कहते हैं कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं और ये बात कई मायनों में सही साबित होती है. हाल ही में महाराष्ट्र में कुछ ऐसा ही हुआ. यहां मुंबई के एक कार्डियोथोरेसिक सर्जन फेफड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए चेन्नई जा रहे थे. उनके साथ उनकी टीम भी थी. लेकिन जिस एंबुलेंस से ये सभी जा रहे थे वो दुर्घटना का शिकार हो गई. महाराष्ट्र के पिंपरी-चिंचवड़ क्षेत्र में एंबुलेंस पुणे-मुंबई राजमार्ग पर दो वाहनों से टकराने के बाद हैरिस पुल की दीवार से टकरा गई. इसके बाद से हड़कंप मच गया. इस हादसे में सर्जन और उनके एक साथी घायल हो गए. लेकिन उन्हें अपना कर्तव्य पहले याद आया और वो ऐसी ही हालत में फेंफड़े लेकर ट्रांसप्लांट करने के लिए चेन्नई पहुंचे और सर्जरी की.
सर्जन का नाम डॉ. संजीव जाधव है और वो मुंबई के अपोलो अस्पताल में हृदय और फेफड़ों के सर्जन हैं. वह ब्रेन डेड 19 वर्षीय युवक के फेफड़ों को निकालने के लिए पिंपरी के डीवाई पाटिल अस्पताल पहुंचे थे. चूंकि ऑपरेशन को इमरजेंसी में किया गया इसलिए पुलिस पिंपरी के डीवाई पाटिल अस्पताल से पुणे के लोहेगांव हवाई अड्डे तक ग्रीन कॉरिडोर नहीं बना सकी. हवाई अड्डे के रास्ते में, एम्बुलेंस पहले एक पिकअप वैन से टकरा गई, फिर वो एक एमएसआरटीसी बस से टकराई. अंत में वो हैरिस पुल की दीवार से टकरा गई.
कैसे पहुंचे हवाईअड्डे
पुलिस ने बताया कि डीवाई पाटिल अस्पताल की एक कार एम्बुलेंस के पीछे चल रही थी. डॉ. जाधव अपनी टीम और फेफड़ों के साथ कार में सवार हुए और हवाई अड्डे पर पहुंचे. वहां से टीम चेन्नई के लिए एक चार्टर विमान में सवार हुए. जानकारी के मुताबिक जिस मरीज की सर्जरी की गई है वह 72 दिनों से लाइफ सपोर्ट पर थे. उन्हें लंग्स का कैंसर था. सर्जरी के बाद वह तेजी से रिकवर कर रहे हैं और ठीक हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक डॉ संदीप जाधव ने बताया कि हादसे में उनके पैर और हाथ में चोट लग गई. यही नहीं सर्जरी करने वाली टीम के दूसरे डॉक्टरों को भी चोटें आईं. लेकिन फर्ज के सामने यह हादसा उन्हें मामूली लगा. दूसरी गाड़ी के जरिए उनकी टीम पुणे के लोहेगांव एयरपोर्ट पहुंची और चेन्नई के लिए रवाना हो गए. डॉ संदीप जाधव बताते हैं कि जिस शख्स में लंग्स को ट्रांसप्लांट किया जाना था. वो पिछले 72 दिनों से एक्स्ट्राकॉरपोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजीनेशन पर था. इसे हाई ग्रेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम माना जाता है. अगर मरीज में सही समय पर ट्रांसप्लांट नहीं किया गया होता तो उसकी मौत हो जाती.