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अब गाड़ी के मालिक को ढूंढना हुआ आसान, 'रक्षक कोड' पार्किंग से लेकर एक्सीडेंट जैसे इमरजेंसी हालात में आता है काम

27 साल के विशाल ने रक्षक कोड नाम की एप्लीकेशन बनाई है. जिससे किसी भी गाड़ी के मालिक को ढूंढना आसान हो जाएगा. ये एप्लीकेशन पार्किंग से लेकर एक्सीडेंट जैसे इमरजेंसी हालात में काम आता है.

पार्किंग पार्किंग
हाइलाइट्स
  • सोसायटी से लेकर बाजार तक पार्किंग की समस्या होगी खत्म

  • ट्रैफिक पुलिस के लिए भी सुविधा

कई बार जिंदगी में कुछ ऐसे हादसे होते हैं, जो आपका जीवन बदल देते हैं. 27 साल के विशाल वर्मा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. साल 2012 में विशाल वर्मा के एक दोस्त का एक्सीडेंट हुआ. विशाल का दोस्त एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल था. घायल अवस्था में लोग विशाल के दोस्त से उसकी फैमिली के बारे में पूछ रहे थे. मम्मी पापा का कांटेक्ट नंबर मांग रहे थे. लोग उसके घर परिवार को जानकारी देने के लिए उससे तरह-तरह की बातें पूछ रहे थे. 

विशाल बताते हैं कि उनके दोस्त का फोन हम सभी के फोन की तरह लॉक था. ये सब पूछताछ करते-करते इतनी देर हो गई कि उनके दोस्त ने दम तोड़ दिया. अपने दोस्त को खोकर विशाल बेहद परेशान थे. लेकिन साथ ही साथ उनके दिमाग में यह बात चल रही थी कि ऐसा कुछ बनाया जाए, जिससे एक्सीडेंट जैसे इमरजेंसी हालात में आम लोग पीड़ित के घर परिवार के बारे में जानकारी जुटा लें. इस हादसे के कुछ साल बाद विशाल ने रक्षक कोड नाम की एप्लीकेशन बनाई है.

ऐसे करती है काम
रक्षक कोड में गाड़ी पर एक क्यूआर कोड लगाया जाता है. इस क्यूआर कोड के अंदर गाड़ी के मालिक की सारी जानकारी रखी जाती है. इमरजेंसी हालात में फोन करने के लिए तीन नंबर भी दिए जाते हैं. मतलब रक्षक कोड लगी गाड़ी का अगर एक्सीडेंट होता है कोई भी उसके बारकोड को स्कैन करके फटाफट पीड़ित के बारे में तमाम जानकारी जुटा सकता है.

सोसायटी से लेकर बाजार तक पार्किंग की समस्या होगी खत्म
पार्किंग दिल्ली एनसीआर की एक बड़ी समस्या है. अक्सर आपके साथ ऐसा होता होगा कि कई बार किसी बाजार की पार्किंग या फिर आपकी सोसाइटी की पार्किंग में कोई आपकी गाड़ी के आगे गाड़ी खड़ी कर देता है. जिससे आपकी गाड़ी ब्लॉक हो जाती है. उसे निकलने का रास्ता नहीं मिलता या फिर कई बार कोई दूसरा आप की पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी कर देता है. आप उस गाड़ी के मालिक को ढूंढते रहते हैं. ऐसे में अगर रक्षक कोड गाड़ियों में लगा होगा तो उसको स्कैन करके आप आराम से गाड़ी मालिक को बुला सकते हैं.

ट्रैफिक पुलिस के लिए भी सुविधा
विशाल वर्मा बताते हैं कि उनके इस स्टार्टअप को सरकार से जरूरी सर्टिफिकेट भी मिल चुके हैं. विशाल बताते हैं कि रक्षक कोड ट्रैफिक पुलिस का काम बहुत आसान कर देंगे. अगर सभी गाड़ियों में रक्षक कोड लगा होगा तो नो पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को टो करने के बजाए ट्रैफिक पुलिस आराम से क्यूआर कोड को स्कैन करके गाड़ी के मालिक को फोन या मैसेज कर सकती है. मालिक को बुलाकर पुलिस चालान तो कर सकती है लेकिन उसे गाड़ी को टो करने के झंझट से मुक्ति मिल जाएगी.