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अब एक बूंद पानी नहीं जाएगा पाकिस्तान! पिघलती बर्फ, बहती नदियां और भारत की नई जलनीति का एलान, बनाया तीन-स्तरीय प्लान

कानूनी भाषा में "अबेअंस" का अर्थ होता है किसी निर्णय या समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करना यानी न रद्द करना, न पूरी तरह लागू रखना. सरकार का मतलब है कि जब तक हालात नहीं सुधरते, तब तक इस संधि के प्रावधान प्रभावी नहीं रहेंगे.

सिंधु नदी (फाइल फोटो- getty image) सिंधु नदी (फाइल फोटो- getty image)

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने जो फैसला लिया है, वह नदियों के रास्ते सरहद पार तक हलचल मचाने वाला है. जलशक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल ने शुक्रवार को एलान किया कि अब सिंधु नदी का एक-एक कतरा भी पाकिस्तान नहीं जाएगा.

साल 1960, भारत और पाकिस्तान के बीच एक संधि पर दस्तखत हुए-सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty). यह संधि नौ साल की कूटनीतिक मशक्कत के बाद वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में बनी थी. इसका मकसद था कि दोनों देश आपसी झगड़ों से परे होकर सीमावर्ती नदियों के पानी को लेकर एक साझा नियम तय करें.

तय हुआ कि पूर्वी नदियां- सतलुज, ब्यास और रावी भारत को मिलेंगी. जबकि पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चिनाब पाकिस्तान के हिस्से में जाएंगी. लेकिन अब, 64 साल बाद, भारत ने उस संधि को "अबेअंस (Abeyance)" में डालने का फैसला कर लिया है.

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अबेअंस (Abeyance) का मतलब क्या है?
कानूनी भाषा में "अबेअंस" का अर्थ होता है किसी निर्णय या समझौते को अस्थायी रूप से निलंबित करना यानी न रद्द करना, न पूरी तरह लागू रखना. सरकार का मतलब है कि जब तक हालात नहीं सुधरते, तब तक इस संधि के प्रावधान प्रभावी नहीं रहेंगे.

भारत का तीन-स्तरीय प्लान- शॉर्ट टर्म, मिड टर्म और लॉन्ग टर्म
सरकार ने साफ किया है कि सिंधु नदी का पानी अब पाकिस्तान नहीं जाएगा. इसके लिए तीन स्तरों पर काम किया जाएगा:

  1. शॉर्ट टर्म प्लान- मौजूदा डैम्स की क्षमता को बढ़ाकर तुरंत अधिक पानी रोका जाएगा.
  2. मिड टर्म प्लान- नए जलाशयों और डायवर्जन स्ट्रक्चर्स का निर्माण किया जाएगा ताकि पानी भारत के खेतों में पहुंचे.
  3. लॉन्ग टर्म प्लान- पूरे सिंधु बेसिन में ऐसी योजनाएं लागू होंगी, जिससे एक बूंद पानी भी सरहद पार न जाने पाए.

"पानी की एक-एक बूंद पर होगा भारत का हक" 
जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का पानी व्यर्थ न जाए. अब हर बूंद का इस्तेमाल भारत में होगा, चाहे वो पीने के पानी के लिए हो या सिंचाई के लिए.”

भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा, जिसमें साफ लिखा था कि संधि को 'अबेअंस' में रखा जा रहा है. इसका मतलब है- अब दोनों देशों के इंडस कमिश्नर की बैठकें नहीं होंगी. न तो डेटा साझा किया जाएगा और न ही किसी नए प्रोजेक्ट की पूर्व जानकारी दी जाएगी. भारत अब बिना पाकिस्तान से पूछे डैम बना सकता है, पानी रोक सकता है और अपनी परियोजनाएं शुरू कर सकता है

जल संसाधन सचिव देबाशी मुखर्जी ने पाकिस्तान को लिखे पत्र में कहा, “संधि को ईमानदारी से लागू करना हर देश की ज़िम्मेदारी होती है, लेकिन जब पड़ोसी देश आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तो उस पर भरोसा करना मुमकिन नहीं.”

कितनी बड़ी मार पड़ेगी पाकिस्तान पर?
पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था सिंधु नदी के पानी पर टिकी है. हर साल लगभग 135 MAF (मिलियन एकड़ फीट) पानी पाकिस्तान को मिलता है, जिससे वहां की फसलें सींची जाती हैं. 

पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत सरकार ने सिर्फ संधि निलंबित नहीं की, बल्कि कई और कड़े कदम उठाए हैं- जैसे पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों को देश से बाहर किया गया, अटारी बॉर्डर पर ट्रांजिट सुविधा बंद, साथ ही दूतावासों के स्टाफ में कटौती की गई है.