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New Criminal Laws: पुलिस अधिकारियों से लेकर न्यायिक अधिकारियों तक… सभी को दी गई ट्रेनिंग, एक जुलाई से लागू हो जाएंगी तीनों कानून संहिता

इन कानून और संहिताओं से जुड़े तीन प्रशिक्षण कोर्स में ही करीब ढाई लाख अधिकारियों ने नामांकन कराया है. आम नागरिकों को इन नए कानूनों के प्रति जागरूक बनाने के लिए आयोजित वेबिनार सेमिनार में 40 लाख से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष या वीसी के जरिए जुड़ कर प्रशिक्षण लिया.

New Criminal Laws (Representative Image/Getty Images) New Criminal Laws (Representative Image/Getty Images)
हाइलाइट्स
  • लोगों को दी गई है ट्रेनिंग

  • ढाई लाख अधिकारियों ने करवाया था नामांकन 

भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू होने में गिनती के दिन बचे हैं. सरकार ने अपने सभी संसाधनों के साथ एक जुलाई को इनके लागू होने की तैयारी भी पूरे जोश के साथ कर रखी है.

केंद्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय आपराधिक रिकॉर्ड ब्यूरो और पुलिस अनुसंधान ब्यूरो के साथ-साथ राष्ट्रीय सूचना संचार सेवा ने भी राज्य सरकारों के साथ मिलकर कई अफसरों को ट्रेनिंग दी है. पुलिस अधिकारियों, न्यायिक अधिकारियों और इससे जुड़ी सेवाओं के सवा छह लाख से ज्यादा लोगों को नए नियमों की ट्रेनिंग दी है. बीते छह महीनों में इन प्रशिक्षु अधिकारियों को नए जमाने और तकनीक के साथ जांच के नए औजारों और सुविधाओं के साथ पुख्ता सबूत जुटाने की ट्रेनिंग सक्षम और दक्ष ट्रेनरों ने दी है.

लोगों को दी गई है ट्रेनिंग

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सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के न्याय और गृह विभाग, कारागारों, अभियोजन अधिकारियों, कानून के छात्रों, शिक्षा विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, सहकारिता और ग्रामीण विकास विभाग के साथ पुलिस रिकॉर्ड से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को इसके बारे में जानकारी दी गई है. इनमें इन संहिताओं, कानून की जटिलताओं और उनसे सरलता और सहजता से निपटने के तकनीकी स्रोतों की जानकारी और ट्रेनिंग दी गई. इस काम में  साइंस टेक्नोलॉजी, संचार, पंचायती राज मंत्रालयों के विशेषज्ञों ने भी अपनी भूमिका निभाई.

क्या-क्या सिखाया गया है?

इन सभी को बताया गया कि कैसे अपराध के स्थान की फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी करनी है, साक्ष्य कैसे जुटाने हैं, इनमें तकनीक के जरिए अचूक तरीका कैसा होना चाहिए, बयान दर्ज करने में भी तकनीक का प्रयोग और मानवाधिकारों का ध्यान सर्वोपरि रूप से रखने आदि का प्रशिक्षण दिया गया.

इसके अलावा एनआईसी ने जो ई-कोर्ट्स के लिए न्याय श्रुति, ई साक्ष्य और ई-समन जैसे मोबाइल ऐप बनाए हैं उनके सहजता और कुशलता से इस्तेमाल की भी ट्रेनिंग दी गई. इन सबके लिए विकसित कोर्स के ढाई सौ से ज्यादा सत्र वेबिनार सेमिनार के जरिए आयोजित किए गए. इनमें करीब 50 हजार लोगों को प्रशिक्षित किया गया. फिर इन लोगों ने अपने सहयोगी और ग्राउंड वर्कर्स को ट्रेंड किया.

ढाई लाख अधिकारियों ने करवाया था नामांकन 

इन कानून और संहिताओं से जुड़े तीन प्रशिक्षण कोर्स में ही करीब ढाई लाख अधिकारियों ने नामांकन कराया है. आम नागरिकों को इन नए कानूनों के प्रति जागरूक बनाने के लिए आयोजित वेबिनार सेमिनार में 40 लाख से ज्यादा लोगों ने प्रत्यक्ष या वीसी के जरिए जुड़ कर प्रशिक्षण लिया. इसके अलावा पीआईबी और सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने भी देश के नागरिकों के लिए वार्तालाप सीरीज का आयोजन 17 बार किया.

अब इनका कितना असर हुआ इसकी जानकारी तो एक जुलाई के बाद से मिलना शुरू होगी. बता दें, कानून के कई दिग्गज जानकारों ने इन संहिताओं में मौजूद गंभीर खामियों के प्रति सरकार और समाज को बताया था. सुप्रीम कोर्ट में वकील समर सिंह के मुताबिक न्यायविदों के सुझाव और आपत्तियों पर अब तक तो कोई कंक्रीट समाधान नहीं हुआ है. शायद जब आगे समस्याएं सामने आएंगी तब कुछ किया जा सकेगा. क्योंकि नए कानूनों के साथ नई चुनौतियां भी सामने आएंगी.