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Narendra Modi: बचपन में बेची चाय... फिर संघ से जुड़े, CM से लेकर PM तक का कैसे तय किया सफर, यहां जानिए

Happy Birthday PM Narendra Modi: नरेंद्र मोदी जब सिर्फ आठ साल के थे, तभी वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क में आ गए थे. वह 20 साल की उम्र में पूरी तरह से आरएसएस के प्रचारक बन गए. 6 अप्रैल 1980 को बीजेपी के गठन के बाद उससे जुड़े और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को हुआ था

  • 1971 में औपचारिक रूप से आरएसएस में हुए थे शामिल 

देश-दुनिया में अपने नेतृत्व का लोहा मनवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म आज ही के दिन 17 सितंबर 1950 को गुजरात के महेसाणा स्थित वडनगर में हुआ था. पीएम मोदी का एक संघ प्रचारक से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री बनने तक का सफर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है. आइए आज उनके राजनीतिक सफर के बारे में जानते हैं.

मां हीराबेन प्‍यार से नरिया बुलाती थीं 
छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर नरेन्‍द्र मोदी बचपन में बाकी बच्‍चों से अलग स्‍वभाव के थे. मां हीराबेन उन्‍हें प्‍यार से नरिया बुलाती थीं तो दूसरी ओर दोस्तों के बीच वह एनडी के नाम से प्रिय थे. 

आठ साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयेसंवक संघ के संपर्क में आए
नरेंद्र मोदी जब सिर्फ आठ साल के थे, तभी वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संपर्क में आए थे. वह महज 20 साल की उम्र में पूरी तरह से आरएसएस के प्रचारक बन गए. वह पहली बार 1971 में औपचारिक रूप से आरएसएस में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. मोदी ने बचपन में वडनगर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने में अपने पिता की  मदद की. मोदी पढ़ाई से समय निकालकर अपने पिता की मदद करने के लिए दुकान पर पहुंच जाते थे और चाय बेचने में मदद करते थे.

मोदी को आपतकाल ने और किया मजबूत 
संघ में प्रचारक के तौर पर नरेंद्र मोदी को गुजरात भर में घूमना पड़ता था. यह वह दौर था, जब गुजरात में कांग्रेस की सरकार थी. वहीं आम जन के बीच संघ अपनी प्रासंगिकता बनाने के लिए संघर्ष कर रहा था. जिसमें देशभर में इस संघर्ष की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी जैसे अन्य प्रचारकों के कंधों पर थी. 

इसी संघर्ष के साथ नरेंद्र मोदी के एक प्रचारक के तौर पर साल दर साल आगे बढ़ रहे थे. इसी बची देश में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ गुस्सा भी बढ़ गया. तो वहीं गुजरात में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ छात्रों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया और इस छात्र क्रांति ने देश में जेपी की अगुवाई में एक आंदोलन शुरू कर दिया. जिसके पीछे संघ था.

प्रचारक रहते हुए रहे सक्रिय
नतीजतन राजनीतिक उठा पटक के बाद इंदिरा गांधी ने देश में आपतकाल लागू कर दिया. विपक्ष के नेताओं को जेल में डाल दिया गया. जिसमें संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारी थे. इस दौरान प्रचारक रहते हुए नरेंद्र मोदी भी सक्रिय रहे. जिन्होंने भूमिगत रहकर आपतकाल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद रखी. यह वहीं दौर था, जिसने एक कार्यकर्ता के तौर पर नरेंद्र मोदी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. 

मोदी ने बताए आदर्श कार्यकर्ता के चार गुण
लंबे समय तक संगठन के सिपाही रहे नरेंद्र मोदी ने अपने नजरिए से आदर्श कार्यकर्ता को भी परिभाषित किया है. नरेंद्र मोदी ने एक आदर्श कार्यकर्ता में 4 आवश्यक गुणों की वकालत की. उन्होंने पार्टी महासचिव रहने के दौरान एक प्रशिक्षण कार्यक्रम में कार्यकर्ता को संबोधित करते हुए कहा था कि पग में चक्कर (सक्रिय रहो, बेकार मत बैठो और अपने कार्यों में तेज रहो), जीभ में शक्कर (हमेशा अच्छी बातें कहो, कड़वा मत बनो), सर पे बर्फ (शांत दिमाग के साथ काम करो) और दिल में हाम (दिल में हिम्मत रखो).

बीजेपी में हुए शामिल
6 अप्रैल 1980 को बीजेपी का गठन हुआ. जिसमें बीजेपी ने धारा 370 की समाप्ती, राम मंदिर और समान नागरिक संहिता के मुद्दे को अपना एजेंडा बनाया. इसी एजेंडे के साथ मैदान में उतरी बीजेपी को 1984 के लोकसभा चुनाव में दो सीटें मिली. बीजेपी का यह एजेंडा जारी रहा. लेकिन, उसके बाद बीजेपी का देशभर में कॉडर बढ़ता गया. इसी कड़ी में 1986 में नरेंद्र मोदी बीजेपी में शामिल हुए.

अहमदाबाद नगर निगम में बीजेपी को दिलाई सत्ता 
यहीं से नरेंद्र मोदी का राजनीतिक जीवन शुरू हुआ. जिसमें एक कार्यकर्ता के तौर पर उन्हें पार्टी को परिणाम भी दिया.1986 में संघ से बीजेपी में आने के कुछ महीनों के अंदर ही मोदी ने पहली बार अहमदाबाद नगर निगम में बीजेपी को सत्ता दिलाई. यहां से मोदी ने राजनीतिक जीवन में जो रफ्तार पकड़ी, कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

रथ यात्रा के दौरान निभाई अहम भूमिका
बाद में 1988-89 के दौरान नरेंद्र मोदी को गुजरात भाजपा में महासचिव की जिम्‍मेदारी सौंपी गई. इसके बाद से मोदी का सियासी सफर तेजी से आगे बढ़ा. साल 1990 में उन्‍होंने लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान अहम भूमिका निभाई. मोदी को यात्रा के गुजरात चरण की तैयारी करने की जिम्मेदारी दी गई थी. यात्रा शुरू हुई तो हजारों लोगों की भीड़ सड़कों पर थी. 1995 में नरेंद्र मोदी को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया.

गुजरात में बीजेपी की पहली सरकार बनाने में अहम रोल
नरेंद्र मोदी संगठन के सिपाही के तौर पर गुजरात में बीजेपी की पहली सरकार के आर्किटेक्ट भी रहे. असल में बीजेपी में शामिल होने के बाद अपनी संगठन क्षमता से नरेंद्र मोदी ने सबको प्रभावित किया. नतीजतन उन्हें कुछ साल बाद ही गुजरात बीजेपी का महामंत्री बनाया गया. यहीं से नरेंद्र मोदी ने गुजरात में बीजेपी के संगठन विस्तार को पंख लगा दिए. 

जिसका परिणाम 1995 के विधानसभा चुनाव में सामने आया. नतीजतन बीजेपी ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और शंकर सिंह बाघेला ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यह पहली बार था, जब गुजरात में बीजेपी की सरकार बन रही थी और इसके पीछे नरेंद्र मोदी की संगठन क्षमता थी.

हरियाणा और हिमाचल में बीजेपी को खड़ा किया
गुजरात में बीजेपी सरकार के गठन के बाद कई कारणों से नरेंद्र मोदी की भूमिका गुजरात में ही सीमित हो गई. नतीजतन वह देश की राजनीति में सक्रिय किए गए. जिसके तहत उन्हें हरियाणा और हिमाचल की जिम्मेदारी दी गई. यह दोनों ही हिंदी भाषी राज्य बीजेपी के लिए अभेद्य बने हुए थे. लेकिन, नरेंद्र मोदी ने गुजरात संगठन में रहते हुए अर्जित किए हुए गणित से इन अभेद्य किलों को फतेह करने की रूपरेखा बुन दी.

नरेंद्र मोदी ने संगठन के व्यवहार के साथ हीबंसीलाल की पार्टी 'हरियाणा विकास पार्टी' से गठबंधन किया. नतीजतन पहली बार बीजेपी हरियाणा में सत्ता में आई. वहीं हिमाचल में नरेंद्र मोदी ने प्रेम कुमार धूमल को तराशा. नरेंद्र मोदी के यह प्रयोग मौजूदा समय में भी हरियाणा और हिमाचल में बीजेपी के अचूक मंत्र बने हुए हैं.

जब मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया
नरेंद्र मोदी को अचानक गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि, तबसे लेकर अब तक मोदी नाम का मैजिक सिर्फ गुजरात ही नहीं बल्कि पूरे देश में दिखाई देने लगा. साल 2001 में केशुभाई पटेल से इस्तीफा ले लिया गया था. माना जाता है कि साल 2001 मे भुज में आए भयानक भूकंप के दौरान कुप्रबंधन को लेकर उनसे इस्तीफा लिया गया. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे. नरेंद्र मोदी गुजरात से संगठन का काम करके उस दौरान दिल्ली में थे.

अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था फोन
एक किस्सा यह भी है कि सीएम चुने जाने से कुछ देर पहले तक भी नरेंद्र मोदी को यह जानकारी नहीं थी.  उन्हें अचानक तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन किया और उस समय मोदी एक दाह संस्कार के लिए श्मशान में खड़े थे. वह जब अटल बिहारी वाजपेयी से मिले तो बताया गया कि उन्हें गुजरात वापस जाना है. मोदी समझ चुके थे कि उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी है.

पीएम मोदी को अचानक उस समय गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया गया जब पार्टी मुश्किलों से जूझ रही थी. भूकंप के बाद राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के खिलाफ असंतोष पैदा होने लगा था. हालांकि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने नरेंद्र मोदी पर भरोस दिखाया और उन्हें राज्य की कमान सौंपी. 

साल 2002 के विधानसभा चुनाव में मिली जीत
सिर्फ 18 महीने के लिए सीएम पद मिलने की वजह से अधिकांश लोगों को मानना था कि मोदी गुजरात में जीत दिलवा पाने में शायद कामयाब न रहें. उस दौरान गोधरा कांड हुआ, जिसमें 58 लोगों मारे गए थे. इसके परिणामस्वरूप गुजरात में हुई हिंसा में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए. खुद नरेंद्र मोदी पर दंगे भड़काने तक के आरोप लगे. हालांकि, तमाम संशयों को पीछे छोड़ते हुए नरेंद्र मोदी एक बार फिर से गुजरात के सीएम बने. इसके बाद साल 2007 और 2012 में भी मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने प्रचंड जीत दर्ज की.

इस तरह से दिल्ली सफर की हुई शुरुआत 
गुजरात में अपने विरोधियों को चित करने वाले नरेंद्र मोदी को पार्टी ने केंद्र में बीजेपी का डंका बजवाने के लिए सबसे योग्य पाया और यहीं से मोदी के दिल्ली सफर की शुरुआत हुई. साल 2012 से उन्‍हें पीएम उम्‍मीदवार के तौर पर प्रचारित किया जाने लगा. 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी ने पीएम उम्‍मीदवार के तौर पर भाजपा को बड़ी सफलता दिलाई. इस तरह से नरेंद्र मोदी पीएम बने. इसके बाद साल 2019 में भी मोदी का जलवा बरकरार रहा और बीजेपी ने बीते आम चुनाव और भी ज्यादा सीटें जीतीं. नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने.