भारतीय पर्वतारोही नरेंद्र सिंह यादव (Narender Singh Yadav) ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) पर चढ़ कर नया रिकॉर्ड बनाया है. नरेंद्र ने महज 6 दिन में एवरेस्ट की ऊंचाई को फतह किया और सबसे कम समय में एवरेस्ट पर चढ़ने का नया रिकॉर्ड बनाया है. नरेंद्र यादव ने अपने इस एवरेस्ट अभियान का नाम ‘आजादी का अमृत महोत्सव- सबसे तेज एवरेस्ट अभियान 2022’ रखा. GNTTV.COM ने पर्वतारोही नरेंद्र यादव से उनके इस अभियान और आगे की योजनाओं को लेकर विस्तार से बातचीत की. पेश है इंटरव्यू के खास अंश.
20 को मिली परमिट, 27 मई को पहुंचे शिखर पर
नरेंद्र ने बताया कि बीते 20 मई को परमिट मिलने के बाद उन्होंने अपना अभियान शुरू किया. 21 मई को हेलीकॉप्टर से सीधे बेस कैम्प पहूंचे. 22 मई को रात एक बजे कैंप दो के लिए निकले और शिविर दो में 2 दिन आराम करने के बाद नरेंद्र 25 मई को शिविर तीन पहुंचे.
अगले दिन यानी 26 मई को नरेंद्र तड़के चार बजे कैंप के लिए रवाना हुए और दोपहर 2 बजे तक कैंप चार पहुंच गए. कुछ घंटों के आराम के बाद रात 9:30 बजे अंतिम शिखर के लिए रवाना हुए और 27 मई की सुबह 5 बजकर 02 मिनट पर आखिरकार नरेंद्र ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया. नरेंद्र ने वहां राष्ट्रगान गाकर आजादी के अमृत का जश्न मनाया और इस अभियान को रेजंगला युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को समर्पित किया. नरेंद्र कहते हैं कि मुझे अपना लक्ष्य हासिल करने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आई.
सूरज की पहली किरण के साथ हासिल किया लक्ष्य
नरेंद्र ने बताया कि जब वह माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचे तब सूरज की किरणें फूट रही थीं. नरेंद्र को सूरज की पहली किरण के साथ अपने लक्ष्य को हासिल करने की दोगुनी खुशी हुई. नरेंद्र कहते हैं, ‘मैं एक प्रोफेशनल माउंटेनियर हूं. मैंने माउंटेन क्लाइंब करने के सारे कोर्स करने के बाद इस फील्ड में आया हूं.’ नरेंद्र सात महाद्वीपों में से 5 महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों पर चढ़ाई कर चुके हैं. इनमें माउंट एवरेस्ट, किलिमंजारो को दो बार, एलब्रुस को ट्रैवल्स में, कोजास्को और ऑस्ट्रेलिया की 10 सबसे ऊंची चोटी और दक्षिण अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी एकंकागुआ को फतेह किया है. नरेंद्र ने कहा कि एवरेस्ट को 6 दिनों में फतह करने के लिए उन्होंने डेढ़ साल की ट्रेनिंग ली.
नरेंद्र को अबतक हरियाणा गौरव सम्मान मिल चुका है. नरेंद्र ने बताया कि उनका नाम 2020 में ट्रेनिंग ऑर्गेनाइजेशन एडवेंचर अवार्ड के लिए भी शॉर्टलिस्ट हुआ था लेकिन उन्हें ये अवार्ड नहीं मिल पाया. अवार्ड क्यों नहीं मिला, इस सवाल पर नरेंद्र कहते हैं कि उनके नाम को लेकर शुरू हुआ एक विवाद इसकी वजह थी. इस विवाद के बाद टीम लीडर ने इस अवार्ड को होल्ड पर रख दिया था. नरेंद्र के मुताबिक अभी ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अब नरेंद्र ये भी मानते हैं कि भले ही उन्हें ये अवार्ड ना मिला लेकिन आज उन्होंने एवरेस्ट फतह करके अपने ऊपर लगे इस दाग को भी धो दिया है.
अपने पिता और दीदी को मानते हैं आदर्श
भारतीय सेना में जवान कृष्णचंद के बेटे नरेंद्र का सपना दुनिया के सभी सात महाद्वीपों को जीतकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कराना है. हरियाणा में रेवाड़ी जिले के नेहरुगढ़ गांव के मूल निवासी नरेंद्र अभी 26 साल के हैं और वो 9 साल 11 महीने की उम्र से ही माउंटेन क्लाइंबिंग कर रहे हैं. नरेंद्र के पिता कृष्णचंद ने भी माउंटेनियरिंग का कोर्स किया है.
नरेंद्र की कजिन संतोष यादव भी एक कामयाब माउंटेनियर हैं. नरेंद्र अपने पिता और अपनी दीदी को अपना आदर्श मानते हैं. उनका अगला लक्ष्य उत्तरी अमेरिका की सबसे ऊंची चोटी डेनाली और अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विंसन फतह करना है. बता दें कि नरेंद्र को पिछले साल लॉस एंजिल्स डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट की तरफ से डॉक्टर ऑफ मोटिवेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया था.