भारत की बहादुर बेटी नीरजा भनोट ने आज ही के दिन 5 सितंबर 1986 को अपनी जान देकर आतंकियों से 360 लोगों की जिंदगियां बचाई थी. पाकिस्तान के कराची में आतंकियों ने गोली मारकर नीरजा की हत्या कर दी थी. आज आइए जानते हैं कैसे इस 'ब्रेव डॉटर ऑफ इंडिया' ने आतंकियों के चंगुल से हाईजैक हुए जहाज के यात्रियों को छुड़ाया था.
चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था जन्म
नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर 1963 को चंडीगढ़ के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. उनके पिता हरीश भनोट पत्रकार और मां रमा भनोट गृहणी थीं. उनके माता-पिता ने जन्म से पहले ही तय कर लिया था कि अगर उनके घर बेटी का जन्म हुआ तो वे उसे लाडो कहकर बुलाएंगे.
नीरजा ने अपनी स्कूली पढ़ाई चंड़ीगढ़ के सैकरेड हार्ट सीनियर सेकेंडरी स्कूल से की, लेकिन बाद में उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया. उन्होंने ने मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से अपनी आगे की पढ़ाई की और मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की.
बनीं टॉप मॉडल
साल 1985 में एक बिजनेसमैन के साथ नीरजा की अरेंज मैरिज हुई. शादी के बाद वो अपने पति के साथ खाड़ी देश चली गईं. जहां उन्हें दहेज के लिए यातनाएं दी जाने लगीं. नीरजा इन सबसे इतना तंग आ गईं कि शादी के दो महीने बाद ही मुंबई वापस आ गईं और फिर वापस ससुराल नहीं गईं. मुंबई लौटने के बाद उन्होंने कुछ मॉडलिंग कॉन्ट्रेक्ट पूरे किए. वह अपने समय की टॉप मॉडल थीं. नीरजा अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन थीं और अक्सर उनके डायलॉग बोला करती थीं. उन्होंने लगभग 22 विज्ञापनों में काम किया था.
बचपन से ही प्लेन में बैठने और आकाश में उड़ने की थी इच्छा
नीरजा को बचपन से ही प्लेन में बैठने और आकाश में उड़ने की इच्छा थी.1986 में मॉडल के रूप में उन्होंने कई TV और प्रिंट ऐड करना शुरू कर दिए थे. शौक को पूरा करने के मकसद से नीरजा ने बाद में एयरलाइंस ज्वाइन कर ली. नीरजा ने जब फ्लाइट अटेंडेंट की जॉब के लिए 'पैन एएम' में अप्लाई किया था तब वह एक सक्सेसफुल मॉडल थीं.
साल 1985 में उन्होंने पैन एएम के लिए अप्लाई किया और सेलेक्शन के बाद उन्हें फ्लाइट अटेंडेंट के तौर पर ट्रेनिंग के लिए मियामी और फ्लोरिडा भेजा गया लेकिन वो वापस पर्सर के तौर पर आईं. पैन एएम के साथ-साथ ही नीरजा मॉडलिंग भी कर रही थीं.
जब आतंकवादियों से हुआ सामना
5 सिंतबर 1986 को यानी नीरजा के 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले को पैन एएम की फ्लाइट 73 में सीनियर पर्सर थीं, ये फ्लाइट मुंबई से अमेरिका जा रही थी लेकिन पाकिस्तान के कराची एयरपोर्ट पर इसे 4 हथियारबंद आतंकियों ने हाईजैक कर लिया. इस फ्लाइट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स थे. जब आतंकियों ने प्लेन हाईजैक किया तब नीरजा की सूचना पर चालक दल के तीनों सदस्य यानी पायलट, को-पायलट और फ्लाइट इंजीनियर कॉकपिट छोड़कर भाग गए.
ये चारों आतंकवादी चाहते थे कि फ्लाइट को साइप्रस ले जाया जाए जहां वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करवा सकें. आतंकी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकी लोगों को नुकसान पहुंचा रहे थे. आतंकियों ने पाक सरकार से पायलट भेजने की मांग की, ताकि वो विमान को अपने मन मुताबिक जगह पर ले जा सकें, पाक सरकार ने मना कर दिया. इससे भन्नाए आतंकियों ने विमान में बैठे अमेरिकी यात्रियों को मारने का फैसला कर लिया.
प्लेन हाईजैक करने के कुछ समय बाद उन्होंने एक अमेरिकी को प्लेन के गेट पर लाकर गोली मार दी. आतंकियों ने नीरजा को सभी पैसेंजर्स के पासपोर्ट इकट्ठे करने को कहा जिससे वो यह पहचान सकें कि कौन से यात्री अमेरिकी हैं. नीरजा ने अमेरिकी यात्रियों के पासपोर्ट किसी तरह छुपा लिया.
आतंकियों और पाक सरकार में लगातार खींचातानी चलती रही
उधर, आतंकियों और पाक सरकार में पायलट भेजने और यात्रियों को लेकर लगातार खींचातानी चलती रही. इधर 380 डरे हुए लोगों में एक अकेली भारतीय लड़की नीरजा डटी रहीं. 16 घंटे हिम्मत बांधे रखी. अचानक उन्हें ख्याल आया कि अब विमान का ईंधन खत्म होने वाला है. ऐसा हुआ तो विमान में अंधेरा छा जाएगा और भागदौड़ मच जाएगी. जिसमें बेतहाशा खून बहेगा. नीरजा ने फिर अपने भारतीय होने की पहचान दी. तत्काल आतंकियों को खाने का पैकेट दिया और यात्रियों को आपातकालीन खिड़कियों के बारे में तेजी से समझाया. तभी विमान का ईंधन खत्म हो गया. चारों तरफ अंधेरा छा गया.
मौका पाकर विमान के दरवाजे खोल दिए
इस बीच नीरजा ने मौका पाकर विमान के दरवाजे खोल दिए और यात्रियों ने प्लेन से नीचे कूदाना शुरू कर दिया. लेकिन इसी बीच दहशतगर्दों ने गोलियां दागनी शुरू कर दी. मौका देखकर पाक कमांडो भी विमान के पास पहुंच गए. फिर दोनों तरफ से धुआंधार गोलीबारी के बीच लोग भागने लगे. नीरजा आतंकियों को छकाने में लगी थीं. नीरजा ने आतंकियों को उलझाए रखा ताकि वो किसी को नुकसान न पहुंचा सकें और वो इसमें कामयाब भी रहीं.
कुछ बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी
सबके निकल जाने के बाद आखिर में जब वो विमान से निकलने लगीं, तो अचानक उसे कुछ बच्चों के रोने की आवाज सुनाई दी. नीरजा ने रोते हुए बच्चों को छोड़कर भागना ठीक नहीं समझा. वो वापिस गईं और बच्चों को ढूंढ निकाला. जैसे ही वह उन्हें लेकर एक आपातकालीन खिड़की की ओर बढ़ीं एक आतंकी उनके सामने आ खड़ा हुआ.
नीरजा ने बच्चों को नीचे धकेल दिया और आतंकी ने नीरजा को गोलियों से छलनी कर दिया. 17 घंटे तक चले इस खून खराबे में अंततः 20 लोगों की जान चली गई और वो भारतीय वीरांगना भी शहीद हो गई. पाक की धरती पर शहीद हुई दुनिया भर के 360 लोगों की जान बचाने वाली बहादुर बेटी नीरजा को पाकिस्तान भी सेल्यूट करता है.
बहादुरी के लिए किया गया सम्मानित
नीरजा की बहादुरी ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हीरोइन ऑफ हाईजैक के रूप में मशहूर कर दिया. नीरजा की याद में एक संस्था नीरजा भनोट पैन एम न्यास की स्थापना की गई है, जो महिलाओं को उनके साहस और वीरता के लिए सम्मानित करती है. भारत सरकार ने नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 'अशोक चक्र' से सम्मानित किया.
नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला रहीं. इतना ही नहीं, नीरजा को पाकिस्तान सरकार की तरफ से 'तमगा-ए-इंसानियत' और अमेरिकी सरकार की तरफ से 'जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड' से भी नवाजा गया. एक इंटरव्यू में बात करते हुए नीरजा के भाई अनीश भनोट ने कहा था कि नीरजा हमेशा कहा करती थी कि अपना काम करो और अन्याय बर्दाश्त नहीं करो.