नौसेना करीब 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार 200 सुपर सोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों का ऑर्डर देने जा रही है. जल्दी ही रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इस सौदे पर मुहर लग सकती है. ब्रह्मोस नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात बेहद अहम मिसाइल है. ये दुश्मनों के युद्धपोत को पलक झपकते तबाह कर सकती है.
नौसेना ने किया सुपर सोनिक क्रूज वर्जन का सफल परीक्षण
हाल ही में नौसेना के कोलकाता क्लास युद्धपोत से ब्रह्मोस के सुपर सोनिक क्रूज वर्जन का सफल परीक्षण किया गया था. इस परीक्षण में भी ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल ने अपनी काबिलियत साबित कर दी थी. अपनी सटीक मारक क्षमता की वजह से ब्रह्मोस मिसाइल ने पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली है.
ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की खासियत
इस मिसाइल को युद्धपोत से लॉन्च किया जा सकता है. ये मिसाइल 200 किलो का वॉरहेड ले जा सकती है. ये 4321 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ती है. इसमें दो स्टेज का प्रोपल्शन सिस्टम लगा है. रैमजेट इंजन इसे सुपरसोनिक रफ्तार देता है. ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक गाइडेड मिसाइल है. यानी एक बार टारगेट की तरफ फायर होने के बाद ये अपने लक्ष्य को नेस्तनाबूद करके ही दम लेती है. अगर टारगेट ने रास्ता बदल दिया तो मिसाइल भी रास्ता बदलकर उसका पीछा करती है.
कम ऊंचाई पर भी भर सकती है उड़ान
ब्रह्मोस मिसाइल जमीन से महज 10 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ान भर सकती है. इतनी कम ऊंचाई पर उड़ान की क्षमता से ये दुश्मन के रडार से बची रहती है. सबसे आधुनिक रडार भी ब्रह्मोस को पहचान नहीं पाते. खास बात ये भी है कि ब्रह्मोस मिसाइल को युद्धपोत और पनडुब्बी के साथ साथ लड़ाकू विमानों और जमीन पर मौजूद लॉन्चर प्लेटफार्म से भी फायर किया जा सकता है.
आत्मनिर्भर भारत की मिसाल है ब्रह्मोस
अपनी तेज़ रफ्तार, फुर्तीली उड़ान और सटीक निशाने की वजह से ब्रह्मोस जंग के मैदान में दुश्मनों का काल बन जाती है. ये मिसाइल अकेले ही दुश्मन के खेमे में खलबली मचाने की काबिलियत रखती है. इन्हीं खूबियों की वजह से ब्रह्मोस आज रक्षा में आत्मनिर्भर भारत की मिसाल बन गई है.