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Mumbai Cyber Police: मुंबई साइबर पुलिस देशभर में सुसाइड रोकने पर कर रही है काम, 6 लोगों की टीम अभी तक बचा चुकी कई लोगों की जान  

Mumbai Cyber Police: मुंबई साइबर पुलिस देशभर में सुसाइड रोकने का काम कर रही है. इस टीम में 6 लोग हैं, ज अब तक 31 लोगों की जान बचा चुकी है.

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हाइलाइट्स
  • पूरे देश में काम कर रही है ये टीम 

  • 31 लोगों को सुसाइड करने के रोका है

कई सारे लोग जिंदगी से परेशान होकर अपनी जान ले बैठते हैं. उन्हें सुसाइड या आत्महत्या ही आखिरी ऑप्शन नजर आता है. यही कारण है कि भारत में 2020 के मुकाबले 2021 में सुसाइड रेट 12 प्रतिशत बढ़ा है. लेकिन कुछ लोग हैं जो इसे रोकने के लिए और लोगों की जान बचाने के लिए लगे हुए हैं. इन्हीं में से के हैं मुंबई की साइबर पुलिस. मुंबई साइबर पुलिस की इस टीम में 6 लोग हैं. ये टीम टेक कंपनी मेटा के फेसबुक या इंस्टाग्राम यूजर्स के सुसाइड पोस्ट के अलर्ट पर काम कर रही है. 

किस तरह करती है ये टीम काम?

दरअसल, मेटा उसके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट होने वाले टेक्स्ट, वीडियो और फोटो पर पर बारीकी से नजर रख रही है. इसमें छत के पंखे से लेकर चाकू, जहर या गोलियां तक ​​पर नजर रखी जा रही है. यानी अगर कोई यूजर इस तरह के पोस्ट करते हुए देखा जाता है जिससे ये संकेत मिल रहा हो कि वह सुसाइड का प्रयास कर रहा है तो मेटा उसका अलर्ट भेजता है. ये अलर्ट मुंबई साइबर पुलिस के पास जाता है और वे आगे की कार्रवाई करते हैं.  

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी से अप्रैल 2023 के बीच, साइबर पुलिस ने इस तरह पूरे भारत में 31 लोगों को सुसाइड करने के रोका है. इस तरह के अलर्ट से निपटने का काम ये टीम ऑनलाइन अपराधों को सुलझाने के नियमित काम के साथ करती है. 

इस तरह बचाते हैं लोगों की जान 

अगर यूजर का फोन नंबर आसानी से उपलब्ध है, तो ये टीम संकट में पड़े व्यक्ति से बात करने या समझाने के लिए कॉल करती है. और अगर कोई फोन नंबर नहीं है या वह बंद आ रहा है, तो साइबर पुलिस टीम उस यूजर तक पहुंचने का प्रयास करती है. इसके लिए वे उनके पास के पुलिस स्टेशन से संपर्क करते हैं और अधिकारियों से उनसे मिलने का अनुरोध करते हैं.

इसको लेकर टीओाई से डीसीपी (साइबर) बालसिंह राजपूत कहते हैे, "यह देखना हमारे लिए बेहद संतोषजनक है कि हमारे हस्तक्षेप से लोगों की जान बचाने में मदद मिल रही है."

किस तरह के मामले सामने आते हैं?

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस इंस्पेक्टर सुवर्णा शिंदे भी इसी साइबर पुलिस टीम के मेंबर हैं. उन्हें हाल ही में जब एक सोलापुर के एक गांव के लड़के का सुसाइड पोस्ट दिखा तो उन्होंने उसे समझाया. ये पोस्ट परीक्षा में फेल होने के बाद का था. युवक को समझाते हुए पुलिस इंस्पेक्टर ने कहा, “चलो यार, तुम सिर्फ इसलिए खुद को मारने के बारे में नहीं सोच सकते क्योंकि तुम असफल हो गए हो. मैं भी बचपन में फेल हो गया था. अगर मैंने हार मान ली होती, तो आज मैं एक पुलिस अधिकारी नहीं होता.” दरअसल, साइबर पुलिस इस काम को अनौपचारिक बातचीत करके एक दोस्त की तरह भी समझाते हैं.

पूरे देश में काम कर रही है ये टीम 

हालांकि, टीम का काम इतना भी आसान नहीं है. इसके लिए पहले मेटा अलर्ट भेजता है, जिसके बाद ये अलर्ट साइबर पुलिस के सब-इंस्पेक्टर धनविश पाटिल इस इनपुट को व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करते हैं. जिसके बाद टीम काम पर लगती है. मेटा के इनपुट केवल महाराष्ट्र के फेसबुक यूजर तक ही सीमित नहीं हैं. इसका एक उदाहरण है कि वाराणसी के एक निवासी ने एक वीडियो क्लिप अपलोड की थी जिसमें वह अपने बच्चों को किसी प्रकार का तरल पदार्थ पिलाते हुए देख रहा है. बच्चों के मना करने के बाद भी वह नहीं रुकता है. जिसके बाद तुरंत उस आदमी के पुलिस को भेजा गया और उस वीडियो को फेसबुक से हटवाया गया.