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MP: परिवार में जन्मी जुड़वा बेटियां तो किसान ने बेटियों को बग्घी पर बैठाकर निकाला जुलूस

आमतौर पर लोग बेटे पैदा होने पर खुशी मनाते हैं लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे अब यह सोच बदल रही है. मध्यप्रदेश के धार में बेटी के जन्म पर खुशी और उत्साह की ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसकी हर कोई चर्चा कर रहा है. धार जिले के एक किसान ने बेटियों के जन्म पर ना केवल जश्न मनाया बल्कि परिवार के लोगों ने गांव में जुलूस भी निकाला.

Mother with her twin daughters Mother with her twin daughters
हाइलाइट्स
  • बेटियों को बताया लक्ष्मी का रूप

  • गणेश चतुर्थी के दिन पैदा हुई बेटियां

आमतौर पर लोग बेटे पैदा होने पर खुशी मनाते हैं लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे अब यह सोच बदल रही है. मध्यप्रदेश के धार में बेटी के जन्म पर खुशी और उत्साह की ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसकी हर कोई चर्चा कर रहा है. धार जिले के एक किसान ने बेटियों के जन्म पर ना केवल जश्न मनाया बल्कि परिवार के लोगों ने गांव में जुलूस भी निकाला. इस दौरान दोनों बच्चियों और मां को बग्घी में बिठाया और परिवार के लोग बग्घी के सामने नाचते झूमते रहे. 

गणेश चतुर्थी के दिन पैदा हुई बेटियां
दरअसल कोंणदा में रहने वाले मयूर भायल की पत्नी ने 4 महीने पहले दो जुड़वा बेटियों को जन्म दिया था. गणेश चतुर्थी के दिन दोनों जुड़वा बेटियों ने जन्म लिया था. लिहाजा उनका नाम रिद्धि सिद्धि रखा गया है. 4 महीने के बाद जब दोनों जुड़वा बेटियां आपके नाना जी के घर से अपने दादाजी के घर आई तो परिवार के लोगों ने जमकर जश्न मनाया. इस दौरान पूरे गांव में जुलूस निकाला गया और बग्घी पर दोनों जुड़वा बेटियों और उनकी मां को बिठाया और गांव में घुमाया गया. डीजे और ढोल बाजे के साथ परिवार और स्थानीय लोगों ने हर्षोल्लास के साथ रिद्धि सिद्धि का बड़े ही प्यार के साथ स्वागत किया. 

बेटियों को बताया लक्ष्मी का रूप
परिवार के मुखिया और मासूम के दादा मोहन भायल ने गांव के लोगों की सोच की प्रशंसा की और कहा कि डेढ़ साल पहले अपने बेटे की शादी की थी और अब दो जुड़वा बेटियों को पाकर बहुत खुश हैं. बच्चियों के दादा मोहन भायल के मुताबिक बेटियां तो लक्ष्मी का रूप होती हैं इसलिए उन्होंने अपने घर पर लक्ष्मी आगमन की खुशी पूरे गांव के साथ बांटी.आमतौर पर आदिवासी बहुल धार जिले में प्रति एक हजार बालकों में बालिकाओं का लिंगानुपात करीब 913 है लेकिन बेटियों को लेकर किसान मोहन जैसी सोच अगर हो तो भविष्य के लिए यह एक सकारात्मक संकेत जरूर है. 

(मध्यप्रदेश से रवीश पाल सिंह की रिपोर्ट)