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One Nation One Election History: भारत में पहले भी हो चुके हैं वन नेशन, वन इलेक्शन, जानिए आख़िरी बार पूरे देश में कब हुए थे एक साथ चुनाव

भारत में इन दिनों वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation One Election) की चर्चा चल रही है. ऐसा नहीं है कि देश में पहली बार एक साथ चुनाव हो रहे हैं. पहले भी देश में कई चुनाव एक साथ हुए हैं.

One Nation One Election (Photo Credit: PTI) One Nation One Election (Photo Credit: PTI)
हाइलाइट्स
  • कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन को मंजूरी दी

  • लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे

इन दिनों भारत की सियासत में वन नेशन, वन इलेक्शन (One Nation One Election) की चर्चा चल रही है. वन नेशन, वन इलेक्शन को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है. अब संसद के विंटर सेशन में लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाना है.

पहले बताया गया था कि इस बिल को सोमवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा लेकिन अब इस बिल को कार्यसूची से हटा दिया गया है. वन नेशन, वन इलेक्शन को राज्यसभा में पेश नहीं किया जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वन नेशन, वन इलेक्शन को लाने की तैयारी में है. गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसे लाने को लेकर जोर दिया है. इस बिल के पास होते ही पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने लगेंगे.

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ऐसा नहीं है कि पहली बार देश में वन नेशन, वन इलेक्शन हो रहे हैं. आजादी के बाद भारत में पहले भी एक साथ चुनाव हुआ करते थे. आइए वन नेशन, वन इलेक्शन पर नजर डालते हैं.

नेहरू के राज में एक साथ चुनाव
आजादी के बाद पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हुआ करते थे. साल 1952 में पहली बार देश में चुनाव हुए. केन्द्र में कांग्रेस की सरकार आई. जवाहर लाल नेहरू फिर से देश के प्रधानमंत्री बने. इस दौरान विधानसभा चुनाव भी हुए.

इसके बाद 1957, 1962 और 1967 तक वन नेशन, वन इलेक्शन की परंपरा बनी रही. पूरे देश में एक साथ विधानसभा और लोकसभा के चुनाव हुआ करते थे. 1957 में केरल में पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकार आई. ये सरकार दो साल भी नहीं चल पाई. केरल की राज्य सरकार को भंग कर दिया गया.

केरल में मध्यावधि चुनाव
केरल में मध्यावधि चुनाव हुए. केरल देश का पहला राज्य बना जहां मध्यावधि चुनाव हुए. इस तरह से केरल की समय अवधि बदल गई. केरल के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव से अलग हुए. ये तो एक राज्य के अलग होने चुनाव होने की बात है. देश में 1967 तक लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते रहे.

इंदिरा गांधी ने तोड़ी परंपरा
1967 में इंदिरा गांधी देश (Indira Gandhi) की प्रधानमंत्री बनी. अगले कुछ सालों में कांग्रेस और इंदिरा के साथ काफी कुछ घटा. इंदिरा गांधी कांग्रेस से अलग अपने फैसले लेने लगीं. कांग्रेस नेतृत्व ने भी इंदिरा गांधी के कई फैसलों का विरोध किया.

इसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस दो टुकड़ों में बंट गई. हालांकि, इंदिरा गांधी ही प्रधानमंत्री बनी.  1972 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने थे. इंदिरा गांधी ने 15 महीने पहले ही 1971 में लोकसभा चुनाव करा दिए. इससे देश में एक साथ चुनाव कराने की परंपरा टूट गई.

इंदिरा गांधी की कांग्रेस चुनाव जीत गई. बाद में 1972 में राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए. इस तरह से देश में वन नेशन, वन इलेक्शन की परंपरा टूट गई.