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जज ने बना दी जोड़ी! ड्रामा, एक्शन और इमोशन.. रील नहीं रियल है ये इश्क की दास्तां

कहते हैं प्यार का कोई मजहब नहीं होता तभी तो आज गुलजार और आरती दो अलग- अलग धर्मों के होते हुए भी एक हो गए हैं. दोनों की इस कहानी ने समाज की पुरानी और पिछड़ी हुई सोच को भी कहीं दूर छोड़ दिया है.

आरती और गुलजार आरती और गुलजार
हाइलाइट्स
  • बाली उमर में परवान चढ़ा इश्क

  • चार साल बाद अदालत ने दोनों को मिलवाया

प्यार के इजहार का मौसम चल रहा है. इस मौसम में दो प्यार करने वालों की जीत पर मजहब की दीवार तोड़ते हुए हाई कोर्ट ने मुहर लगाई है. गुलजार और आरती नाम के दो युवाओं की इस कहानी ने हमारे समाज के स्टीरियोटाइप सोच को भी तोड़ा है.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक आरती और गुलजार दोनों एक दूसरे के पड़ोसी हैं. आरती 10वीं तक पढ़ीं हैं. दोनों के प्यार का सिलसिला  2018 में शुरू हुआ था. दो साल बाद साल 2020 में दोनों के रिशते की बात दोनों के परिवार वालों को हो गई. इसके बाद आरती के परिवार वालों ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी. आरती के परिवार वालों ने पूरे दो साल आरती पर जुल्म ढाए. आरती के पापा को ये रिशता मंजूर नहीं था.आगे आरती की पढ़ाई भी छुड़वा दी गई.फोन पर बातचीत के दौरान आरती और गुलजार ने शादी करने का तय किया. 

जैसे तैसे कर के दोनों  2020 में जबलपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे. एसडीएम कोर्ट पहुंचते ही आरती के पापा के दोस्त सोनू यादव मिल गए. उन्होंने सारी बात आरती के घर पर बता दी. घरवालों ने आरती की जमकर पिटाई की. आरती के पापा ने उसे उठाकर पटक दिया. उसकी कमर की हड्‌डी में फ्रैक्चर आ गया. वह अलग-अलग हॉस्पिटल्स में महीने भर भर्ती रही. उसे पूरी तरह ठीक होने में एक साल लग गया. 

बाद में दोनों को ये महसूस हो गया कि जबलपुर में रह कर शादी करना मुश्किल है. उसी दौरान आरती को दिल्ली के लीड इंडिया ग्रुप के सुभाष सिंह के बारे में जानकारी हुई. बता दें कि लीड इंडिया ग्रुप इस तरह की शादी कराने में मदद करता है. 27 दिसंबर को आरती और गुलजार ट्रेन से जबलपुर से मुंबई के लिए भागे. 28 तारीख को दोनों ने सीधे बांद्रा कोर्ट पहुंचकर शादी की. BMC (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया. स्पीड पोस्ट से जानकारी घरवालों और जबलपुर के गोरखपुर थाने को दे दी.

इधर,आरती के घरवालों ने ओमती थाने (जबलपुर) में आरती की गुमशुदगी दर्ज करा दी. मोबाइल से लोकेशन ट्रेस कर ओमती पुलिस आरती के पापा के साथ मुंबई आ गई. आरती ने बताया कि उनके पापा ने पुलिस के सामने आरती को पीटा. उसके बाद पुलिस दोनों के लेकर मुंबई के निर्मल थाने पहुंची. वहां से जबलपुर ले आई. 

इस सब के बाद आरती को उसके घरवालों ने गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) उसके ननिहाल भेज दिया. गुलजार ने बताया कि एक हफ्ते बाद आरती का फोन आया कि उसे वहां बंधक बनाकर रखा गया है. उसने फंदा लगाने की भी कोशिश की थी. मामा ने दरवाजा तोड़कर उसे बचाया था. वहां उसने 7 दिन तक खाना नहीं खाया.

इतना सब कुछ होने के बाद गुलजार ने दिल्ली के लीड इंडिया ग्रुप के सुभाष सिंह से फिर बात की. उन्होंने हाईकोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट (हैबियस कॉपर्स कानून की वह व्यवस्था है, जिसके तहत कोई भी किसी को गैरकानूनी ढंग से बंधक बनाए जाने की शिकायत कर सकता है।) दाखिल कराने की बात कही. 17 जनवरी को एडवोकेट जुनेद खान और सचेंद्र रघुवंशी के जरिए से जबलपुर हाईकोर्ट में हेबियस कॉर्पस रिट दाखिल की. साथ ही गोरखपुर थाने में भी शिकायत की. 

गोरखपुर TI ने आरती के घरवालों को लड़की को पेश करने को कहा. 28 की सुबह आरती को गोरखपुर पुलिस हाईकोर्ट लेकर पहुंची. पेशी और सुनवाई के बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने 27 साल के गुलजार और 19 साल की आरती साहू को साथ रहने का फैसला सुनाया.