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राष्ट्रीय रोजगार नीति का मसौदा तैयार करने के लिए बनाई गई समिति, घरेलू कामगारों को मिलेगी मदद

देश की पहली रोजगार नीति का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति पैनल का गठन किया जा रहा है, जो चल रहे पांच राष्ट्रीय रोजगार सर्वेक्षणों के आंकड़ों और सबूतों पर आधारित होगा. विकास के जानकार अधिकारियों ने कहा कि एक प्रस्तावित राष्ट्रीय रोजगार नीति सभी क्षेत्रों में नौकरी के लक्ष्य निर्धारित कर सकती है.

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हाइलाइट्स
  • घरेलू कामगारों के लिए देश का पहला सर्वेक्षण

  • सितंबर में सरकार ने सबसे पहले जारी किए थे आंकड़े

देश की पहली रोजगार नीति का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति पैनल का गठन किया जा रहा है, जो चल रहे पांच राष्ट्रीय रोजगार सर्वेक्षणों के आंकड़ों और सबूतों पर आधारित होगा. विकास के जानकार अधिकारियों ने कहा कि एक प्रस्तावित राष्ट्रीय रोजगार नीति सभी क्षेत्रों में नौकरी के लक्ष्य निर्धारित कर सकती है. साथ ही यह बड़े पैमाने पर रोजगार की संभावना वाले क्षेत्रों को बढ़ावा देने के उपायों की भी सिफारिश करेगी. 
 
नीति तैयार करने के लिए बनाई गई समिति
देश की पहली रोजगार नीति का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति पैनल का गठन किया जा रहा है, जो इस समय चल रहे पांच राष्ट्रीय रोजगार सर्वेक्षणों के आंकड़ों और सबूतों पर आधारित होगा. श्रम मंत्रालय में चल रही योजनाओं के अनुसार इसमें उद्योग, श्रम, कौशल विकास, वाणिज्य और कृषि सहित मंत्रालयों के साथ-साथ विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का व्यापक भी प्रतिनिधित्व होगा.

एक अधिकारी ने बताया कि मसौदा रोजगार नीति, श्रम बाजार के व्यापक अध्ययन और रोजगार पैटर्न में बदलाव पर महामारी के प्रभाव के कारक पर आधारित होगी. इसके पैनल में उद्योग और आंतरिक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विभाग के अधिकारी भी शामिल होंगे और क्रॉस-सेक्टर कंसल्टेशन करेंगे. 

कई क्षेत्रों में बढ़ेगी नौकरी
विशेषज्ञ समिति से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह उन क्षेत्रों में नौकरियों को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र-विशिष्ट निवेश योजनाएं तैयार करे, जो एक बड़े कार्यबल पर निर्भर करती हैं जैसे कि टेक्सटाइल सेक्टर. यह गिग इकॉनमी को मजबूत करने के उपायों की भी सिफारिश करेगा. श्रम बाजारों के सर्वेक्षण अर्थव्यवस्था के औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों के लिए नीतियां तैयार करने में मदद करेंगे. इसके साथ ही ये श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को डिजाइन करने में भी मदद करेंगे और इनमें गिग इकॉनमी में कार्यरत लोग भी शामिल होंगे.

यह सर्वेक्षण काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये प्रवासियों और अन्य अनौपचारिक श्रमिकों के रोजगार और सामाजिक आर्थिक स्थिति को परखने में मदद करेंगे.

घरेलू कामगारों के लिए देश का पहला सर्वेक्षण
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने पिछले हफ्ते घरेलू कामगारों का देश का पहला सर्वेक्षण शुरू किया था. यह पांच राष्ट्रीय रोजगार गणना अभियानों के समूह में शुरू किया गया सबसे नवीनतम सर्वे है. यह देश की इनफार्मल वर्कफोर्स को समझने योग्य डेटा प्रदान करेगा, जो राष्ट्रीय रोजगार नीति को पोषित करेगा. एक अन्य अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि घरेलू कामगारों के लिए सर्वेक्षण पांच राष्ट्रीय नौकरियों के सर्वेक्षणों में से एक है, जो समय-समय पर आयोजित किया जाएगा. यह नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाई जा रही आगामी राष्ट्रीय रोजगार नीति के लिए महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करेगा.

सितंबर में सरकार ने सबसे पहले जारी किए थे आंकड़े
सितंबर में सरकार ने अप्रैल-जून 2021 तिमाही के लिए पहले अखिल भारतीय त्रैमासिक स्थापना आधारित रोजगार सर्वेक्षण  (AQEES) के परिणाम जारी किए थे. नवीनतम सर्वेक्षण के अलावा एक्यूईईएस श्रम ब्यूरो द्वारा किए गए चार अन्य वार्षिक सर्वेक्षणों का भी हिस्सा है. ये प्रवासी कामगारों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण, घरेलू कामगारों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण, पेशेवरों द्वारा सृजित रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण और परिवहन क्षेत्र में उत्पन्न रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण हैं.

क्या कहते हैं CIME के आंकड़े 
भारत में आधिकारिक शॉर्ट-टर्म, हाई-फ्रीक्वेंसी जॉब डेटा का अभाव है.  AQEES की मदद से यह अंतर भरने की संभावना है. अर्थशास्त्री आमतौर पर पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे, सरकारी नौकरियों के सर्वेक्षण या सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CIME)पर निर्भर करते हैं. सीएमआईई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2021 में भारत की बेरोजगारी दर सितंबर 2021 में तीन महीने के निचले स्तर 6.86% से बढ़कर 7.75% हो गई थी.