95 साल की उम्र के पद्मश्री सम्मानित राजाराम आज बहुत खुश है, उनका बरसों का जो सपना था वो आज सकार हो गया है. राजाराम बताते हैं कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उनको इतना अच्छा सम्मान मिलेगा. ये सम्मान उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है. पद्मश्री राजाराम बताते हैं कि उनके गुरुजनों ने उनसे कहा था कि कभी भी कोई मामूली काम मत करना, सर्वश्रेष्ठ काम करना. ये उसी का परिणाम है. पद्मश्री राजाराम जैन का मानना है सम्मान काम करने से मिलता है और ऐसा काम करना चाहिए जो कठिन से कठिन काम हो, जिसे लोग आसानी से नहीं समझ सकते.
पद्मश्री राजाराम का युवा पीढ़ी को संदेश
पद्मश्री राजाराम बताते हैं कि उन्होंने अपने शुरुआती दौर में कभी भी कोई आसान काम नहीं किया. कभी किसी की नकल नहीं की. पद्मश्री राजाराम जैन ने युवा पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि कभी नकल नहीं करनी चाहिए. यह सोचकर के काम करना चाहिए जो काम दूसरे नहीं कर सकते वह हमें करना चाहिए.
राजाराम बताते हैं कि उनके इस अवार्ड जीतने के पीछे उनके परिवार उनके दोनों बेटियां और पत्नी का पूरा सहयोग मिला है. राजाराम जैन की बेटी रश्मि जैन ने बताया कि उनके पिता ने लगभग 45 किताबें लिखी हैं. जब उनको यह सम्मान मिला और इसके लिए फोन आया कि उनका यह सम्मान मिल रहा है वह अपनी आंखों के आंसू नहीं रोक पाए. रश्मि जैन ने बताया कि किस तरीके की परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की है.
नहीं रुके खुशी के आंसू
पति को सम्मान मिला तो पत्नी अपनी आंखों के आंसू रोक नहीं पाई उन्होंने बताया कि यह खुशी के आंसू हैं. राजाराम जैन की पत्नी विद्यावती भी उनकी किताबों में शुरुआत से ही सहयोग किया. विद्यापति जी ने भी कभी उम्मीद नहीं की थी कि उनके पति को यह सम्मान मिलेगा. विद्यावती बताती हैं कि उन्होंने राजाराम से जब से शादी की है तब से वे संघर्ष कर रही हैं, लेकिन आज संघर्ष का फल मिला है और वह बेहद खुश हैं. विद्यावती कि जब शादी राजाराम जैन से हुई थी तब वह सिर्फ नौवीं क्लास पास थी लेकिन आज विद्यावती डबल एम ए, गोल्ड मेडलिस्ट, पीएचडी हैं. आज इनके अंडर 5 रिसर्च स्कॉलर काम कर रहे हैं.
(सुशांत मेहरा की रिपोर्ट)