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Naval Uprising: ये है भारतीय नौसेना के बलिदान का दिन... मुंबई में प्रभात फेरी के साथ किया गया नमन

साल 1946 में नौसेना ने  ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की थी, जिसमें नौसेना के साथ पुलिसकर्मी और भारत की आम जनता भी शामिल हुई थी. इस पूरे विद्रोह में 78 जहाजों और तट प्रतिष्ठानों में 20,000 से ज्यादा नाविक शामिल हुए थे.

Naval Uprising Naval Uprising
हाइलाइट्स
  • नेवी बैंड और देशभक्ति की धुन पर सैनिकों ने की परेड 

  • हर साल  23 मार्च को निकाली जाती है प्रभात फेरी

भारतीय नौसेना भारत की सेना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है. नौसेना ने भारत की रक्षा के लिए अनगिनत बलिदान दिए हैं और अनगिनत लड़ाइयां भी लड़ीं हैं. इन्हीं बलिदानों में से एक है ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ नौसेना का विद्रोह. 23 मार्च, 1946 को हुआ ये विद्रोह भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण रहा है. इस साल को रॉयल इंडियन नेवी के विद्रोह के लिए जाना जाता है और इसीलिए हर साल 23  मार्च को हम नेवल अपराइजिंग डे मनाते हैं.

नेवी बैंड और देशभक्ति की धुन पर की परेड 
 
मुंबई में बुधवार को पश्चिमी नौसेना कमान ने जागरूकता परेड का आयोजन किया गया. जिसमें नेवी बैंड के साथ देशभक्ति की धुन बजाते हुए नौसैनिकों ने वॉक की. परेड में नौसैनिकों के साथ कैडेट कोर के कैडेट और स्कूली बच्चे शामिल भी हुए. वहीं आम लोग भी इस वॉक का हिस्सा थे. यह प्रभात फेरी मुंबई के एनसीपीए से शुरू की गई थी और पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ नेवल अपराइजिंग मेमोरियल तक चलाई गई.

हर साल  23 मार्च को निकाली जाती है प्रभात फेरी
 
साल 1946 में नौसेना ने  ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की थी, जिसमें नौसेना के साथ पुलिसकर्मी और भारत की आम जनता भी शामिल हुई थी. इस पूरे विद्रोह में 78 जहाजों और तट प्रतिष्ठानों में 20,000 से ज्यादा नाविक शामिल हुए थे. यही कारण है कि  हर साल 23 मार्च को नेवल अपराइजिंग और भारतीय नौसेना के बलिदान को नमन करने के लिए प्रभात फेरी यानि जागरूकता परेड का आयोजन किया जाता है.

गणतंत्र दिवस की परेड में किया गया था झांकी को शामिल

आपको बता दें, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि 1946 का 'नेवल अपराइजिंग' डे अंग्रेजों के शासन की आखिरी कील है, क्योंकि इस विद्रोह के कुछ समय बाद ही अंग्रेजों ने देश की आजादी की घोषणा कर दी थी. यही वजह है कि इसबार की 26 जनवरी की परेड में नौसेना के 1946 वाले विद्रोह को परेड की झांकी में दर्शाया था.