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व्यंग्य: 'ओछेपन में भेदभाव की ना हो भावना... पीछे से पड़े गालियां... दो बिस्किट पर दिन गुजरने की साधना...' सियासत में मोटी चमड़ी पाने के अचूक उपाय!

कुर्सी पर टकटकी बांधे एकाएक उन्हें जीवन का लक्ष्य मिल गया. मिलते ही पाने की दिशा में बढ़ने लगे. शुरुआत में किचन के चमचे पर प्यार आया. फिर उनके मुंह से फूल झरने लगे. कुछ आगे बढ़ने पर वे चरणों में लोटने लगे. फिर लड़ाई-झगड़े की दिशा में रुख किया. बीच में वक्त मिलने पर गाली-गलौज की भी प्रचंड प्रैक्टिस लगे. इस तरह उनका विकास लगातार जारी है.

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चमकती-दमकती-निखरी त्वचा... रूप निखर आएगा गुणकारी हल्दी-चंदन से... दुनिया ग्लोइंग स्किन पाने के लिए मचल रही है. लाख रुपए खर्च कर रही है. कई देशों में डोल रही है. कई तरह के ट्रीटमेंट की मौज ले रही है. और दूसरी तरफ एक प्रजाति ऐसी भी है, जिसे ग्लोइंग विलोइंग स्किन से कोई मतलब नहीं, उसे तो थिक स्किन चाहिए बोले तो मोटी चमड़ी... तलवार भले ही जिसके आर-पार हो जाए लेकिन किसी बात के आर-पार होने की गुंजाइश ना हो. कोई नैतिक बात आकर टकराए तो प्रचंड रफ्तार से वापस चली जाए. सिद्धांतों की बात आए तो चमड़ी कछुए की खाल बन जाए. परिवारवाद, भाई-भतीजावाद जैसा आरोप सामने आए तो चमड़ी पर वज्र का लेपन हो जाए.

बाबा! ऐसी स्किन चाहिए, जिससे हर आरोप बूमरैंग टाइप टकराकर लौट जाए. एक प्रजाति की आशा, आकांक्षा, उम्मीद वाली इस मोटी चमड़ी पाने की डेली एक्सरसाइज़ के बारे में ज़रा खुलकर बताया जाए... कहानी में ग़ज़ब ट्विस्ट-टर्न हैं... राज़ तो क्लाइमेक्स में खुलेगा. तो शुरू करते हैं... कुर्सी पर टकटकी बांधे एकाएक उन्हें जीवन का लक्ष्य मिल गया. मिलते ही पाने की दिशा में बढ़ने लगे. शुरुआत में किचन के चमचे पर प्यार आया. फिर उनके मुंह से फूल झरने लगे. कुछ आगे बढ़ने पर वे चरणों में लोटने लगे. फिर लड़ाई-झगड़े की दिशा में रुख किया. बीच में वक्त मिलने पर गाली-गलौज की भी प्रचंड प्रैक्टिस करने लगे. इस तरह उनका विकास लगातार जारी है. उनका विकसित होते जाने में भारी भरोसा है. वे बचपन से ही विकास पुरुष हैं.

उनका मानना है कि कठिन परिश्रम से ही व्यक्तित्व का विकास होता है. उनका व्यक्तित्व प्रतिदिन निखरता चला जा रहा है. लोग उनके आने-जाने अर्थात् दोनों ही क्रम के पश्चात उनको भला-बुरा कहते हैं. ऐसे किसी भी तथ्य की जानकारी मिलने पर वे प्रसन्न होते हैं. मान के चलते हैं कि यदि कोई आपको नोटिस नहीं कर रहा है, तो क्षणभंगुर जीवन में आपकी कोई पहचान नहीं है. 

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नारी कल्याण और ओछापन करने में वे किसी तरह का भेदभाव नहीं करते हैं. भेदभाव करने पर कइयों को बख्शना पड़ता है. यूं ही सब बख्शे जाएंगे तो वे लक्ष्य का दिशा में आगे कैसे बढ़ पाएंगे. यानी लक्ष्य की दिशा में जाने के लिए वे हर तरह के भेदभाव से बचते हैं. उनका पूरा भरोसा है कि हर तरह के गिरे हुए को ऊंचा उठाने चाहिए. वे हर गिरे काम को ऊंचा उठाने में लगे रहते हैं. बल्कि उन्हें आदर्श के स्तर पर प्रतिष्ठित करने में लगे हैं. वे निजी तौर पर भी ऊंचा उठना चाहते हैं. कितना ऊंचा? इस बारे में ठीक-ठीक नहीं बता पाते हैं. जोर देकर पूछने पर बताते हैं कि इतना चालू आदमी तो भाई साब आज तक नहीं देखा, के आसपास का मामला बैठना ही चाहिए.

वे व्यक्तित्व में कई खूबियां जोड़ना चाहते हैं. जोड़ भी रहे हैं. एक बीड़ी, 100 ग्राम मूंगफली में दिन गुज़ार सकते हैं. धरती पर लेटकर धूलभरा फ़र्श ओढ़ सकते हैं. किसी से झूमाझटकी करने से पीटने की रफ़्तार पकड़ने में कुल साढ़े छह मिनट का समय लगाते हैं. जूते से घातक चोट ज़बान से पहुंचाने के एक्सपर्ट हो चुके हैं. चांटे मारने की जगह चरित्र पर थूकने लगे हैं. सामने वाला ख़ुद से ज्यादा चरित्रवान हो तो झट से चाटने का अभ्यास भी साध रखा है. झुककर और मौक़ा पड़ने पर लेटकर भी पैर छू सकते हैं. हाइकमान की तरफ़ से आते हर विचार को पकड़ने के लिए पूरी बॉडी ट्यून कर चुके हैं.

किसी भी दिशा और हवा से नोट पैदा किए जाने का जादू सीख चुके हैं. जितना मिले उसका अधिकतम हिस्सा हड़पने का प्रबंधन आ चुका. ऐसी लौ लगाई है कि छल- फरेब-धूर्तता करने में अपने-पराए का अंतर भूल चुके हैं. इस मामले में व्यक्तिगत स्वार्थ के सख़्त ख़िलाफ़ हैं. ख़िलाफ़त या सत्याग्रह जैसे शब्दों से भी फिलहाल दूर ही हैं. जिन शब्दों से वे निकट का वास्ता रखते हैं, उनमें कई भाषाओं में गालियां प्रमुख हैं.

वे इस दिशा में लोक भाषाओं से भी जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं. इतना आत्मविश्वास आ चुका है कि चीख़ने में तीन लोगों से एकसाथ मुक़ाबला कर सकते हैं. शरीर को साधने का ऐसा दावा है कि पांच लोग भी पीटें तो मुंह से आह तक न निकले. मोटी चमड़ी पाने की उनकी साधना शैली की प्रसिद्धि शहर की सीमाओं से परे पहुंचने लगी है. लोग उन्हें देखकर यह ज्ञान प्राप्त करने लगे हैं कि शरीर के साथ जब बरसों यह अभ्यास नियमित तौर पर किया जाता है, तब इस तरह की चमड़ी का वरदान प्राप्त होता है.

यह भी जान लो.. चमड़ी को मोटा करने की इस साधना को करना हरेक के बस की बात नहीं है. तप में सफल हुए... तब व्यक्तित्व में आता है निखार... बड़े से बड़े, गंभीर से गंभीर मुद्दे को भी सिर्फ़ सिर हिलाकर उड़ा देने का हुनर आता है. ऐसी नज़र विकसित होती है कि सामने वाला अपने ही आरोप पर पछताने को विवश हो जाए. पत्रकार कितना भी पूछें मुंह से कोई जवाब न फूटे. 'गुरु ! जब इतना तगड़ा अभ्यास साध लिया जाता है, तब सियासत में सफलता की संभावना बनती है. तब आपके लिए राह खुलती है. फिर इस 24 कैरेट के सोने सी दमकती स्किन वाले जुझारू व्यक्तित्व के लिए घर के सामने लाइन लगती है...'