scorecardresearch

Bihar Special Status: Bihar को नहीं मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा, जानिए क्या है Special Status, कैसे मिलता है?

Bihar Special Status: बिहार को स्पेशल स्टेट्स देने की मांग को केन्द्र सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है. लोकसभा में मानसून सत्र(Lok Sabha Monsoon Session) के पहले दिन वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि बिहार को विशेष दर्जा देना संभव नहीं हैं. साल 2005 से बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग की जा रही है.

Bihar Special Status (Photo Credit: PTI) Bihar Special Status (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा

  • साल 2005 से बिहार को स्पेशल स्टेट्स देने की मांग की जा रही है

  • वित्त राज्य मंत्री ने कहा, बिहार को स्पेशल स्टेट्स देना संभव नहीं

Bihar Special Status: केन्द्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इंकार कर दिया है. लोकसभा चुनाव(Loksabha Election 2024) के नतीजे और एनडीए सरकार(NDA Government) बनने के बाद से जदयू(JDU) बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग कर रहे थी. केन्द्र सरकार ने बिहार की स्पेशल स्टे्टस(Bihar Special Status) की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है.

सोमवार को लोकसभा में मानसून सत्र के पहले दिन एक लिखित पत्र के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा- अतीत में नेशनल डेवलेपमेंट काउंसिल(NDC) ने कुछ राज्यों को स्पेशल कैटेगरी का दर्जा दिया था. उन राज्यों में कई विशेषताएं थीं जिन पर खास विचार करने की जरूरत थी. आपको बता दें कि जदयू नेता रामप्रीत मंडल ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखी थी.

इससे पहले राजद नेता मनोज कुमार झा(Manoj Kumar Jha) ने कहा कि बिहार विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज दोनों चाहता है.

सम्बंधित ख़बरें

बिहार में विशेष दर्जे की मांग बिहार और झारखंड के बंटवारे से चल रही है. मनोज झा ने कहा- विशेष राज्य का दर्जा या विशेष पैकेज की मांग में 'या' के लिए कोई स्थान नहीं है.

सरकार ने क्यों किया इंकार?
केन्द्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य दर्जा की मांग को खारिज कर दिया है. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि एनडीसी ने पहले कुछ राज्यों को खास विशेषताओं को देखते हुए यह दर्जा दिया था.

इन राज्यों में पहाड़ी, कम जनसंख्या घनत्व, आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा और पड़ोसी देशों के साथ सीमाएं जैसी विशेषताएं शामिल थीं.

वित्त मंत्री ने बताया कि पहले बिहार के विशेष राज्य की मांग पर इंटर-मिनिस्ट्रियल ग्रुप(IGM) ने विचार किया था. इस बारे में आईजीएम ने 30 मार्च 2012 को एक रिपोर्ट सौंपी थी.

आईजीएम ने निष्कर्ष निकाला था कि एनडीसी के मौजूदा मापदंडों के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. आइए जानते हैं कि विशेष राज्य दर्जा कैसे मिलता है और इसके क्या फायदे हैं?

क्या है विशेष राज्य दर्जा?
विशेष राज्य दर्जा देश के उन राज्यों को दिया जाता है जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आधार पर पिछड़े होते हैं. साल 1969 में एनडीसी की बैठक में पहली बार राज्यों को विशेष दर्जा देने को लेकर चर्चा हुई.

डी आर गाडगिल समिति ने राज्यों को पैसा देने का एक फॉर्मूला पेश किया. एनडीसी ने इस फॉर्मूले को मंजूरी दे दी.

गाडगिल फॉर्मूले के आधार पर सबसे पहले असम, जम्मू-कश्मीर और नागालैंड जैसे राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया. इन राज्यों को केन्द्र सरकार की सहायता में प्राथमिकता दी गई.

साल 1969 में 5वें वित्त आयोग ने राज्यों को स्पेशल स्टेट्स देने का एक कॉन्सेप्ट बनाया. इसके तहत पहाड़ी और कठिन भूभाग वाले राज्यों को विशेष दर्जा दिया जाएगा. इसके अलावा इस कॉन्सेप्ट में कई और चीजें भी शामिल थीं.

साल 2014-15 तक कुल 11 राज्यों को विशेष दर्जा का फायदा मिला. इसके बाद 14वें वित्त आयोग ने गॉडविल फॉर्मूला और सारी सिफारिशों को भंग कर दिया.

साल 2015 में योजना आयोग की जगह नीति आयोग ने ले ली. 14वें वित्त आयोग की सिफारिशें 2015 में लागू हुईं. इसके तहत पूर्वोत्तर और 3 पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिए विशेष दर्जा को खत्म कर दिया.

क्या है फायदा?
आम तौर पर केन्द्र सरकार द्वारा लागू की गईं योजनाओं में राज्य सरकार की भागीदारी 60 फीसदी और 40 प्रतिशत पैसा केन्द्र सरकार देती है. विशेष दर्जा मिलने के बाद केन्द्र सरकार 90 प्रतिशत पैसा अनुदान के रूप में देती है और बाकी 10 प्रतिशत पैसा राज्य सरकार देती है.

- विशेष दर्जा वाले राज्यों को इनकम टैक्स, जीएसटी, कस्टम और कॉरपोरेट में काफी छूट मिलती है.

- विशेष दर्जा वाले राज्य केन्द्र सरकार से मिले पैसे को खर्च नहीं कर पाते हैं तो बचा हुआ पैसे अगले साल के लिए जारी हो जाता है.

बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग कई सालों से चल रही है. साल 2005 में पहली बार ये मांग उठी थी. 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने केन्द्र सरकार ने बिहार को स्पेशल स्टेट्स देने की मांग की थी. इसको लेकर सालों से बहस चलती आ रही है.