कोलकाता के अलीपुर जूलॉजिकल गार्डन ने जानवरों के बारे में पब्लिक अवेयरनेस पैदा करने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है. इस जूलॉजिकल गार्डन ने साल भर के अलावा, महीने भर के लिए जानवरों को गोद लेने की पहल की शुरुआत की है. गोद लेने के बाद, हालांकि जानवर चिड़ियाघर में ही रहते हैं, लेकिन गोद लेने वाले व्यक्ति को परिसर में चार लोगों के लिए एक कॉम्प्लिमेंट्री एंट्री पास मिलता है, जिसकी मदद से वह अपना जन्मदिन जू परिसर में मना सकता है. इसके साथ उसे एक एडॉप्शन कार्ड भी मिलता है.
गोद लेने की फीस की गई कम
चिड़ियाघर के डायरेक्टर असिस सामंत ने मंगलवार को कहा कि गोद लेने की फीस कम कर दी गई है, और अधिकारी लोगों को हिरण, बाघ और चिंपैंजी जैसे लोकप्रिय पक्षियों के अलावा कम लोकप्रिय पक्षियों और जानवरों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. उन्होंने एक न्यूज़ एजेंसी को बताया, "हम लोगों को कम लोकप्रिय जानवरों जैसे पैंगोलिन, फिशिंग कैट और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को एक महीने के लिए अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं ताकि आम आदमी के लिए गोद लेने को सस्ता बनाया जा सके और इस प्रथा को लोकप्रिय बनाया जा सके. लोग पहले की तरह एक साल के लिए भी जानवरों को गोद ले सकते हैं."
वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी जानवर और प्रायोजक की तस्वीर
एक शेर, बाघ या हाथी के लिए गोद लेने की सालाना दर 2 लाख रुपये है, जबकि जिराफ के लिए 1.5 लाख रुपये है. छोटे जानवरों को गोद लेने के लिए 15,000-20,000 रुपये और पक्षियों के लिए 2,000-3,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे. चिड़ियाघर के डायरेक्टर असिस सामंत ने कहा, "मासिक दर वार्षिक दर का बारहवां हिस्सा होगा. हम वेबसाइट पर जानवर और प्रायोजक की तस्वीर अपलोड करेंगे और इसे संबंधित बाड़े के पास भी लगाएंगे."
लॉकडाउन के बाद गोद लेने की प्रक्रिया में आई है तेजी
कोविड प्रतिबंध हटने के बाद से, अब तक 25 लोगों ने विभिन्न जानवरों और पक्षियों को गोद लिया है, और कई अन्य लोगों ने भी रुचि दिखाई है. उन्होंने कहा, "लॉकडाउन के बाद गोद लेने की प्रक्रिया में तेजी आई है. फिशिंग कैट, लकड़बग्घा, जिराफ, चिंपैंजी जैसे जानवरों को अपनाया गया है. मुझे उम्मीद है कि कई और लोग आगे आएंगे." रंगमंच की हस्ती सोहिनी सेनगुप्ता ने कुछ दिनों पहले ही चिंपैंजी बाबू को गोद लिया था. हावड़ा के एक आईपीएस अधिकारी और आशुतोष कॉलेज के एक प्रोफेसर ने दो छोटे जानवरों को गोद लिया है.