केंद्र ने ऑनलाइन गेमिंग सेवाओं और ऑनलाइन विज्ञापनों सहित सर्विस प्रोवाइडर्स को सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत लाने का आदेश जारी किया है.राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 'ऑनलाइन कंटेंट प्रोवाइडर्स/प्रकाशकों द्वारा उपलब्ध कराई गई फिल्में और ऑडियो-विजुअल कार्यक्रम/कंटेंट को भारत सरकार की दूसरी अनुसूची (व्यवसाय का आवंटन )नियम, 1961 में "सूचना और प्रसारण मंत्रालय" शीर्षक के तहत लाया जाएगा.
लक्जरी आइटम माना जाएगा
इस नोटिफिकेशन के माध्यम से, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को गेमिंग सामग्री प्लेटफार्मों और ऑनलाइन विज्ञापनों के लिए नीतियों को विनियमित करने की शक्ति मिल जाएगी. इससे पहले अप्रैल में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने "ऑनलाइन रियल मनी गेम" को विनियमित करने के लिए आईटी नियम, 2021 में एक संशोधन जारी किया था, जहां यूजर्स को खेलने के लिए पैसे का जोखिम उठाना पड़ता था.बता दें कि 2 अगस्त को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग होनी है जिसमें ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को लेकर सरकार सख्त फैसला ले सकती है. खबर है कि इन सभी कंपनियों को प्रतिबंधित किया जा सकता है. दरअसल सरकार मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चोरी के बढ़ते मामलों से परेशान है. 11 जुलाई को जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को 28 प्रतिशत टैक्स स्लैब में डाल दिया गया था जिसका काफी विरोध हुआ था.
हालंकि जीएसटी काउंसिल के नए फैसले से बचने के लिए कंपनियां चाहें तो बाहर से अपने बिजनेस को ऑपरेट कर सकती हैं लेकिन सरकार ने इस पर भी लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है. ऐसे लोगों से पेमेंट सोर्स के जरिए जीएसटी वसूला जाएगा. एक अधिकारी ने जानकारी दी और कहा, ग्रॉस गेमिंग रेवेन्यू के बजाए दांव लगाने वाले मूल्य पर 28 प्रतिशत का जीएसटी लेना पूरे प्रोसेस को काफी सरल बना देता है. वहीं विदेश प्लेयर्स से पेमेंट सोर्स के जरिए टैक्स वसूला जा सकता है.''
लग सकेगा बैन
वित्त मंत्रालय की तरफ से मुख्य तौर पर साइबर क्राइम के चार तरीके के मामले सामने आए हैं. इसके अनुसार पहला मामला क्रिप्टोकरेंसीज, दूसरा मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग है. इसके अलाव म्युल अकाउंट्स और कर्ज देने वाले एप के जरिए लोगों को बेवकूफ बनाया जाता है. ऑनलाइन मीडिया को विनियमित करने का कदम पहली बार मार्च 2018 में तत्कालीन I&B मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा शुरू किया गया था जोकि ऑनलाइन स्थान सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 द्वारा शासित है.जीएसटी काउंसिल में इस बार कुछ कड़े फैसले लिए जा सकते हैं. इसके तहत विदेशों से ऑपरेट हो रही ऑनलाइन कंपनियों को जीएसटी के दायरे से बाहर नहीं किया जा सकेगा. टैक्स अथॉरिटीज के पास नियम ना मानने वाली कंपनियों पर बैन लगाने का भी अधिकार होगा.
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