देश में धर्म, मजहब, संप्रदाय के लिए लड़ते लोगों को तो आपने बहुत देखा होगा. कहीं हिजाब के लिए लड़ाई है तो कहीं नमाज के लिए. पर इन सबसे अलग उत्तर प्रदेश के लखनऊ विश्वविद्यालय की एक मुस्लिम छात्रा ने संस्कृत में महारथ हासिल की है. मुस्लिम परिवार में जन्मी इस छात्रा को संस्कृत में महारथ हासिल करने के चलते 5 गोल्ड मेडल लखनऊ युनिवर्सिटी की तरफ से मिला है.
मुस्लिम परिवार में जन्मी 23 साल की गजाला को संस्कृत में अपनी उपलब्धियों के चलते उन्हें लखनऊ युनिवर्सिटी से 5 गोल्ड मेडल मिले हैं. गजाला ने यूपी तक से खास बातचीत में अपनी यात्रा को साझा किया. लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्रा गजाला ने को ऋग्वेद के मंत्र, गायत्री महामंत्र ना सिर्फ याद हैं बल्कि उन मंत्रों के अर्थ भी पता हैं. मुस्लिम परिवार में जन्मी गजाला का कहना है कि उसकी सफलता का पूरा क्रेडिट मेरी फैमिली, मेरी अम्मी को जाता है. उन्होंने कहा कि मेरे दोनों भाइयों ने मुझे आगे बढ़ाने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी.
संस्कृत बोलने में मिलता है सुकून
गजाला ने बताया, "मुझे 14 साल की उम्र से ही संस्कृत भाषा में रुचि थी इसीलिए मैंने संस्कृत का चुनाव किया. मुझे संस्कृत बोलने में ही बहुत सुकून मिलता है. मेरे गुरुजन मेरा बहुत सपोर्ट किए हैं." उन्होंने आगे बताया, "जब मैं आर्य कन्या इंटर कॉलेज में पढ़ती थी, उसी वक्त मेरा संस्कृत में रुझान हुआ. संस्कृत की व्याकरण पढ़ने में मजा आता था, जब भी मैं ग्रामर करती और अपने टीचर को दिखाती तो मुझे अच्छा नंबर मिलता."
10वीं क्लास में संस्कृत में 96 प्रतिशत मार्क्स आए थे
गजाला ने अपने फैमिली बैकग्राउंड पर बात करते हुए बताया कि जब मेरे पिताजी की मौत हो गई, उस वक्त मैंने सोचा कि मैं पढ़ाई छोड़ दूंगी. पर उसके बाद मेरे 10वीं क्लास में संस्कृत में 96 प्रतिशत मार्क्स आए थे. जिसके बाद मेरी टीचर ने कहा कि तुम्हें पढ़ाई छोड़ने की जरूरत नहीं है, तुम पढ़ाई करती रहो. मेरी टीचर अर्चना ने मुझे प्रिंसिपल के पास लग गई. प्रिंसिपल मैम ने कहा पढ़ाई छोड़ने की जरूरत नहीं है, तुम्हारी पढ़ाई हम लोग करवाएंगे. बाद में मैंने पढ़ाई की और संस्कृत में टॉप किया. उस वक्त अखिलेश यादव ने मुझे 30 हजार का पहला इनाम दिया था.
संस्कृत को नहीं मानती किसी धर्म की भाषा
लखनऊ युनिवर्सिटी की छात्रा का कहना है कि संस्कृत भाषा सिर्फ ब्राह्मणों की भाषा नहीं है. हम इस भाषा को किसी धर्म से रिलेट नहीं कर सकते हैं. यहां तक कि मेरे प्रोफेसर, मेरे टीचर्स ने मुझे कभी यह नहीं सिखाया कि यह भाषा किसी एक धर्म की है और ऐसा है भी नहीं. गजाला का कहना है कि मेरी फैमिली वालों ने कभी नहीं मना किया कि यह संस्कृत भाषा किसी एक धर्म की है, उन्होंने हमेशा मुझे प्रोत्साहन दिया. पढ़ाई के कारण मेरे घर में कई सैक्रिफाइस किए गए. मेरे दोनों भाई ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी ताकि मैं पढ़ सकूं. वह काम करने लगे और मेरा ख्वाब है कि मैं उनके अरमानों को पूरा करूं और एक दिन संस्कृत की प्रोफ़ेसर बनूं और वैदिक लिटरेचर पर रिसर्च करूं. गजाला को संस्कृत में पीएचडी करनी है.
संस्कृत में पीएचडी करना चाहती हैं
गजाला को संस्कृत में कई श्लोक याद हैं. उन्हें गायत्री मंत्र संस्कृत भाषा में सबसे प्रिय मंत्र है. इतना ही नहीं गजाला को ऋग्वेद के भी सैकड़ों मंत्र कंठस्थ हैं. गजाला बताती हैं कि संस्कृत के अलावा मुझे हिंदी, अरबी, इंग्लिश और उर्दू भाषा का ज्ञान है. गजाला ने बताया, "5 गोल्ड मेडल के अलावा मुझे और भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं. सबसे पहला पुरस्कार मुझे 10वीं क्लास में मिला था, जिसे अखिलेश यादव ने चेक के तौर पर दिया था. इसके अलावा भी मुझे कई प्राइज मिले हैं. इसके बाद मैंने सोचा कि मैं एक बार जरूर लखनऊ युनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल जीतना चाहूंगी और यह सपना मेरा पूरा हुआ." गजाला ने आगे कहा, "मैं यही कहना चाहती हूं कि कोई भी विषय हो उसमें आपकी रूचि होनी चाहिए चाहे वह संस्कृत हो, हिंदी, इंग्लिश या कोई भी विषय उसको रुचि लेकर पढ़ना चाहिए. मैं सभी छात्रों से अपील करूंगी कि अपना सपना पूरा करने के लिए जी जान से लग जाएं."
(रिपोर्ट सत्यम मिश्रा)