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Birthday Anniversary: निर्मल वर्मा और मन्नू भंडारी ने हिन्दी साहित्य को दी एक अलग पहचान, इनकी कहानियों पर बनीं फिल्में जीत चुकी हैं कई पुरस्कार, दोनों के बारे में जानिए

Birthday Special Nirmal Verma and Manu Bhandari: दो महान साहित्यकार निर्मल वर्मा और मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल को हुआ था. दोनों की लेखनी में इतनी धार है कि कोई इनकी कहानियों के एक बार पढ़ना शुरू करे तो खत्म करके ही दम लेता है. आइए दोनों के बारे में जानते हैं.

मन्नू भंडारी और निर्मल वर्मा (फोटो सोशल मीडिया) मन्नू भंडारी और निर्मल वर्मा (फोटो सोशल मीडिया)
हाइलाइट्स
  • निर्मल वर्मा का जन्म 3 अप्रैल 1929 को शिमला में हुआ था

  • मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1939 को मध्य प्रदेश में हुआ था

हिन्दी साहित्य को अपनी लेखनी से अलग पहचान देने वाले दो महान साहित्यकार निर्मल वर्मा और मन्नू भंडारी का एक ही दिन 3 अप्रैल को जन्मदिन मनाया जाता है. निर्मल वर्मा का जन्म तीन अप्रैल 1929 को शिमला में और मन्नू भंडारी का जन्म 3 अप्रैल 1939 को मध्य प्रदेश स्थित मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में हुआ था. 

निर्मल वर्मा 
निर्मल वर्मा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कालेज से इतिहास में एमए किया था. पढ़ाई करने के बाद वह कुछ दिनों तक अध्यापन से जुड़े रहे. 1959 से 1972 के बीच उन्हें यूरोप प्रवास का अवसर मिला. वह प्राग विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या संस्थान में सात साल तक रहे. इनकी लेखनी में ऐसी धार है कि कोई एक बार पढ़ना शुरू करे तो वह उन्हें खत्म करके ही दम लेता है. निर्मल वर्मा लिखते हैं जब हम जवान होते हैं, हम समय के खिलाफ भागते हैं, लेकिन ज्यों-ज्यों बूढ़े होते जाते हैं, हम ठहर जाते हैं, समय भी ठहर जाता है, सिर्फ मृत्यु भागती है, हमारी तरफ..., साहित्य हमें पानी नहीं देता, वह सिर्फ हमें अपनी प्यास का बोध कराता है. जब तुम स्वप्न में पानी पीते हो, तो जागने पर सहसा एहसास होता है कि तुम सचमुच कितने प्यासे थे...,

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित 
निर्मल वर्मा की कहानी माया दर्पण पर 1973 में फिल्म बन चुकी है. इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के तहत सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म और सर्वश्रेष्ठ छायांकन की श्रेणी में पुरस्कार जीता है. साथ ही इस फिल्म को 1973 के फिल्मफेयर क्रिटिक्स पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ फिल्म से भी नवाजा गया था. उनकी कहानियों पर कुल पांच फिल्में बन चुकी हैं. निर्मल वर्मा की प्रमुख रचनाओं में अंतिम अरण्य, रात का रिपोर्टर, एक चिथड़ा सुख, लाल टीन की छत, वे दिन उपन्यास, कहानी संग्रह में परिंदे, कौवे और काला पानी, सूखा, संस्मरण यात्रा वृत्तांत में धुंध से उठती धुन, चीड़ों पर चांदनी, नाटक में तीन एकांत और निबंध में भारत और यूरोप, प्रतिभूति के क्षेत्र, शताब्दी के ढलते वर्षों से, कला का जोखिम आदि शामिल हैं. निर्मल वर्मा को 1999 में देश का सबसे बड़ा साहित्य सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. निर्मल वर्मा का निधन 25 अक्टूबर 2005 को हुआ था.

मन्नू भंडारी 
मन्नू भंडारी का असली नाम महेंद्र कुमारी था. उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर शहर में हुई. कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक और बीएचयू से हिंदी में एमए की डिग्री हासिल की. वह कई सालों तक डीयू के मिरांडा हाउस में हिंदी की अध्यापिका रहीं. मन्नू भंडारी की शादी हिन्दी के चर्चित साहित्यकार एवं पत्रिका हंस के संपादक राजेंद्र यादव से हुआ था. मन्नू को बचपन से ही लिखने का शौक था. वह उपन्यास 'आपका बंटी' से लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच गईं. इनकी प्रमुख रचनाओं में कहानी संग्रह एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, श्रेष्ठ कहानियाँ, आँखों देखा झूठ, नायक खलनायक विदूषक आदि शामिल हैं. प्रमुख उपन्यासों में आपका बंटी, महाभोज, स्वामी, एक इंच मुस्कान और कलवा, एक कहानी यह भी शामिल है. बिना दीवारों का घर नाटक भी लिख चुकीं हैं. मन्नू भंडारी का निधन 15 नवंबर 2021 को 90 वर्ष की आयु में हो गया था.

मिल चुके हैं कई पुरस्कार
मन्नू भंडारी की कहानी यही सच है  पर 1974 में फिल्म रजनीगंधा बनाई गई. एक और मशहूर कहानी एखाने आकाश नाई पर भी बॉलीवुड में फिल्म बन चुकी है. मन्नू भंडारी की इस कहानी पर साल 1979 में बासु चटर्जी के निर्देशन में फिल्म 'जीना यहां' बनाई गई थी. इस फिल्म को फिल्मफेयर क्रिटिक्स पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ फिल्म के लिए पुरस्कृत किया गया था. 2008 में मनु भंडारी को उनके आत्मकथा- एक कहानी यह भी के लिए, व्यास सम्मान से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें मप्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन का भवभूति अलंकरण और हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान प्राप्त हुआ.बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा भी वे पुरस्कृत हुईं.