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M. S. Swaminathan: 1964 में इसी गांव से स्वामीनाथन ने शुरू की थी हरित क्रांति...बोया था चमत्कारी गेहूं

स्वामीनाथन वो शख्स थे जिन्होंने 1949 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद, पुलिस सेवा में शामिल नहीं होने का फैसला किया वो कृषि क्षेत्र में काम करना चाहते थे .गेंहू की अधिक उपज देने वाली किस्मों को पहली बार 1964 में बोया गया था.

हरित क्रांति के जनक हरित क्रांति के जनक

देश में हरित क्रांति के जनक माने जाने वाले कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन का 28 सितंबर को चेन्नई में निधन हो गया. एक जमाने में भारत, अमेरिका से मंगाए गए अनाज पर पूरी तरह निर्भर था. साल 1965 तक भारत में गेहूं का उत्पादन मुश्किल से 1 करोड़ 20 लाख टन था. उसके बाद के दशकों में, वार्षिक गेहूं उत्पादन लगभग 10 गुना बढ़कर 112 मिलियन टन हो गया इसका श्रेय स्वामीनाथन को जाता है. स्वामीनाथन का ये योगदान देश सदियों तक याद रखेगा. चेन्नई से दूर उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जौंती गांव के किसान भी आज उन्हें याद कर रहे हैं. लेकिन इसमें क्या खास है, जानिए.

दरअसल दिल्ली और हरियाणा की सीमा पर बसा जौंती वही गांव है, जहां गेंहू की अधिक उपज देने वाली किस्मों को पहली बार 1964 में बोया गया था. इसे कुल 70 एकड़ में बोया गया था. इसी गांव से देश और दुनिया ने गेंहू की पैदावार में हरित क्रांति की चमक को देखा था. 

क्या है गांव की कहानी
हुकुम सिंह छिकारा वो इंसान हैं जिनकी भूमि पर पहली बार गेंहू बोया गया था. हुकुम सिंह को जब इस बारे में पता चला तो वह बहुत उदास हो गए. उन्होंने स्वामीनाथन को याद करते हुए कहा, “वह एक सज्जन, मेहनती व्यक्ति थे, जिन्होंने हमारे लिए और दुनिया के लिए अच्छा किया.”93 वर्षीय राममेहर सिंह, जिनके पिता चौधरी भूप सिंह भी जौंती के पहले किसानों में से थे, जिन्होंने अपने खेत में अधिक उपज देने वाली किस्म बोई थी ने कहा, “स्वामीनाथन ने गेहूं से भर दिया देश को. उन्होंने शुरुआत के लिए हमारे गांव को चुना. दूसरी जगहों से किसान यहां बीज खरीदने आते थे और उस समय खूब बिक्री होती थी.”साल 1965 में जवाहर जौंती बीज सहकारी समिति की स्थापना की गई और जो किसान इसका हिस्सा थे, उन्होंने गेहूं के बीज बेचे.

73 वर्षीय मास्टर राधा सिंह ने कहा, ''स्वामीनाथन ने 1967 में सहकारी समिति के सीड-प्रोसेसिंह सेंटर का उद्घाटन करने के लिए प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को गांव में बुलाया था. यह भी गर्व की बात है. सिंह ने कहा, "वह लगभग हर साल गांव का दौरा करते थे." सीड-प्रोसेसिंग सेंटर अब दिल्ली सरकार का डिस्पेंसरी है, जहां इसके इतिहास को दर्शाता एक लुप्त होता बोर्ड लगा है.

आज भी लोग करते हैं याद
चौधरी भूप सिंह के पोते ओमप्रकाश छिकारा के लिए स्वामीनाथन उनके परिवार का हिस्सा थे, जिन्होंने गांव को बहुत कुछ दिया. इन्हीं में से एक हैं सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक ओम प्रकाश जिनके परिवार के पास 16 एकड़ जमीन है. उन्होंने कहा कि नई किस्मों के साथ उपज बढ़ी और हमारी समृद्धि को भी फायदा हुआ. 14 एकड़ जमीन के मालिक कुलदीप ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में कहा, ''हमारा गांव आज स्वामीनाथन के कारण जाना जाता है. 'हरित क्रांति' यहीं से शुरू हुई. यह आज भी मेरी पीढ़ी और पुराने लोगों के बीच चर्चा में है. स्वामीनाथन वो शख्स थे जिन्होंने 1949 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद भी भारतीय पुलिस सेवा में शामिल नहीं होने का फैसला किया था. इसके बदले उन्होंने कृषि के क्षेत्र में काम करने को प्राथमिकता दी.

बता दें कि जिस वक्त जौंती गांव में हरित क्रांति की शुरुआत हुई थी, उस समय खेतों की सिंचाई के लिए नहर से पानी मिलता था. यह क्षेत्र बहुत ही उपजाऊ था. हालांकि अभी की बात करें तो नदी ने पानी लाना बंद कर दिया है और भूजल का स्तर गिर चुका है.

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