
11 मार्च 2025 ऐसी तारीख है जिसे शायद इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा. इस दिन हमारे पड़ोस में एक ऐसी घटना हुई जो पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. दरअसल, पाकिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने 450 से अधिक यात्रियों को बंधक बनाकर एक ट्रेन को हाईजैक कर लिया. इस ट्रेन का नाम जाफर एक्सप्रेस है और यह ट्रेन पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत के क्वेता से खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर जा रही थी. इस बीच ट्रेन को हाइजैक किया गया.
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कहीं ट्रेन को हाइजैक किया गया है. भारत में भी ट्रेन को हाइजैक किया जा चुका है और सिर्फ एक बार नहीं बल्कि दो बार. भारत में दो बार ट्रेन हाईजैक की घटना हुई है. एक बार साल 2009 में और दूसरी बार साल 2013 में भारत में ट्रेन हाईजैक की गई थीं.
साल 2013 में हुई थी ट्रेन हाईजैक
भारत में ट्रेन हाईजैक एक घटना 6 फरवरी, 2013 को हुई थी. छत्तीसगढ़ के दुर्ग में जन शताब्दी ट्रेन कई किलोमीटर तक हाईजैक रखा था. गिरोह ने बंदूक की नोक पर ड्राइवर और अन्य कर्मचारियों को बंधक बना लिया और ड्राइवर से ट्रेन को दूसरे स्टेशन पर ले जाने को कहा. एबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना का मुख्य आरोपी उपेंद्र सिंह उर्फ कबरा था. उपेंद्र उर्फ कबरा को जयचंद अपहरण कांड में पुलिस दुर्ग कोर्ट लेकर आई थी. वापसी में आरोपियों ने सिरसा गेट के करीब बंदूक की नोक पर ट्रेन चालक से ट्रेन कब्जे में ले ली. इस मामले में छह अपराधियों को सजा सुनाई गई थी.
2009 में माओवादियों ने की ट्रेन हाईजैक
2009 में भारत में एक और ट्रेन अपहरण की घटना हुई थी, जब माओवादियों ने जंगलमहल में भुवनेश्वर-राजधानी एक्सप्रेस को हाईजैक कर लिया था. लगभग 300-400 माओवादियों ने ट्रेन पर कब्ज़ा कर लिया था और सैकड़ों यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों को बंधक बना लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो यह काम माओवादी नेता छत्रधर महतो के निर्देश पर किया गया था. 20 पुलिस अधिकारियों और लगभग 150 सीआरपीएफ कर्मियों सहित सुरक्षा बलों ने ट्रेन और उसके यात्रियों को सफलतापूर्वक मुक्त कराया.
दूसरे देशों में भी हुई हैं ऐसी घटनाएं
1975 नीदरलैंड ट्रेन हाईजैक
2 दिसंबर 1975 को, सेवन साउथ मोलुक्कन ने नीदरलैंड के विजस्टर के पास 50 यात्रियों के साथ एक ट्रेन को हाईजैक किया था. यह हाईजैक 12 दिनों तक चला और तीन बंधकों की मौत भी हो गई. इसी दौरान साउथ मोलुक्कन के एक दूसरे ग्रुप मे एम्स्टर्डम में इंडोनेशियाई वाणिज्य दूतावास में लोगों को बंधक बना लिया था.
हाईजैक करने वाले लोग डच सरकार के खिलाफ विरोध कर रहे थे. डच सरकार ने उन्हें एक स्वतंत्र राज्य, दक्षिण मालुकु गणराज्य (RMS) का वादा किया था. हालांकि, 14 दिसंबर को हाईजैकर्स ने सरेंडर कर दिया क्योंकि मौसम बहुत खराब था और उन्हें यह भी डर था कि मोलुक्कन द्वीपों में प्रतिशोध हो सकता है.
1977 डच ट्रेन हाईजैक
23 मई 1977 को, नीदरलैंड में डे पंट के पास एक और ट्रेन हाईजैक हुई थी. नौ मोलुक्कन राष्ट्रवादियों ने 50 से ज़्यादा यात्रियों को बंधक बना लिया और मोलुक्कन को स्वतंत्रता दिलाने और 21 कैदियों की रिहाई में डच की मदद की मांग की. 20 दिनों तक चला यह हाईजैक 11 जून को खत्म हुआ. डच स्पेशल फॉर्सेज ने ट्रेन पर धावा बोला और इसमें छह हाईजैकर्स और दो बंधक मारे गए.
1923 में चीन में हुआ था ट्रेन हाईजैक
सबसे पहले दर्ज की गई ट्रेन हाईजैक की घटनाओं में से एक 5 मई 1923 को चीन में हुई थी. 1,200 डाकुओं ने तियानजिन-पुकोऊ रेलवे पर लिनचेंग के पास "ब्लू एक्सप्रेस" को पटरी से उतार दिया था. इन डाकुओं में कई पूर्व-सैनिक थे. हमलावरों ने ट्रेन को लूट लिया और कई चीनी यात्रियों के साथ-साथ एक ब्रिटिश नागरिक जोसेफ रोथमैन को भी मार डाला. डाकुओं ने 25 पश्चिमी लोगों सहित 300 यात्रियों को बंधक बना लिया और उन्हें अपने पहाड़ी ठिकाने तक 10 दिनों के लिए पैदल चलने पर मजबूर किया. हाई-प्रोफाइल बंधकों में यू.एस. सीनेटर नेल्सन एल्ड्रिच की बेटी लूसी एल्ड्रिच और कमोडोर ग्यूसेप मुसो शामिल थे. शंघाई ग्रीन गैंग के नेता डू यूशेंग से 85,000 डॉलर (आज के 1.2 मिलियन डॉलर के बराबर) की फिरौती मिलने के बाद बंधकों को 12 जून 1923 को रिहा कर दिया गया था.