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देश से बड़ा कुछ नहीं! एंटी-कश्मीर पर डिबेट के लिए Oxford University ने बुलाया, The Kashmir Files के डायरेक्टर Vivek Agnihotri ने इनविटेशन ठुकराया

ऑक्सफोर्ड यूनियन, अपनी अलग-अलग और बड़ी डिबेट्स के लिए जाना जाता है. इसबार ऑक्सफोर्ड यूनियन ने कश्मीर विषय चुना था. इसके लिए ऑक्सफोर्ड ने विवेक अग्निहोत्री को डिबेट के लिए बुलाया था.

Vivek Agnihotri Vivek Agnihotri
हाइलाइट्स
  • ऑक्सफोर्ड यूनियन की ओर से आया था निमंत्रण

  • कश्मीर फाइल के डायरेक्टर ने ठुकराया ऑफर

फिल्ममेकर और लेखक विवेक रंजन अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) एक बार फिर से चर्चा में हैं. उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) में एक डिबेट में भाग लेने से इनकार कर दिया. ये डिबेट कश्मीर की आजादी पर होने वाली थी, जिसमें विवेक अग्निहोत्री को आमंत्रित किया गया था. विवेक अग्निहोत्री ने इस विषय को आक्रामक, भारत विरोधी और कश्मीर विरोधी बताया है. 

दरअसल, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, अपनी अलग-अलग और बड़ी डिबेट्स के लिए जाना जाता है. ये डिबेट ऑक्सफोर्ड यूनियन (Oxford Union) करवाती है. इसबार ऑक्सफोर्ड यूनियन ने कश्मीर विषय चुना. मंच का टॉपिक “यह सदन कश्मीर के एक स्वतंत्र राज्य में विश्वास करता है" रखा गया. इसमें विवेक अग्निहोत्री को डिबेट के लिए एक पैनल में शामिल होने के लिए बुलाया गया था. 

ऑक्सफोर्ड यूनियन की ओर से निमंत्रण
2 सितंबर, 2024 को ऑक्सफोर्ड यूनियन के प्रेजिडेंट इब्राहिम उस्मान-मोवाफी ने विवेक अग्निहोत्री को औपचारिक मेल भेजा था. उन्होंने इस विषय पर विवेक अग्निहोत्री के ज्ञान की तारीफ करते हुए डिबेट के स्ट्रक्चर के बारे में बताया था. यह डिबेट 14 नवंबर, 2024 को होने वाली थी, पैनल में ब्रिटिश सांसद नाज शाह और पाकिस्तान के रक्षा मंत्री जैसे लोगों को शामिल किया गया था. इस मुद्दे से गहरे जुड़ाव को देखते हुए विवेक अग्निहोत्री को भारतीय पक्ष से बुलाया गया था. बता दें, विवेक अग्निहोत्री “द कश्मीर फाइल्स" बना चुके हैं. ये फिल्म 1990 के कश्मीरी हिंदुओं के पलायन और उनपर हुए अत्याचार की कहानी है. 

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विवेक अग्निहोत्री ने किया इनकार
प्रेजिडेंट इब्राहिम उस्मान-मोवाफी को मेल लिखते हुए विवेक अग्निहोत्री ने ऑक्सफोर्ड यूनियन के इस विषय पर नाराजगी जताई है. उन्होंने इस इनविटेशन को 1.4 अरब भारतीयों के लिए अप्रिय और अपमानजनक बताया है. विवेक का कहना है कि इस तरह का विषय उन हजारों विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के लिए एक अपमान की बात है. विवेक अग्निहोत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि “कश्मीर की कहानी बहस का विषय नहीं है; यह उन सभी लोगों की पीड़ा और शांति पाने की कहानी है.” 

तीन जरूरी मुद्दों पर डाला जोर
इसके अलावा, विवेक अग्निहोत्री ने अपने लेटर में तीन जरूरी बिंदुओं पर भी जो डाला: 

1. कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार: विवेक अग्निहोत्री ने 1990 के दशक में इस्लामी आतंकवाद के कारण 500,000 से ज्यादा कश्मीरी हिंदुओं के दुखद पलायन की बात कही. उन्होंने कहा कि ये एक तरह का जबरन विस्थापन. ये इतिहास में इस तरह का सातवां पलायन है. उनके लिए, यह त्रासदी बहस का विषय नहीं है बल्कि एक गंभीर वास्तविकता है. और इसका सम्मान किया जाना चाहिए. 

2. अनुच्छेद 370 को हटाना: विवेक अग्निहोत्री ने लिखा कि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ, भारत सरकार ने कानूनी और राजनीतिक रूप से, कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग माना है. उनके अनुसार, अब कश्मीर की आजादी के बारे में कोई भी चर्चा बेकार है क्योंकि ये भारत का हिस्सा है. 

3. विस्थापित हिंदुओं की सुरक्षा और वापसी: विवेक अग्निहोत्री ने जोशीले ढंग से तर्क दिया कि जब तक मूल कश्मीरी हिंदू विस्थापित रहेंगे और इस्लामी चरमपंथियों का खतरा रहेगा तब तक वे वापस नहीं लौट सकेंगे. और तब तक कश्मीर की संप्रभुता पर कोई चर्चा नहीं हो सकती. पहले इन सभी मुद्दों को सुलझाना जरूरी है.  

अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स 
विवेक अग्निहोत्री के लिए, कश्मीर केवल भू-राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि एक बेहद व्यक्तिगत मुद्दा है. वे अपनी फिल्म "द कश्मीर फाइल्स" में घाटी के लोगों की पीड़ा को दिखा चुके हैं. इस फिल्म में बताया गया है कि कैसे हजारों हिंदुओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा था. ये एक तरह से भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय था, जो आज भी एक संवेदनशील विषय है. इसलिए कश्मीर की कहानी को बहुत सावधानी से और संवेदनशीलता के साथ बताया जाना चाहिए, न कि बहस के लिए इसे कोई टॉपिक बनाया जाए.