पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया. वह 95 साल के थे. शुक्रवार सुबह तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर ट्वीट कर दुख जताया है और उन्हें श्रद्धांजलि दी है.
पीएम ने जताया शोक
उन्होंने लिखा, "प्रकाश सिंह बादल का निधन मेरी निजी क्षति है. मेरा उनसे कई दशक से करीबी संपर्क रहा और उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला. मुझे उनसे हुई कई बातचीत याद है, जिसमें उनकी समझदारी साफ तौर दिखती थी. उनके परिजन और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति हमारी संवेदनाएं हैं."
ਸ਼੍ਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਜੀ ਦੇ ਦਿਹਾਂਤ 'ਤੇ ਬਹੁਤ ਦੁੱਖ ਹੋਇਆ। ਉਹ ਭਾਰਤੀ ਰਾਜਨੀਤੀ ਦੀ ਇੱਕ ਵਿਸ਼ਾਲ ਸ਼ਖਸੀਅਤ, ਅਤੇ ਇੱਕ ਕਮਾਲ ਦੇ ਰਾਜਨੇਤਾ ਸਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਲਈ ਬਹੁਤ ਯੋਗਦਾਨ ਪਾਇਆ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਤਰੱਕੀ ਲਈ ਅਣਥੱਕ ਮਿਹਨਤ ਕੀਤੀ ਅਤੇ ਨਾਜ਼ੁਕ ਸਮਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਾਜ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕੀਤੀ। pic.twitter.com/JuIyf0IBeT
— Narendra Modi (@narendramodi) April 25, 2023
संरपंची से शुरू हुआ राजनीतिक करियर
प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को पंजाब के बठिंडा के एक जमींदार किसान परिवार में हुआ था. प्रकाश सिंह बादल की शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई. उनकी हाई स्कूल की पढ़ाई मनोहर लाल मेमोरियल स्कूल से हुई. फोरमैन क्रिश्चियन कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. राजनीति में उनकी एंट्री 1947 में हुई जब वे अपने गांव के सरपंच चुने गए. 1957 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस पार्टी) के सदस्य के रूप में पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए. कुछ साल बाद पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ मतभेदों को लेकर उन्होंने पार्टी छोड़ दी.
क्षेत्रीय दलों की मजबूती पर दिया जोर
1967 के राज्य विधानसभा चुनावों में हारने के बाद बादल ने पद छोड़ दिया. 1969 में जीतने के बाद वे राज्य की शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो गए. वो शिरोमणी अकाली दल के प्रमुख रहे. वो 1970 में जब 43 साल के थे तब पंजाब के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने. हालांकि, उनका कार्यकाल केवल एक साल तक चला, क्योंकि पार्टी अंदरूनी कलह से घिरी हुई थी जिसकी वजह से सरकार भंग हो गई. बादल उन नेताओं की श्रेणी में आते हैं जिन्होंने क्षेत्रीय दलों की मजबूती पर जोर दिया. साल 1992 को छोड़कर 1969 से 2012 तक बादल बार-बार पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए. वे 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने. वे 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने.
कई बार जेल गए
आपातकाल के दौरान प्रकाश सिंह बादल को कई बार जेल भी जाना पड़ा. 1977 की शुरुआत में वे लोकसभा के लिए चुने गए. ये प्रकाश सिंह बादल की शख्सियत थी कि वो राष्ट्रीय राजनीति में मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर मोदी सरकार तक के करीबी रहे. 1980 के दशक में अधिक स्वायत्तता की मांग को लेकर सिख आंदोलन के दौरान भी उन्हें जेल भेज दिया गया था. प्रकाश सिंह बादल अकाली आंदोलन में भी शामिल हुए थे.
शुरू करवाया सीएम रिलीफ फंड
प्रकाश सिंह बादल की पत्नी का नाम सुरिंदर कौर था, कैंसर से लंबी लड़ाई के बाद 2011 में उनका देहांत हो गया. पत्नी के निधन से वे इतने टूट गए कि कैंसर के खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी. पंजाब में सीएम रिलीफ फंड भी प्रकाश सिंह बादल ने शुरू करवाया था. प्रकाश सिंह बादल की एक बेटी और एक बेटा है. उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल पंजाब उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं. अपने लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान प्रकाश सिंह बादल को एक उदार नेता के रूप में देखा गया.