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नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का होगा कायाकल्प...स्टेशन को कनॉट प्लेस से जोड़ने के लिए बनाया जाएगा पैदल मार्ग, फूड कोर्ट से लेकर शॉपिंग कॉम्पलेक्स तक जानिए क्या कुछ होगा नया

रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का कायाकल्प करने के लिए टेंडर जारी किया है. 20 जुलाई को इसके लेकर बैठक होनी है. नई योजनाओं के अनुसार, स्टेशन को मल्टीमॉडल और ट्रांसिट फ्रैंडली बनाया गया है. इसका उद्देश्य रेलवे स्टेशन को हवाई अड्डे और शहर के बाकी हिस्सों से निर्बाध रूप से जोड़ना है.

New Delhi Railway Station New Delhi Railway Station

रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बहुप्रतीक्षित पुनर्विकास के लिए एक नया टेंडर जारी किया है. यह चौथी बार है जब आरएलडीए इस परियोजना के लिए टेंडर की घोषणा कर रहा है. पिछली बार लार्सन एंड टुब्रो ने सबसे कम बोली लगाई थी, लेकिन उनका अनुमान 4,500 करोड़ रुपये के बजट को पार कर गया था. इससे पहले सरकार के विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी और दिल्ली में प्राधिकरणों की बहुलता के कारण यह परियोजना अटकी हुई थी.

आरएलडीए के कार्यकारी निदेशक (परियोजनाएं) विवेक सक्सेना के अनुसार, भूमि प्राधिकरण ने इस बार एक दर्जन से अधिक केंद्रीय और राज्य विभागों से परामर्श किया है और परियोजना के लिए उनसे नो ऑबजेक्शन सर्टिफिकेट भी लिया है. उन्होंने संभावित कॉमर्शियल पार्टनर्स की परेशानियों को कम करने के लिए पीपीपी के बजाय इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) अनुबंध के साथ आगे बढ़ने का भी फैसला किया है.

ईपीसी अनुबंध जोखिम कम करने की एक विधि है जहां एक कंपनी एक परियोजना के तीन मुख्य भाग - इंजीनियरिंग, सामग्री की खरीद और निर्माण का कार्य करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसे परियोजना के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके. फिर दूसरे पक्ष को परियोजना सौंप दी जाती है, इस तथ्य से आश्वस्त होकर कि निर्माण संबंधी सभी जोखिम दूसरे पक्ष द्वारा उठाए जाते हैं. चूंकि पीपीपी पुनर्विकास परियोजना के लिए दो बार विफल रही है. एक बार 2002-03 में और फिर 2021 में इसलिए ईपीसी सबसे व्यवहार्य विकल्प था.

भीड़भाड़ की वजह से हो रही थी दिक्कत
प्रोजेक्ट परिसर में बनाए जाने वाले कॉमर्शियल स्पेस के माध्यम से राजस्व अर्जित करने की योजना बना रही है. सक्सेना ने कहा, परियोजना द्वारा संबोधित की जाने वाली सबसे बड़ी चिंता वह भीड़भाड़ है जिसका क्षेत्र वर्तमान में सामना कर रहा है. अजमेरी गेट और पहाड़गंज के बीच स्थित, स्टेशन के आसपास यातायात की बाधाएं लंबे समय से यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई हैं.

20 जुलाई को होनी है मीटिंग
इसके लिए प्री-बिड (बोली लगाना) मीटिंग 20 जुलाई को निर्धारित की गई है और बोली 29 जुलाई को समाप्त होगी.यह योजना इससे पहले 2002-03 में एक बार प्रस्तावित की गई थी लेकिन पर्याप्त धनराशि नहीं जुटा पाने की वजह से पूरी नहीं हो पाई.  चूँकि इसे एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजना के रूप में डिज़ाइन किया गया था, प्राइवेट प्लेयर्स यह मूल्यांकन नहीं कर सकते थे कि जिस बड़ी राशि की मांग की गई थी, उसके लिए रिटर्न कैसे कमाया जाए. क्षेत्र में जगह की भी कमी थी जिसे व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए प्राइवेट प्लेयर्स को पट्टे पर दिया जा सकता था.

आरएलडीए के गठन के बाद 2008-09 में इसे फिर से उछाला गया लेकिन योजना चरण में राज्य विभागों से प्रशासनिक मुद्दों का सामना करना पड़ा. राज्य सरकार ने यातायात और भूमि आवंटन के संबंध में वैधानिक निकाय के साथ चिंताओं को भी साझा किया गया.

क्या होंगी सुविधाएं?
नई योजनाओं के अनुसार, स्टेशन को मल्टीमॉडल और ट्रांसिट फ्रैंडली बनाया गया है. इसका उद्देश्य रेलवे स्टेशन को हवाई अड्डे और शहर के बाकी हिस्सों से निर्बाध रूप से जोड़ना है. स्टेशन पर वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 5 लाख लोग आते हैं. नये रूप से डिजाइन किए गए स्टेशन में एक रूफ प्लाजा होगा जिसमें एक शॉपिंग एरिया और एक फूड कोर्ट होगा जहां लोग आराम कर सकते हैं और अपनी ट्रेनों की प्रतीक्षा कर सकते हैं. प्लेटफॉर्म का उपयोग केवल तभी किया जाएगा जब यात्री ट्रेनों से उतरेंगे या चढ़ेंगे.नया पुनर्निर्मित स्टेशन 1.5 करोड़ वर्ग मीटर में फैला हुआ होगा, जिसमें एक पैदल यात्री मार्ग होगा जो स्टेशन को कनॉट प्लेस से जोड़ेगा. 

रेलवे स्टेशन पहले से ही दिल्ली मेट्रो से जुड़ा हुआ है. अजमेरी गेट से गुजरने वाला रास्ता नई दिल्ली स्टेशन का मेट्रो से जोड़ता है. मेट्रो स्टेशन का सीधा कनेक्शन एयरपोर्ट मेट्रो लाइन से है. काम चरणों में किया जाएगा, स्टेशन के कुछ हिस्सों को एक बार में चार महीने के लिए बंद कर दिया जाएगा.
 

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