
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 6 अप्रैल को अपना 46वां स्थापना दिवस मनाया. इस दौरान देशभर में बीजेपी कार्यालय पर कार्यक्रम आयोजित किए गए. बीजेपी हर तबके को पार्टी से जोड़ने का काम करती रही है. हिंदुत्व की पार्टी कही जाने वाली बीजेपी में अल्पसंख्यक तबके खासकर मुस्लिमों का नुमाइंदगी ज्यादा नहीं रही है. लेकिन ऐसा नहीं है कि बीजेपी में मुस्लिम लीडरशिप नहीं रही है. जन संघ से लेकर बीजेपी तक में मु्सलमानों लीडरशिप रही है. चलिए आपको बताते हैं कि जनसंघ और बीजेपी की मुस्लिम पॉलिटिक्स क्या रही है?
आरिफ बेग की जनसंघ की सदस्यता-
भारतीय जनसंघ की स्थापना साल 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी. लेकिन जनसंघ में मुस्लिमों की एंट्री में 22 साल लग गए. साल 1973 में पहले मु्स्लिम आरिफ बेग ने जनसंघ की सदस्यता ली. आरिफ बेग जनसंघ की स्वदेशी को बढ़ावा देने की विचारधारा से प्रभावित थे.
आपातकाल में जनसंघ और जमात-ए-इस्लामी में नजदीकियां बढ़ी. दोनों तरफ से नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. इस दौरान दोनों साथ आए. पंडित नेहरू के करीबी रहे सिकंदर बख्त जैसे लीडर जनसंघ के करीब आए.
जनता पार्टी से चुने गए मुस्लिम लीडर-
आपातकाल के बाद देश में चुनाव हुए. जनता पार्टी के टिकट पर कई मुस्लिम लीडर चुने गए. साल 1977 चुनाव में जनता पार्टी को जनसंघ का समर्थन रहा. मुसलमानों ने भी जनता पार्टी को खूब वोट दिया. जनता पार्टी के टिकट पर सिंकदर बख्त और आरिफ बेग सांसद चुने गए. दोनों नेता मोरारजी देसाई की सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ मंत्री रहे.
BJP के गठन में इन मुस्लिमों की अहम भूमिका-
अस्सी के दशक में जनता पार्टी टूट गई. इसके बाद जनसंघ के नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी का गठन किया. बीजेपी के गठन में मुस्लिम लीडर आरिफ बेग, सिकंदर बख्त और रमजान खान जैसे नेताओं का अहम रोल था.
आरिफ बेग मध्य प्रदेश की मुस्लिम बहुल बैतूल सीट से सांसद चुने गए थे. जबकि रमजान अली राजस्थान से विधायक बने थे. इसी समय बीजेपी ने अल्पसंख्यक सेल का गठन भी किया था. आरिफ बेग को उसका अध्यक्ष बनाया गया था. हालांकि जब साल 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहने के बाद बीजेपी में मु्स्लिमों की सियासत कमजोर होने लगी.
अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में मुस्लिमों का पार्टी से जुड़ाव बढ़ा. लखनऊ के एजाज हसन रिजवी, मुख्तार अब्बास नकवी और तनवीर हैदर जैसे शिया मुस्लिम बीजेपी से जुड़े. बिहार से आने वाले शाहनवाज हुसैन अटल बिहारी वाजपेयी के प्रिय बन गए. शाहनवाज हुसैन केंद्र में मंत्री भी रहे.
आरएसएस का राष्ट्रीय मुस्लिम मंच-
आरएसएस ने मुसलमानों को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच बनाया. साल 2009 के चुनाव से पहले मुसलमानों को पसमांदा मु्स्लिमों को बीजेपी से जोड़ने की पहल डॉ. एसके जैन ने की थी. पार्टी में कई मु्स्लिम लीडर उभरे.
साल 2014 के बाद बदली तस्वीर-
साल 2014 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने केंद्र में सरकार बनाई तो बीजेपी में मुसलमानों की नई सियासत सामने आई. एमजे अकबर और सैय्यद जफर इस्लाम जैसे लीडर पार्टी से जुड़े. हालांकि शाहनवाज हुसैन जैसे नेता साइडलाइन कर दिए गए.
मोदी सरकार में नजमा हेपतुल्ला को कैबिनेट मंत्री बनाया गया. मुख्तार अब्बास नकवी और एमजे अकबर को भी मंत्री बनाया गया. सैय्यद जफर इस्लाम को राज्यसभा भेजा गया. उत्तर प्रदेश में मोहसिन रजा को योगी सरकार में मंत्री बनाया गया. बीजेपी ने मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश की. फिलहाल उत्तर प्रदेश दानिश अंसारी मंत्री हैं.
बीजेपी के बड़े मुस्लिम चेहरे-
बीजेपी में शुरुआत से ही कई बड़े मुस्लिम लीडर रहे हैं. शुरुआत में आरिफ बेग और सिकंदर बख्त जैसे लीडर रहे तो रमजान खान और एजाज हसन रिजवी जैसे लीडर भी रहे. इनके अलावा मुख्तार अब्बास नकवी, शाहनवाज हुसैन, नजमा हेपतुल्ला, जफर इस्लाम, गुलाम अली खटाना, अब्दुल्ला कुट्टी, एजाज हसन रिजवी, तनवीर हैदर उस्मानी, दानिश आजाद अंसारी, मोहसिन रजा, युनुस खान, साबिर अली, आतिफ रशीद, शहजाद पूनावाला, खुर्शीदा किदवाई, शाजिया इल्मी, अब्दुल काजी कुरैशी, सूफी एम के चिश्ती जैसे लीडर हैं.
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