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ED, CBI चीफ का कार्यकाल बढ़ाने पर क्यों हो रहा विवाद? ये है विवाद की वजह...

अब ईडी और सीबीआई चीफ का कार्यकाल बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है. इसके आने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों द्वारा कहा जा रहा है कि इससे जांच एजेंसियों की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचेगा. दरअसल, ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जब सीबीआई की नियुक्ति विवाद की वजह बना है.

Photo: ED and CBI Photo: ED and CBI
हाइलाइट्स
  • अब ईडी और सीबीआई चीफ का कार्यकाल बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है

  • पुलिस प्रमुख से हटने के 3 दिन बाद ऋषि कुमार बने CBI डायरेक्टर

  • CBI स्पेशल डायरेक्टर के रूप में राकेश अस्थाना का भी किया गया था विरोध

  • 2012 में रंजीत सिन्हा की नियुक्ति पर भी उठे थे सवाल

केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के चीफ के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने के लिए दो अध्यादेश लाये गए हैं. इनके मुताबिक, अब ईडी और सीबीआई चीफ का कार्यकाल बढ़ाकर 5 साल कर दिया गया है. इसके आने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों द्वारा कहा जा रहा है कि इससे जांच एजेंसियों की स्वायत्तता को नुकसान पहुंचेगा. दरअसल, ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जब सीबीआई की नियुक्ति विवाद की वजह बना है.

चलिए नजर डालते हैं हाल के कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर जो विवाद का कारण रहीं..... 

क्या है मामला?

अप्रैल 2021 में ईडी के स्पेशल डायरेक्टर, विनीत अग्रवाल ने बिजनेसमैन विजय माल्या और नीरव मोदी केस की जांच के प्रमुख अधिकारी सत्यब्रत कुमार का ट्रांसफर कर दिया था. जिसके कुछ ही घंटों के भीतर ईडी के निदेशक संजय मिश्रा ने सत्यब्रत कुमार का तबादला यह कहते हुए रद्द कर दिया कि अग्रवाल खुद उनका तबादला करने के लिए अधिकृत नहीं हैं.

इसके बाद, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने अग्रवाल की इस कार्रवाई को नीरव मोदी जांच में हस्तक्षेप करने के प्रयास के रूप में देखा और इसीलिए उसे भेजने का फैसला किया. 

पुलिस प्रमुख से हटने के 3 दिन बाद ऋषि कुमार बने CBI डायरेक्टर 

बता दें, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फरवरी 2019 में राज्य के पुलिस प्रमुख के पद से हटाए जाने के तीन दिन बाद ऋषि कुमार शुक्ला को सीबीआई डायरेक्टर नामित किया गया था. जिसके बाद कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, जो चयन पैनल का हिस्सा थे, ने सुप्रीम कोर्ट में बैठकर उनकी नियुक्ति का विरोध किया था.

सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट और दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि ऋषि कुमार शुक्ला भ्रष्टाचार विरोधी मामलों को संभालने में अनुभवहीन हैं. हालांकि, आखिर में इस आपत्ति को खारिज कर दिया गया था.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट और दिल्ली पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के अनुसार, सीबीआई डायरेक्टर बनने के लिए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच में वरिष्ठता, इंटीग्रिटी और अनुभव को वरीयता दी जाती है. 

CBI स्पेशल डायरेक्टर के रूप में राकेश अस्थाना का भी किया गया था विरोध 

आपको बता दें, 2016 में भी सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर के रूप में राकेश अस्थाना की नियुक्ति का विरोध एक गैर सरकारी संगठन (NGO) द्वारा किया गया था. इसमें एनजीओ ने दावा किया कि अस्थाना ने 2011 में कथित तौर पर गुजरात स्थित स्टर्लिंग बायोटेक (Sterling Biotech) और संदेसरा ग्रुप ऑफ कंपनीज (Sandesara Group of companies) से फेवर्स लिए थे. लेकिन अदालत ने अस्थाना की नियुक्ति की चुनौती को खारिज कर दिया था.

2012 में रंजीत सिन्हा की नियुक्ति पर भी उठे थे सवाल  

दिसंबर 2012 की बात करें, तो सीबीआई प्रमुख के रूप में रंजीत सिन्हा की नियुक्ति ने भी एक विवाद पैदा कर दिया था, जिसमें राज्यसभा पैनल की सिफारिश का हवाला देते हुए उनके प्रमोशन को रोक दिया गया था. इसमें कहा गया था कि एक कॉलेजियम को ही सीबीआई प्रमुख का चयन करने का अधिकार है. 

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने भी इस "गुप्त तरीके" पर सवाल उठाया था. हालांकि, सरकार ने कहा था कि चयन निष्पक्ष तरीके से किया गया है और इस मामले पर निर्णय लेने का अधिकार प्रधानमंत्री के पास है.

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