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जुवेनाइल जस्टिस बिल से लेकर फास्ट ट्रैक कोर्ट, रेप की परिभाषा और फंड तक... निर्भया कांड के 10 साल बाद महिलाओं के लिए कितना बदला देश

Nirbhaya Gangrape-Murder Case: 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक 23 साल की मेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने बेरहमी से गैंगरेप किया. इस केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस के बाद भारतीय कानून में बलात्कार के मामलों में कठोर से कठोर सजा देने के लिए कई प्रावधान किए गए. चलिए पढ़ते हैं आखिर 10 साल में देश के कानून में कितना बदलाव आया.

निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस (प्रतीकात्मक तस्वीर) निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस (प्रतीकात्मक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • निर्भया कांड ने भारतीय बलात्कार कानूनों को बदला

  • निर्भया फंड भी बनाया गया

साल 2012, तारीख 16 दिसंबर… आज से करीब 10 साल पहले भारत की राजधानी नई दिल्ली में एक 23 साल की मेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में छह लोगों ने बेरहमी से गैंगरेप किया. जिसके बाद उसे एक सुनसान जगह पर बस से फेंक दिया गया. 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में उसकी मौत हो गई. इस मामले ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया. जहां इस रेप केस ने अंतरराष्ट्रीय अखबारों में सुर्खियां बटोरीं, वहीं भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और जघन्य अपराधों को उजागर किया. इस रेप केस ने भारतीय कानून में बलात्कार के मामलों में कठोर से कठोर सजा देने और इसके लिए अलग-अलग कदम उठाने के लिए प्रेरित किया. 

क्या हुआ था उस रात?

एक 23 साल की फिजियोथेरेपी की छात्र (जिसे मीडिया ने बाद में चलकर "निर्भया," या "निडर" का नाम दिया) एक फिल्म थियेटर से होने दोस्त के साथ घर जा रही थी. दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर वह दोनों एक बस में बैठे. जिसके बाद चलती बस में महिला के साथ गैंगरेप किया गया. दोनों को सड़क के किनारे नग्न अवस्था में फेंक दिया गया और महिला की दो हफ्ते बाद मौत हो गई.

इस क्रूर अपराध के सभी छह आरोपियों - विनय शर्मा, मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, अक्षय सिंह, राम सिंह और छठा जुवेनाइल- को गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों में से एक नाबालिग था जिसको जुवेनाइल जस्टिस कोर्ट में पेश किया गया जहां उसे सुधार गृह में तीन साल की सजा सुनाई गई और 2015 में रिहा कर दिया गया. गैंगरेप आरोपी राम सिंह ने दिल्ली की तिहाड़ जेल में कैद के दौरान कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. वहीं बाकी बचे आरोपियों को रेप और हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गई. 

कैसे निर्भया कांड ने भारतीय बलात्कार कानूनों को बदलकर रख दिया?

इस गैंग रेप ने देश में बलात्कार से जुड़े कानूनों को बदलकर रख दिया. 21 मार्च, 2013 को देश में बलात्कार कानून में संशोधन किया गया. इसकी जगह पर नया सख्त बलात्कार विरोधी कानून - आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 बनाया गया. इसमें यौन अपराधों को फिर से परिभाषित किया गया और बलात्कार जैसे अपराध में दोषी सिद्ध हुए आरोपियों को सजा देने के लिए इस कानून को और भी कठोर बना दिया गया. 

जुवेनाइल जस्टिस बिल से लेकर बनाए गए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स 

कई राज्यों ने महिलाओं से जुड़े अपराधों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए गए. वहीं, रेप की परिभाषा को भी बदला गया. बता दें, निर्भया कांड से पहले सेक्सुएल पेनिट्रेशन (Sexual Penetration) को ही रेप माना जाता था. इसमें गलत तरीके से छेड़छाड़ और अन्य तरीके के यौन शोषण को भी रेप की धाराओं में लाया गया. ताकि दोषी को कठोर से कठोर सजा दी जा सके.

इतना ही नहीं, जुवेनाइल जस्टिस को लेकर भी कई कड़े नियम बनाए गए. 2013 में क्रिमिनल लॉ अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस आया, जिसके तहत आईपीसी की धारा 181 और 182 में बदलाव किए गए. इसमें रेप करने वाले को फांसी की सजा भी मिल सके, ऐसा प्रावधान किया गया. 

निर्भया फंड भी बनाया गया

इतना ही नहीं सरकार ने रेप से जुड़े मामलों के लिए निर्भया फंड भी बनाया. इसे विशेष रूप से विभिन्न राज्यों द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनकी शिकायतों के लिए वन-स्टॉप सेंटर, योजनाओं के लिए उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया था. इसके अलावा एक हेल्पलाइन भी शुरू की गई. हालांकि फंड पर सरकार द्वारा साझा किए गए डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटित 2,264 करोड़ रुपये (3,600 करोड़ रुपये का 63%) में से स्वीकृत धन का लगभग 89% उपयोग ही नहीं किया गया है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021 तक तमिलनाडु में सरकारी एजेंसियों के बीच खराब समन्वय के कारण स्वीकृत 461 करोड़ रुपये का केवल 10% ही इस्तेमाल किया जा सका.

उड़ीसा पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार को 2016 से जनवरी 2021 के आखिर तक निर्भया फंड से 2,532.49 लाख रुपये मिले थे, लेकिन 1,872.42 लाख रुपये खर्च ही नहीं किए जा सके.

10 साल बाद कितना बदला है देश?

हालांकि, कड़े कानून के बावजूद और कमजोर पॉलिसिंग और जांच ने देश में हो रहे बलात्कारों को कम नहीं किया है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रेप भारत में महिलाओं के खिलाफ चौथा सबसे आम अपराध है. निर्भया कांड के बाद कई ऐसे मामले ही देश में सामने आए. जिसमें उत्तर प्रदेश के उन्नाव का मामला,  हैदराबाद का गैंग रेप, हाथरस रेप जैसे हजारों मामले शामिल हैं. राष्ट्रिय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB)  के आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि 2012 में भारत को हिला देने वाली निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस के बाद देश में रेप के मामले जहां घटने चाहिए थे वहां बढ़े हैं. 

इस साल इंडिया टुडे की डेटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने बीते 10 साल में राज्यवार रेप केसों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है. इसमें पाया गया कि बीते 10 साल में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर स्थिति बद से बदतर हुई है. भारत में कुल दर्ज रेप केसों में, पांच रेप पीड़िताओं में से चार राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, असम, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली, इन 10 राज्यों से हैं.