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Navy Traditional Dress: नेवी की मेस, वार्डरूम में पारंपरिक पोशाक पहनकर खाना खा पाएंगे जवान...कुर्ता-पायजामा हो सकता है नया ड्रेसकोड

देश के सुरक्षा बलों में आजादी के इतने दिनों बाद भी कई ब्रिटिश परंपराओं का पालन किया जाता है. बल में शामिल कर्मियों को भारतीय पारंपरिक पोशाक पहनने की अनुमति न होना उन्हीं में से एक है.

नौसेना में भारतीय पारंपरिक पोशाक को मिल सकती है मंजूरी नौसेना में भारतीय पारंपरिक पोशाक को मिल सकती है मंजूरी

नौसेना जल्द ही अधिकारियों और नाविकों को मेस, वार्डरूम और संस्थानों में निर्दिष्ट पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनने की अनुमति दे सकती है. परिचालन मुद्दों और युद्ध की तैयारी के अलावा, कर्मियों के लिए एक विकल्प के रूप में मेस और कार्यों के लिए राष्ट्रीय नागरिक पोशाक पर विचार कर रहा है. दरअसल देश की राजधानी नई दिल्ली में इन दिनों नौसेना के शीर्ष कमांडरों का तीन दिवसीय सम्मेलन चल रहा है. इस सम्मेलन में जहां समुद्री बलों की भूमिका और जिम्मेदारियों के विस्तार के बारे में चर्चा की जा रही है. इसमें वार्डरूम और अधिकारियों के मेस के साथ-साथ उनके कर्मियों और परिवारों द्वारा पहनी जाने वाली पश्चिमी पोशाकों के साथ ही भारतीय पारंपरिक पोशाकों को अनुमति देने पर भी चर्चा हो सकती है. इसके बाद नौसेना में भारतीय पारंपरिक पोशाक पहने अधिकारियों या कर्मचारी को देखा जा सकेगा. 

दरअसल अभी तक नौसेना में पारंपरिक भारतीय पोशाक पहनने की मनाही थी. सूत्रों का कहना है कि नौसेना औपनिवेशिक परंपराओं और प्रथाओं को हटाने के मकसद से भारतीय पारंपरिक पोशाक (कुर्ता) को मंजूरी देने पर चर्चा कर रहे हैं. नौसेना में वॉर्डरूम और ऑफिसर्स मेस मं जिन पोशाकों को पहना जाता है, उन सूची में पारंपरिक भारतीय पोशाक को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है.  

पीएम ने ली थी प्रतिज्ञा
एक अधिकारी ने जानकारी दी कि  यह मामला अभी भी शीर्ष कमांडरों द्वारा विचाराधीन है. अगर राष्ट्रीय नागरिक पोशाक की अनुमति देने का निर्णय लिया जाता है, तो यह सख्त विशिष्टताओं और दिशानिर्देशों के साथ होगा. यह मौजूदा मेस वर्दी के अलावा औपचारिक पहनावा होगा, 'रेड सी रिग्स' और लाउंज सूट जैसी औपचारिक पश्चिमी पोशाक. इस पारंपरिक भारतीय पोशाक को त्योहारों के समय ऑफिसर्स मेस में पहनने की मंजूरी दी जाएगी. यह चर्चा उस समय में हो रही है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में पांच प्रतिज्ञाएं ली थीं, जिनमें औपनिवेशिक परंपराओं को खत्म करना भी शामिल था. 

पिछले साल दिसंबर में, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था, "प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से 'पंच प्राण' व्यक्त किया, जिसमें 'गुलामी की मानसिकता से मुक्ति' भी शामिल था. उस अंतिम राज्य के अनुसरण में, नौसेना निरर्थक या पुरातन प्रथाओं, प्रक्रियाओं या प्रतीकों की सक्रिय रूप से पहचान करना जारी रखें जिन्हें या तो बंद किया जा सकता है, या आधुनिक वास्तविकताओं के अनुरूप संशोधित किया जा सकता है."

अभी तक नहीं थी अनुमति
अब तक सेना, वायुसेना और नौसेना के मेस में पुरुष कर्मियों के साथ-साथ मेहमानों के लिए कुर्ता-पायजामा या अन्य पारंपरिक भारतीय कपड़ों की अनुमति नहीं है. हालांकि, पिछले कई महीनों से नौसेना सरकार के निर्देश के अनुरूप सैन्य क्षेत्र में "औपनिवेशिक युग के अवशेषों" को त्यागने के अभियान में सबसे आगे रही है. नरेंद्र मोदी ने पिछले साल 2 सितंबर को स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के जलावतरण के दौरान नौसेना के लिए एक नई "स्वदेशी" पताका का "अनावरण" किया था, जिसमें ध्वज से लाल रंग के सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटाना भी शामिल था. बता दें कि तीन दिवसीय कमांडरों का सम्मेलन सोमवार को रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, सीडीएस जनरल अनिल चौहान और अन्य शीर्ष अधिकारियों की उपस्थिति में शुरू हुआ था। यह सम्मेलन तब हो रहा है जब हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन अपनी ताकत बढ़ा रहा है.