प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में ‘भूल-सुधार अभियान’ (Historical Correction Campaign) में लगी है. अपने इसी अभियान के तहत 23 जनवरी, रविवार को प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) ने दिल्ली के इंडिया गेट (India Gate, New Delhi) के नीचे बनी छतरी पर नेता जी सुभाष चंद्र बोस (Neta Ji Subhash Chandra Bose) के स्टैचू को आधुनिक होलोग्राफिक तकनीक के जरिए खड़ा कर दिया. जल्दी ही इसकी जगह पत्थर की प्रतिमा ले लेगी, जो अभी बन रही है.
ऐसे में ये जानना जरूरी है कि आखिर नरेंद्र मोदी सरकार अपने इस ‘भूल-सुधार सुधार’ अभियान के तहत क्या-कुछ दुरुस्त कर चुकी है.
बीटिंग रिट्रीट में अब‘अबाइड विद मी’की जगह ‘सारे जहां से अच्छा’
भारत में ‘बीटिंग रिट्रीट’ (Beating Retreat) समारोह का इतिहास अंग्रेजों से जुड़ा हुआ है. अंग्रेज सैनिक युद्ध से फारिग होते थे तब वो अपने हथियार बैरकों में रख दिया करते थे, तब सेनाओं के बैंड धुनें बजाकर उनकी वापसी (Retreat) के बारे में बताया करते थे. भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में 1950 से ही बीटिंग रिट्रीट (Beating Retreat) को शामिल कर लिया गया था. तब से बीटिंग द रिट्रीट’ 26 जनवरी के मौके पर चार दिनों के समारोह के रूप में मनाया जाता रहा है. शुरूआत में अंग्रेजी धुनें ही बजाई जाती थीं. फिर धीरे-धीरे भारतीय धुनों ने अपनी जगह बनाई. लेकिन पश्चिम के एक गीत ‘अबाइड विद मी’ की धुन बनी रही क्योंकि महात्मा गांधी को यह बहुत पसंद थी. लेकिन मोदी सरकार ने इस साल से इसे भी हटाकर ‘बीटिंग रिट्रीट’ (Beating Retreat) का पूरा भारतीयकरण कर दिया. इस बार 29 जनवरी को इसमें सिर्फ भारतीय धुनें ही बजाई जाएंगी.
अब किस गाने ने ली जगह
भारतीय सेना की ओर से जारी एक विवरण पुस्तिका के मुताबिक, इस गाने को 29 जनवरी को होने वाले बीटिंग रिट्रीट समारोह से हटा दिया गया है. विवरण पुस्तिका में बताया गया है कि इस साल के समारोह का समापन ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ होगा. पहले बीटिंग रिट्रीट ‘अबाइड विद मी’ की धुन के साथ समाप्त होता था. ‘वीर सैनिक’, ‘फैनफेयर बाय बगलर्स’, ‘आईएनएस इंडिया’, ‘यशस्वी’, ‘जय भारती’, ‘केरल’, ‘हिंद की सेना’, ‘कदम कदम बढ़ाए जा’, ‘ड्रमर्स कॉल’, ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ भी उन 26 धुनों का हिस्सा हैं, जिन्हें 29 जनवरी की शाम को बजाया जाएगा.
राष्ट्रीय पराक्रम दिवस और गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों की शुरुआत
मोदी सरकार ने हाल ही में तय किया है कि 23 जनवरी को अब हर साल ‘राष्ट्रीय पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा. शुरुआत इसी साल से हुई है. इसी दिन नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती भी थी. अब आगे हर साल इसी तारीख से गणतंत्र दिवस (Republic Day) के कार्यक्रमों की शुरुआत भी हुआ करेगी. आमतौर पर गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों की शुरुआत 24 जनवरी से होती थी, जो 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस तक जारी रहता था. पिछले साल सरकार ने नेताजी की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी.
सरदार वल्लभ भाई के अधूरे सपने को भी किया पूरा
मोदी सरकार के ‘भूल-सुधार अभियान’ के तहत अगस्त 2019 में कश्मीर से धारा-370 को निष्क्रिय किए जाने का फैसला भी रखा जा सकता है. देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आजाद भारत में सभी रियासतों को मिलाने का बीड़ा उठाया था. पर कश्मीर तक इसकी पहल नहीं हो सकी थी. अब गुजरात के केवड़िया में दुनिया की सबसे ऊंची ‘एकता की मूर्ति’ (Statue of Unity) बनाने वाली मोदी सरकार ने सरदार वल्लभ भाई का अधूरा काम पूरा किया है, कम से कम सरकार के स्तर पर तो यही दावा है.
राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और अमर जवान ज्योति
आजादी के 72 साल बाद तक भी देश के पास अपना युद्ध स्मारक नहीं था. लेकिन मोदी सरकार ने जनवरी-2019 में पहली बार आजाद भारत के सभी शहीदों की याद में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ (National war Memorial) देश को लोकार्पित किया. इंडिया गेट (India Gate) से अमर जवान ज्योति भी लाकर ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ की ज्योति में समाहित कर दी गई. यहीं पर 1947 से अब तक देश की अखंडता एवं संप्रभुता की रक्षा के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि के लिए एक ज्योति पहले से जल रही है. अब दोनों ज्योतियों का विलय कर दिया गया है.
जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत
मोदी सरकार ने बीते साल से ही 15 नवंबर को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ मनाने की शुरुआत की है. इसी तारीख को शहीद बिरसा मुंडा (Birasa Munda) की जयंती भी होती है. लिहाजा, उन्हीं की तरह देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले तमाम गुमनाम आदिवासी शहीदों, नायकों की याद में ‘जनजातीय गौरव दिवस’ का यह आयोजन शुरू हुआ है.
नई संसद और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
अग्रेजों के हाथो बना देश का संसद भवन (Parliament House) करीब 95 साल पुराना हो चुका है. आज की जरूरतों के हिसाब से इसमें काफी कुछ बदलने की जरूरत थी, लेकिन मोदी सरकार ने विस्तार के बजाय नया संसद भवन बनाने का फैसला किया. सेंट्रल विस्टा परियोजना (Central Vista Project) के तहत करीब 971 करोड़ की लागत से यह भवन बन रहा है. इसी साल के अंत तक इसमें पहली बैठक होने की भी उम्मीद है.
अंडमान निकोबार के तीन द्वीपों का नाम बदलना
अभी 2 साल पहले ही दिसंबर 2018 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के तीन द्वीपों के नाम बदल कर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा . नील द्वीप को ‘शहीद द्वीप’ और हैवलॉक द्वीप को ‘स्वराज द्वीप’ का नाम मिल गया.
ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे थे,लेकिन अब मोदी सरकार ‘भूल-सुधार अभियान’ के तहत इन्हें बदल दिया गया है. पीएम मोदी के मुताबिक आगे और भी ऐसी कई और भूलों को सुधारने के मंसूबे पर काम किया जाएगा.