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New Criminal Laws: आज से लागू हुए 3 नए आपराधिक कानून, 10 पॉइंट में समझिए क्या-क्या बदलेगा

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज के नीचे बाधा डालने और बिक्री करने के आरोप में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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हाइलाइट्स
  • आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए

  • नए कानून के तहत दर्ज हुई पहली एफआईआर

देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. ये कानून, भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita 2023), और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Bharatiya Sakshya Adhiniyam 2023 ) हैं. 

नए कानून लागू होने से आम लोगों के पास पुलिस की पहुंच आसान होगी. किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करने की अनुमति (जीरो एफआईआर) और जघन्य अपराधों के लिए अपराध स्थलों की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधानों से जांच को मजबूत करने और पीड़ितों को समर्थन मिलने की उम्मीद है. इसमें शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करना, एसएमएस के जरिए इलेक्ट्रॉनिक समन और साक्ष्यों को तेजी से साझा करना भी शामिल है.

नए कानून के तहत दर्ज हुई पहली एफआईआर
दिल्ली में इन नए कानूनों के तहत पहली एफआईआर भी दर्ज हो गई है. एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ नई दंड संहिता भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला दर्ज किया गया है. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज के नीचे बाधा डालने और बिक्री करने के आरोप में एक स्ट्रीट वेंडर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत मामला दर्ज किया गया है. एफआईआर के मुताबिक, आरोपी की पहचान बिहार के बाढ़ निवासी पंकज कुमार के रूप में हुई है. एफआईआर के मुताबिक आरोपी सड़क के पास ठेले पर तंबाकू और पानी बेच रहा था, जिससे यात्रियों को परेशानी हो रही थी. जब उस इलाके में गश्त कर रही पुलिस ने आरोपी को अपना ठेला हटाने के लिए कहा, तो उसने बात अनसुनी कर दी. जिसके बाद  भारतीय न्याय संहिता की धारा 285 के तहत उसपर केस दर्ज किया गया.

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  • नए कानूनों से एक आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित होगी. नए आपराधिक कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए समन भेजना, क्राइम सीन की अनिवार्य वीडियोग्राफी, पुलिस शिकायतों का ऑनलाइन पंजीकरण और जीरो एफआईआर जैसी विशेषताएं होंगी.

  • इसके अलावा महिलाओं, 15 साल से कम उम्र के बच्चों, 60 वर्ष की आयु से अधिक के लोगों तथा दिव्यांग या गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को पुलिस थाने आने से छूट दी जाएगी. इन लोगों को घर पर ही पुलिस सहायता मिलेगी.

  • नए कानूनों के तहत अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना जाए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है. नए कानून के तहत पीड़ितों को भी एफआईआर की एक कॉम्प्लिमेंट्री कॉपी दी जाएगी.

  • कानून का एक दिलचस्प पहलू ये है कि अगर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे अपनी परिस्थितियों के बारे में अपने पहचान वालों को सूचित करने का अधिकार होगा. इससे गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को तुरंत मदद मिल सकेगी.

  • गिरफ्तारी विवरण को पुलिस स्टेशनों और जिला मुख्यालयों में प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे गिरफ्तार व्यक्ति के परिजनों और दोस्तों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी तक पहुंच आसान हो जाएगी.

  • नए कानून महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता देते हैं. पहली रिपोर्ट दो महीने की अंदर दाखिल की जानी चाहिए. इसके अलावा पीड़ित हर 90 दिनों में अपने मामले की प्रगति पर नियमित अपडेट पाने के हकदार हैं

  • नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे. नए कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के पीड़ितों को सभी अस्पतालों में मुफ्त प्राथमिक चिकित्सा या चिकित्सा उपचार मिले. 

  • दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट 7 दिन के भीतर देनी होगी.

  • नए कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है.

  • आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, आरोप पत्र, बयान, कबूलनामे और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां प्राप्त करने का अधिकार होगा. सुनवाई में अनावश्यक देरी को रोकने और समय पर न्याय दिलाने के लिए अदालतें केवल दो adjournments दे सकती हैं.