
महाकुंभ में दिव्यता, भव्यता और आस्था के संगम से जुड़ी तैयारियों के बीच अलग-अलग रंग रूप में साधु-संत, त्रिवेणी के तट पर पहुंच रहे हैं. जिनके बिना इस आयोजन को पूर्ण नहीं माना जाता. केसरिया रंग का वस्त्र धारण किए ओम तत्सत नाम के बाबा भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. उनके सर्खियों में बने रहने की वजह उनका ई-रिक्शा है. जिसका रंग केसरिया है. इस ई-रिक्शे की बदौलत ही बाबा संन्यासी का जीवन जी रहे हैं.
ई-रिक्शे ने बाबा को बनाया संन्यासी
बिना चार्जिंग के इनका ई-रिक्शा दौड़ता है. इसके लिए उन्होंने रिक्शे की छत पर सोलर पैनल लगा रखा है. ई रिक्शे पर घूमकर-घूमकर राम राज्य का उपदेश देने वाले ओम तत्सत बाबा ने अपने इसी वाहन में खाने-पीने की व्यवस्था की हुई है.
सफर के दौरान कहीं भी रुकने पर खाना बनाने के लिए गैस स्टोव का भी इंतजाम है. खाद्य सामग्री रखने के लिए छोटा सा स्टोरज भी बना हुआ है. कहीं भी, किसी भी मौसम में रहने-सोने के लिए ई-रिक्शा में ही छोटे से बेड की भी व्यवस्था है. ई-रिक्शा में माइक और लाउड स्पीकर भी लगा हुआ है.
साइकिल बाबा के नाम का भी डंका
कुंभ में साइकिल बाबा भी पधारे हैं. जिनका नाम हंसराज बाबा है. जो साइकल पर सवार होकर देश के तीर्थों की यात्रा पर निकल पड़े हैं. अपने परिवार को छोड़कर हंसराज बाबा ने साधु संतों का जीवन अपना लिया है. हंसराज बाबा वृंदावन से साइकल चलाकर प्रयागराज पहुंचे हैं. आगे उन्हें गंगासागर तक जाना है.
कौन हैं घोड़े वाले बाबा
घोड़े पर सवार होकर महाकुंभ में पहुंचने वाले बाबा विजय गिरि हैं. जो आनंद अखाड़े से ताल्लुक रखते हैं. घोड़े की सवारी करने वाले बाबा इन दिनों कुंभनगरी में लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. वे जहां भी जाते हैं. लोग उन्हें घोड़े वाले बाबा के नाम से ही पुकारते हैं.
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक मेला है. इस मेले में साधु-संत भी अनूठे अंदाज में नजर आ रहे हैं. महाकुंभ मेला हर 12 साल बाद लगता है. जिसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिष महत्व भी है. इस साल यह मेला 13 जनवरी से आरंभ होकर 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन तक चलेगा. 45 दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ मेले में न सिर्फ भारत के बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
-आनंद राज की रिपोर्ट