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Odisha’s Plan to Combat Lightning Strikes: आकाशीय बिजली से बचने की तैयारी! ओडिशा में लगाए जाएंगे ताड़ के पेड़

ताड़ के पेड़ लगाने की ओडिशा की योजना बिजली से होने वाली मौतों को कम करने में मदद करेगी. अब ओडिशा अपनी वृक्षारोपण पहल के साथ आगे बढ़ रहा है. इसके अलावा, शिक्षा और तैयारियों के साथ नए समाधानों को जोड़कर, राज्य बिजली गिरने के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है. 

Odisha’s Plan to Combat Lightning Strikes (Representative Image) Odisha’s Plan to Combat Lightning Strikes (Representative Image)

पिछले कुछ सालों में ओडिशा में बिजली गिरने से कई लोगों की मौत हुई है. अब इस समस्या से निपटने के लिए ओडिशा सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. जुलाई में ओडिशा सरकार ने बिजली गिरने से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

 ये पहल बिजली के प्रभाव को कम करने के लिए डिजाइन की गई है. बता दें, 2015 में राज्य में बिजली गिरने के हमलों को राज्य-विशिष्ट आपदा के रूप में नामित किया गया था. 

ओडिशा में बिजली गिरने का प्रभाव
ओडिशा में बिजली गिरना एक गंभीर और बार-बार आने वाली समस्या रही है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 11 साल में बिजली गिरने से कुल 3,790 लोगों की जान चली गई है. समस्या अब और भी गंभीर हो गई है. पिछले तीन वित्तीय वर्षों में ही 791 मौतें दर्ज की गई हैं. सबसे बड़ी घटनाओं में से एक 2 सितंबर, 2023 को हुई, जब ओडिशा में केवल दो घंटों के भीतर 61,000 बार बिजली गिरने का अनुभव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई.

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स्पेशल रिलीफ कमिश्नर ऑफिस के अनुसार, बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या 2021-22 में 282, 2022-23 में 297 और 2023-24 में 212 थी. सबसे अधिक प्रभावित जिलों में मयूरभंज, क्योंझर, बालासोर, भद्रक, गंजम, ढेंकनाल, कटक, सुंदरगढ़, कोरापुट और नबरंगपुर शामिल हैं. 2015 से, राज्य सरकार ने बिजली गिरने से मरने वालों के परिवारों को 4 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. 

ओडिशा में बिजली गिरना है बड़ी चिंता का विषय
बिजली गिरना एक प्राकृतिक घटना है. ओडिशा में अपनी जलवायु परिस्थितियों के कारण विशेष रूप से बिजली गिरने का खतरा रहता है. ओडिशा में, बिजली गिरने की ज्यादातर घटनाएं- लगभग 96% - ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं. इससे किसानों और खेतिहर मजदूरों जैसे दैनिक वेतन भोगियों को काफी जोखिम का सामना करना पड़ता है. राज्य की 80% से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर है. ये लोग अक्सर खेतों में लंबे समय तक काम करते हैं. ऐसे में उनपर बिजली गिरने का सबसे ज्यादा खतरा होता है. अप्रैल और अक्टूबर के बीच बिजली गिरने की खबरें ज्यादा आती हैं. 

बिजली गिरने से निपटने के लिए ओडिशा की रणनीति
इस मुद्दे के समाधान के लिए, ओडिशा सरकार ने 19 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का प्रस्ताव दिया है. ताड़ के पेड़ ऊंचाई और नमी की मात्रा के लिए जाने जाते हैं. वे प्राकृतिक बिजली चालक के रूप में काम करते हैं, बिजली के झटके को अपने अंदर सोख लेते हैं और जमीन पर उनके प्रभाव को कम करते हैं.

राज्य सरकार ने इस पहल के लिए 7 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. इस योजना में जंगलों की सीमाओं पर इन पेड़ों को लगाना शामिल है. साथ ही मौजूदा ताड़ के पेड़ों की कटाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.