केरल के वायनाड में नोरोवायरस (Norovirus) का मामला सामने आया है. नोरोवायरस एक पशु-जनित बीमारी है जो दूषित पानी और भोजन के माध्यम से फैलती है. दो सप्ताह पहले वायनाड जिले में एक पशु चिकित्सा महाविद्यालय के लगभग 13 छात्रों में दुर्लभ नोरोवायरस संक्रमण की सूचना मिली थी.
जिसके बाद, शुक्रवार को केरल के स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा. साथ ही, जरुरी दिशा-निर्देश जारी किए गए. वीना जॉर्ज ने कहा कि फिलहाल चिंता का कोई कारण नहीं है. लेकिन सभी को सतर्क रहना चाहिए. सुपर क्लोरीनीकरण सहित गतिविधियां चल रही हैं. पेयजल स्रोतों को स्वच्छ रखने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, "उचित रोकथाम और उपचार से बीमारी को जल्दी ठीक किया जा सकता है. इसलिए सभी को इस बीमारी और इसके बचाव के उपायों के बारे में पता होना चाहिए."
क्या है नोरोवायरस:
नोरोवायरस के कारण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (पेट संबंधित) बीमारी होती है. इसमें पेट और आंतों में सूजन आना, उल्टी और दस्त होना आदि शामिल हैं.
नोरोवायरस स्वस्थ लोगों को बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं करता है लेकिन यह छोटे बच्चों, बुजुर्गों और अन्य किसी बीमारी से जूझ रहे लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है.
नोरोवायरस संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में आने से या संक्रमित जगहों को छूने से आसानी से फ़ैल सकता है. किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा बनाए गए भोजन को खाने से भी यह फैल सकता है. यह वायरस संक्रमित व्यक्ति की उल्टी और मल से फैलता है.
क्या हैं नोरोवायरस के लक्षण:
दस्त, पेट में दर्द, उल्टी, मतली, बुखार, सिरदर्द और बदन दर्द नोरोवायरस के कुछ सामान्य लक्षण हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि उल्टी और दस्त के कारण मरीज को डिहाइड्रेशन और अन्य गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
बचाव के उपाय:
केरल के स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों में के अनुसार नोरोवायरस से संक्रमित लोगों को घर पर आराम करना चाहिए.
दिशानिर्देशों के अनुसार, समुद्री मछली और शंख जैसे केकड़ा और मसल्स को अच्छी तरह से पकने के बाद ही खाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि बासी और खुले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए.