भारत में मुंबई-अहमदाबाद रूट पर अपनी पहली बुलेट ट्रेन सर्विस के लिए तैयार है. इसके लिए अरब सागर के नीचे 21 किमी लंबी अंडरवाटर सुरंग का निर्माण ग्लोबल इंजीनियरिंग वर्ल्ड पर अमिट छाप है. यह महत्वाकांक्षी परियोजना मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का हिस्सा है. आज हम आपको बता रहे हैं इस अपकमिंग प्रोजेक्ट के बारे में 10 दिलचस्प फैक्ट्स.
भारत का पहला: भारत बुलेट ट्रेन के लिए अपनी पहली अंडरवाटर सुरंग बनाने के लिए तैयार है, जो मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
प्रभावशाली लंबाई: यह सुरंग अरब सागर के नीचे 21 किलोमीटर तक फैली होगी. इसमें एक इकोलॉजिकल सेंसिटिव इंटरटाइडल जोन, ठाणे क्रीक के नीचे 7 किलोमीटर का महत्वपूर्ण क्षेत्र भी शामिल है.
गहरा गोता (Deep Dive): भूवैज्ञानिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए, समुद्र की सतह से 25 से 65 मीटर की गहराई तक निर्माण किया जाएगा.
विशाल मशीनें: मेट्रो सुरंगों के विपरीत, जो 5-6 मीटर के कटर हेड के साथ छोटे टीबीएम का इस्तेमाल करती हैं, इस परियोजना के लिए 13.1-मीटर कटर हेड के साथ विशाल टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) की जरूरत होती है.
ड्यूअल एप्रोच: सुरंग की खुदाई के लिए, तीन टीबीएम 16 किलोमीटर तक खुदाई करेंगे, जबकि बाकी 5 किलोमीटर में न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (NATM) का इस्तेमाल किया जाएगा.
यात्रा का समय: एक बार पूरा होने पर, इस सुरंग में बुलेट ट्रेन 320 किलोमीटर प्रति घंटे तक की स्पीड से चल सकेगी, जिससे मुंबई और अहमदाबाद के बीच यात्रा में क्रांतिकारी बदलाव आएगा.
इनोवेटिव डिजाइन: सुरंग में दो पटरियों के साथ एक ट्यूब होगी, जो बुलेट ट्रेन के लिए बाई-डायरेक्शनल ट्रेवल की सुविधा प्रदान करेगी.
स्ट्रेटजिक लोकेशन: प्रमुख निर्माण तीन स्थलों पर होगा: घनसोली, शिलफाटा और विक्रोली. पहली टीबीएम घनसोली में खुदाई शुरू करेगी, जो ठाणे क्रीक की ओर जाएगी.
पर्यावरण संरक्षण: पानी के नीचे सुरंग बनाने से ठाणे क्रीक में फ्लेमिंगो अभयारण्य और मैंग्रोव वन को संरक्षित करने में मदद मिलेगी. और घनी आबादी वाले मुंबई में भूमि अधिग्रहण की चुनौतियों से भी बचा जा सकता है.
पहले का अनुभव: भारत ने पहले पानी के नीचे सुरंगों का निर्माण किया है, जैसे हुगली नदी के नीचे कोलकाता मेट्रो सुरंग और मीठी नदी के नीचे लाइन 3 पर मुंबई की अंडरवाटर मेट्रो टनल.
यह महत्वाकांक्षी परियोजना भारत की बढ़ती इंजीनियरिंग शक्ति और पर्यावरण और लॉजिस्टिक विचारों को संतुलित करते हुए हाई-स्पीड रेल इंफ्रास्ट्रक्चर को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है.