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इंडिया की ‘पैड वुमन’ अंजू बिष्ट को मिला ‘वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड’, केले के रेशे से बनाती हैं रीयूजेबल पैड

अंजू और उनकी टीम महावारी के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले ऐसे पैड बनाती हैं जिन्हे रीयूज किया जा सकता है. गौर करने वाली बात ये है कि इन पैड्स को बनाने के लिए अंजू और उनकी टीम केले की पत्तियों का इस्तेमाल करती हैं. आज इनके पैड्स कई बाहरी देशों में भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

अंजू बिष्ट और उनकी संस्था अंजू बिष्ट और उनकी संस्था
हाइलाइट्स
  • अंजू और उनकी संस्था देश- विदेश में महिलाओं और लड़कियों को केले के रेशे से बने और किफायती  पैड उपलब्ध करा रही है

  • इन पैड्स के इस्तेमाल से  43,750 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल पैड को खत्म करने में मदद मिली है. 

केरल के कोल्लम (Kollam, Kerala) की रहने वाली अंजू बिष्ट (Anju Bist) को नीति आयोग ने वुमन ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया अवार्ड्स से नवाज़ा है. अंजू बिष्ट, अमृता सेरवी (Amrita SeRVe) नाम की एक संस्था चलाती हैं. यह संस्था सौख्यम रीयूजेबल पैड (Saukhyam Reusable Pad) बनाती है. खास बात ये है कि अमृता सेरवी संस्था पैड्स बनाने के लिए केले के पत्ते के फाइबर का इस्तेमाल करती है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह अपनी तरह का पहला पैड है जिसे इस तरह से बनाया जाता है. इसका मकसद भारत की ग्रामीण महिलाओं को कम कीमत पर पैड उपलब्ध कराना है. 

अब तक बेच चुकी हैं 5 लाख से ज्यादा ़पैड 

अब तक अमृता सेरवी ने 5 लाख से ज्यादा पैड बेचे है और गरीब महिलाओं में बांटे हैं. जिससे सालाना 2,000 टन से ज्यादा  CO2 के उत्सर्जन को रोकने में मदद मिली है. एक अंदाज के मुताबिक इन पैड्स के इस्तेमाल से  43,750 टन गैर-बायोडिग्रेडेबल पैड को खत्म करने में मदद मिली है. 

पैड बनाने के लिए करती हैं केले के रेशे का इस्तेमाल

अंजू और उनकी संस्था देश- विदेश में महिलाओं और लड़कियों को केले के रेशे से बने और किफायती  पैड उपलब्ध करा रही है. अंजू  बिष्ट को भारत के ग्रामीण क्षेत्रों  में काम करने का बढ़िया अनुभव है. अंजू बिष्ट  2013 से माता अमृतानंदमयी मठ का हिस्सा हैं, जिसने की गांवों को गोद लिया है. अंजू बिष्ट इन सभी गांवों के विकास के लिए काम करती आई हैं. 

सौख्यम रीयूजेबल पैड ने कई पुरस्कार जीते हैं. बता दें कि इन पैड्स को विदेशों में भी बेचा जाता है. यूके, जर्मनी, यूएसए, कुवैत और स्पेन जैसे देशों में बिक्री के लिए ऑनलाइन  सेवाओं की शुरूआत की जा चुकी है. 

इंडिया की पैड वुमन के बारे में जानिए 

अंजु बिष्ठ ने  1998 में यूएसए के मैरीलैंड विश्वविद्यालय से एमबीए और एमएस की पढ़ाई की है. इसके बीद अंजु ने  कुछ दिनों तक एक कंपनी में काम किया फिर 2003 में भारत वापस आग गईं. देश वापस आकर उन्होंने अमृता विश्वविद्यालय में छात्रों को पर्यावरण विज्ञान पढ़ाया. उन्हें अक्सर भारत की पैड वुमन के रूप में जाना जाता है. अंजू वीमेन इन इंडियन सोशल एंटरप्रेन्योरशिप नेटवर्क की संस्थापक सदस्य हैं.