमलावर हो गईं. उनके शासन पर सवाल उठाए. चुनाव हुए. वोटों की गिनती हुई. जनता ने उमा भारती के सवालों पर मुहर लगा दिया. मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन का अंत हो चुका था. सूबे में बीजेपी को सबसे बड़ी जीत मिली थी. 8 दिसंबर 2003 को उमा भारती ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. वो 259 दिन तक मुख्यमंत्री रहीं और 23 अगस्त 2004 को इस्तीफा दे दिया. उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ था. इसके बाद उनको अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
उमा भारती और गोविंदाचार्य का किस्सा-
30 जून 2004 को भोपाल के रविंद्र भवन में एक कार्यक्रम में उमा भारती ने गोविंदाचार्य को लेकर एक बयान दिया था. उन्होंने कहा कि साल 1991 के लोकसभा चुनावों के बाद गोविंदाचार्य ने मुझसे विवाह करने की इच्छा प्रकट की थी. लेकिन ये बात जैसे ही मेरे भाई को पता चली तो उन्होंने इस प्रस्ताव को तत्काल खारिज कर दिया. इसके एक साल बाद 17 नवंबर 1991 को मैंने सन्यास ले लिया. इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष कैलाश जोशी, संगठन मंत्री कप्तान सिंह और गोविंदाचार्य मौजूद थे.
उमा को बीजेपी से निकाल दिया गया-
नवंबर 2004 में बीजेपी मुख्यालय में बैठक चल रही थी. पार्टी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि उमा भारती, मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन जैसे नेता एक-दूसरे के खिलाफ क्यों बयान देते हैं? मुझे अच्छा नहीं लगता. ये तरीका बंद होना चाहिए. आडवाणी के इतना बोलने पर उमा भारती खड़ी हुईं और कहा कि इस हॉल में 4-5 नेता बैठे हैं, जो मेरे खिलाफ ऑफ द रिकॉर्ड ब्रीफिंग कर अखबारों में खबरें छपवाते हैं. मुझे अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए सफाई देनी पड़ती है. इसे अनुशासनहीनता कहा जा रहा है, जो लोग राज्यसभा में बैठे हैं, उन्हें कुछ काम तो है नहीं, बस यही करते हैं.
इसके बाद उमा भारती को पार्टी से निकाल दिया गया. 30 अप्रैल 2006 को उमा भारती ने उज्जैन में भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई. साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेएस ने 213 सीटों पर चुनाव लड़ा. लेकिन सिर्फ 6 सीटों पर जीत मिली. उमा भारती खुद चुनाव हार गईं. इसके कुछ सालों बाद साल 2011 में उनकी बीजेपी में वापसी हुई.
यूपी में बनाई गईं सीएम चेहरा-
साल 2012 में उत्तर प्रदेश में चुनाव हुए. बीजेपी ने इस चुनाव में उमा भारती को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया था. उमा भारती ने हमीरपुर की चरखारी सीट चुनाव जीता. लेकिन पार्टी को जीत नहीं दिला पाईं. इसके बाद यूपी के झासी में सांसद बनीं. केंद्र में एक बार फिर मंत्री बनीं. फिलहाल उमा भारती सियासी तौर पर करीब-करीब गुम हो चुकी हैं.
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