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Operation Vijay: पॉइंट 5140 पर आज ही के दिन भारतीय सेना ने फहराया था तिरंगा, हार की खबर सुन भाग बैठे थे पाकिस्तानी सैनिक

Operation Vijay: 20 जून 1999 को सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर विक्रम बत्रा ने अपने साथियों के साथ 5140 चोटी पर खड़े होकर कहा था ‘ये दिल मांगे मोर.’ करीब तीन महीने तक चले इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानियों के दांत खट्टे कर दिए थे. सबसे ज्यादा बहादुरी के अवार्ड भारतीय सेना को इसी लड़ाई में मिले.

Operation Vijay Operation Vijay
हाइलाइट्स
  • आज ही के दिन भारतीय सेना ने किया था पॉइंट 5140 पर कब्जा

  • एक तरफ तीनों चोटियों पर बैठी पाकिस्तानी सेना, दूसरी तरफ बुलंद हौसला लिए भारत के जांबाज सपूत

  • विक्रम बत्रा ने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारा.

इस जुलाई में कारगिल युद्ध को 23 साल पूरे हो जाएंगे. साल 1999 में मई, जून और जुलाई के महीने में जब लोग अपने घरों में सुरक्षित बैठे थे, तब देश के जवान ऑपरेशन विजय को अंजाम दे रहे थे. इस पूरे ऑपरेशन में भारत के 527 सैनिक शहीद हुए थे और 1363 जवान घायल हुए थे. लड़ाई की शुरुआत तब हुई जब हमेशा की तरह पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की.

ये दिल मांगे मोर...

ऑपरेशन विजय के लिए आज का दिन बेहद खास है. आज ही के दिन 1999 में सुबह तीन बजकर 30 मिनट पर भारतीय सेना ने दुर्गम चोटी 5140 को वापस अपने कब्जे में ले लिया था. अपने साथियों के साथ 5140 चोटी पर खड़े होकर कैप्टन विक्रम बत्रा ने कमांडिंग ऑफिसर कर्नल वाईके जोशी को रेडियो के जरिए संदेश भेजा था, यह दिल मांगे मोर यानी हमने 5140 को फतेह कर लिया है.'

दुर्गम चोटी को कब्जे में लिया

कारगिल युद्ध की सबसे भंयकर लड़ाई द्रास सेक्टर के तोलोलिंग की पहाड़ियों, प्वाइंट 5140 और टाइगर हिल पर हुई थी. शेरशाह के नाम से मशहूर कैप्टन बत्रा ने 20 जून को टाइगर हिल के पास पॉइंट 5140 की चोटी फतह कर इस जीत को अपने साथियों के नाम किया था. इस जीत पर बात करते हुए कैप्टन बत्रा ने कहा था- 'हमारे लड़के इतने जोश में थे कि उनका एक ही मकसद था पॉइंट 5140 को कैप्चर करना'. 

 

करगिल की इस लड़ाई को ऑपरेशन विजय का नाम दिया गया

पॉइंट 5140 से कैप्टन बत्रा की डेल्टा कंपनी ने 13 घुसपैठियों को मार कर भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किए थे. जिनमें हैवी मशीन गन भी शामिल थी. जैसे ही पाकिस्तानी सैनियों को पता चला कि पॉइंट 5140 पर भारतीय सेना का कब्जा हो गया है, बचे हुए सैनिक सबकुछ छोड़कर भाग निगले. 

कैप्टन बत्रा का अगला टारगेट था पॉइंट 4875. हालांकि पॉइंट 4875 पर भारत की फतह तो हुई पर सेना के जांबाज कैप्टन नहीं लौटे, 7 जुलाई को वह शहीद हो गए. कारगिल के युद्ध में कैप्टन विक्रम बत्रा ने वीरता की ऐसी मिसाल पेश की, जिसका लोहा पाकिस्तान ने भी माना. आखिरकार 26 जुलाई को आखिरी चोटी पर भी तिरंगा लहराया गया. यही दिन ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.

कौन थे विक्रम बत्रा

9 सितंबर 1974 को जन्मे विक्रम बत्रा को सीडीएस (संयुक्त रक्षा सेवा) जरिए सेना के लिए चुना गया था. दिसंबर 1997 उन्हें जम्मू में सोपोर में 13 जम्मूकश्मीर राइफ्लस में लेफ्टिनेट पद पर नियुक्ति मिली. जून 1999 में कारगिल युद्ध में ही वे कैप्टन बनाए गए. विक्रम बत्रा  ने नेतृत्व में ही भारतीय सेना ने प्वाइंट 5140 फतह किया. विक्रम बत्रा कारगिल युद्ध के दौरान 4875 प्वाइंट पर लड़ते हुए शहीद हो गए थे. भारत सरकार ने मरणोपरांत कैप्टन विक्रम बत्रा को सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार परमवीर चक्र से सम्मानित किया था.