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Odisha Train Accident: क्या है भारतीय रेलवे का स्वदेशी सुरक्षा Kavach, लगा होता तो नहीं होती इतनी बड़ी दुर्घटना, जानें कैसे यह सिस्टम करता है काम 

Indian Railway Kavach and Odisha Train Accident: रेलेव का सुरक्षा 'कवच' ट्रेनों को खतरे (लाल) पर सिग्नल पार करने और टक्कर रोकने के लिए है. यदि किसी कारणवश लोको पायलट ट्रेन को कंट्रोल करने में विफल रहता है, तो यह ट्रेन के ब्रेकिंग सिस्टम को ऑटोमैटिक रूप से एक्टिव कर देता है. कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है. 

ओडिसा में ट्रेन हादसा (फोटो पीटीआई) ओडिसा में ट्रेन हादसा (फोटो पीटीआई)
हाइलाइट्स
  • मार्च 2022 में कवच सिस्टम का हुआ था ट्रायल 

  • कई रूटों पर इसे जोड़ने का चल रहा है काम  

ओडिशा में हुए भयानक ट्रेन हादसे ने भारतीय रेल के यात्रियों की सुरक्षा से जुड़े दावों पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं. इस समय रेलवे के उस सुरक्षा कवच की चर्चा जोर-शोर से हो रही है, जिसका उद्घाटन पिछले साल हुआ था. रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 'कवच' का निर्माण करवाया था. जानकारों का कहना है कि यदि यह 'कवच' लगा होता ओडिशा के बालासोर में इतनी बड़ी दुर्घटना नहीं हुई होती. रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने जानकारी दी है कि इस रूट पर कवच सिस्टम नहीं लगा था.

'कवच' का हुआ था सफल परीक्षण 
रेल हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे के इस कवच को बड़ी क्रांति माना जाता है. इस तकनीक के बारे में कहा जाता है कि यदि एक ही पटरी पर ट्रेन आमने-सामने भी आ जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होगा. मार्च 2022 में हुए कवच टेक्नोलॉजी के ट्रायल में एक ही पटरी पर दौड़ रही दो ट्रेनों में से एक ट्रेन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सवार थे और दूसरी ट्रेन के इंजन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन खुद मौजूद थे. एक ही पटरी पर आमने-सामने आ रही ट्रेन और इंजन ‘कवच’ टेक्नोलॉजी के कारण टकराए नहीं, क्योंकि कवच ने रेल मंत्री की ट्रेन को सामने आ रहे इंजन से 380 मीटर दूर ही रोक दिया और इस तरह परीक्षण सफल रहा. 

आरडीएसओ के साथ मिलकर किया था डेवलप
भारतीय रेलवे ने कवच टेक्नोलॉजी रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (RDSO) के साथ मिलकर डेवलप किया था ताकि पटरी पर दौड़ती ट्रेनों की सेफ्टी सुनिश्चित की जा सके. कवच एक ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. इस सिस्टम पर रेलवे ने साल 2012 में काम करना शुरू किया था. इसका पहला ट्रायल साल 2016 में किया गया था. पिछले साल इसका लाइव डेमो भी दिखाया गया था. 23 दिसंबर 2022 के रेलवे के बयान के मुताबिक, 'कवच सिस्टम को फेज मैनर (चरणबद्ध) तरीके से इंस्टॉल किया जाएगा.  कवच को साउथ सेंट्रल रेलवे के 1445 किलोमीटर रूट और 77 ट्रेनों में जोड़ा गया है. इसके साथ ही दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर पर भी इसे जोड़ने का काम चल रहा है. 

कैसे करता है काम 
इस सिस्टम में 'कवच' का संपर्क पटरियों के साथ-साथ ट्रेन के इंजन से होता है. पटरियों के साथ इसका एक रिसीवर होता है तो ट्रेन के इंजन के अंदर एक ट्रांसमीटर लगाया जाता है, जिससे की ट्रेन की असल लोकेशन का पता चलता रहे. 'कवच' के बारे में कहा गया था कि वो उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमेटिक रूप से रोक देगा, जैसे ही उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी पटरी पर दूसरी ट्रेन के होने का सिग्नल मिलेगा. इसके साथ डिजिटल सिस्टम रेड सिग्नल के दौरान 'जंपिंग' या किसी अन्य तकनीकि खराबी की सूचना मिलते ही ‘कवच’ के माध्यम से ट्रेनों के अपने आप रुकने की बात कही गई थी. सिस्टम लगातार ट्रेन की मूवमेंट को मॉनिटर करता है और इसके सिग्नल भेजता रहता है. दावों की मानें तो अगर कोई ट्रेन सिग्नल जंप करती है, तो 5 किलोमीटर के दायरे में मौजूद सभी ट्रेनों की मूवमेंट रुक जाएगी.